Murshidabad Violence : केंद्र की बड़ी कार्रवाई! मुर्शिदाबाद में तैनात हुए 300 BSF जवान

Murshidabad Violence : पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में वक्फ (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ चल रहा विरोध पिछले कुछ दिनों से हिंसक रूप ले चुका है। यह आग 10 अप्रैल से भड़की और अब तक थमने का नाम नहीं ले रही। सड़कों पर उग्र प्रदर्शन, पुलिस वाहनों में आग, रेल सेवाओं में बाधा और इंटरनेट बंदी ने आम जनजीवन को पूरी तरह प्रभावित कर दिया है। इस अशांति ने न केवल स्थानीय लोगों के मन में डर पैदा किया है, बल्कि राजनीतिक हलकों में भी हलचल मचा दी है। आइए, इस पूरे मामले को गहराई से समझते हैं।
हिंसा का केंद्र: समसेरगंज और सुती
मुर्शिदाबाद के समसेरगंज और सुती जैसे इलाकों में हालात सबसे ज्यादा तनावपूर्ण हैं। जाफराबाद में एक दिल दहला देने वाली घटना में पिता-पुत्र की उनके ही घर में चाकू मारकर हत्या कर दी गई। परिवार का कहना है कि हमलावरों ने पहले लूटपाट की और फिर दोनों पर जानलेवा हमला किया। वहीं, सुती के सजुर मोड़ पर एक 21 वर्षीय युवक की गोली लगने से मौत हो गई। धुलियान में बीड़ी फैक्ट्री के दो मजदूरों पर भी गोलीबारी हुई, जिनका इलाज चल रहा है। इन घटनाओं ने स्थानीय लोगों में भय और आक्रोश को और बढ़ा दिया है।
केंद्र और राज्य सरकार का रुख
केंद्र सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन ने पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव और डीजीपी के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने मुर्शिदाबाद में पहले से तैनात 300 बीएसएफ जवानों के अलावा पांच अतिरिक्त केंद्रीय बल कंपनियों को भेजने का ऐलान किया। गृह मंत्रालय ने कानून-व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति पर चिंता जताते हुए हरसंभव मदद का भरोसा दिया है।
दूसरी ओर, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शांति की अपील की है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, “मैं सभी समुदायों से संयम बरतने और उकसावे में न आने की गुजारिश करती हूं। किसी की जान से कीमती कुछ नहीं। धर्म के नाम पर हिंसा समाज को कमजोर करती है।” ममता ने यह भी साफ किया कि वक्फ (संशोधन) अधिनियम को राज्य में लागू नहीं किया जाएगा।
राजनीतिक तकरार और सांप्रदायिक आरोप
मुर्शिदाबाद की हिंसा ने राजनीतिक रंग भी ले लिया है। बीजेपी नेता सुकांत मजूमदार ने ममता सरकार पर हिंदुओं की सुरक्षा में नाकाम रहने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “प्रशासन चुप्पी साधे हुए है, जबकि अल्पसंख्यक समुदाय के कुछ लोग हिंसा फैला रहे हैं।” दूसरी तरफ, टीएमसी नेता अभिषेक बनर्जी ने बीजेपी पर सांप्रदायिक तनाव भड़काने का इल्जाम लगाया। बीजेपी के सुवेंदु अधिकारी ने रेलवे संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की घटनाओं की एनआईए जांच की मांग की है। उनका दावा है कि यह हिंसा सुनियोजित थी।
कोर्ट ने भी लिया संज्ञान
कलकत्ता हाईकोर्ट ने इस मामले में सख्त रुख अपनाया है। सुवेंदु अधिकारी की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने प्रभावित इलाकों में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) की तैनाती का आदेश दिया। जस्टिस सौमेन सेन की बेंच ने कहा, “जब नागरिकों की जान और संपत्ति खतरे में हो, तो कोर्ट चुप नहीं रह सकता।” कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार को 17 अप्रैल तक विस्तृत रिपोर्ट पेश करने को कहा है।
आम लोग परेशान, इंटरनेट बंद
हिंसा की वजह से मुर्शिदाबाद के कई इलाकों में निषेधाज्ञा लागू है। इंटरनेट सेवाएं बंद होने से लोग अपनों से संपर्क नहीं कर पा रहे। रेलवे के न्यू फरक्का-अजीमगंज खंड पर ट्रेनें छह घंटे तक रुकी रहीं। सड़कों पर जाम और पुलिस वाहनों में आगजनी ने हालात को और बिगाड़ दिया। स्थानीय लोग डर के साए में जी रहे हैं। एक दुकानदार ने बताया, “हम बस शांति चाहते हैं। ये हिंसा किसी का भला नहीं कर रही।”
क्या है वक्फ (संशोधन) अधिनियम?
वक्फ (संशोधन) अधिनियम को लेकर विवाद तब शुरू हुआ, जब इसके कुछ प्रावधानों को लेकर असहमति सामने आई। कई समुदायों का मानना है कि यह कानून उनकी धार्मिक और संपत्ति से जुड़ी भावनाओं को प्रभावित कर सकता है। हालांकि, केंद्र सरकार का कहना है कि यह कानून पारदर्शिता और बेहतर प्रबंधन के लिए है। लेकिन विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गए, जिसका असर अब पूरे मुर्शिदाबाद में दिख रहा है।
मुर्शिदाबाद में तनाव कम करने के लिए प्रशासन और केंद्रीय बल दिन-रात काम कर रहे हैं। अब तक 138 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। लेकिन सवाल यह है कि यह हिंसा कब थमेगी? क्या यह सिर्फ कानून का विरोध है या इसके पीछे कोई और सियासत है? आम लोग चाहते हैं कि जल्द से जल्द शांति बहाल हो, ताकि वे अपने रोजमर्रा के जीवन में लौट सकें।