Chaitra Pradosh Vrat 2025 : प्रदोष व्रत से घर में आएगी खुशहाली, जानें चैत्र के प्रदोष व्रत की सही तिथियां

Chaitra Pradosh Vrat 2025 : चैत्र प्रदोष व्रत 2025 की तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि जानें। 27 मार्च और 10 अप्रैल को रखें व्रत, शिवजी की कृपा से पाएं सुख-शांति।
Chaitra Pradosh Vrat 2025 : प्रदोष व्रत से घर में आएगी खुशहाली, जानें चैत्र के प्रदोष व्रत की सही तिथियां

Chaitra Pradosh Vrat 2025 : सनातन धर्म में प्रदोष व्रत को बहुत खास माना जाता है। यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन अगर पूरी श्रद्धा के साथ महादेव और मां पार्वती की पूजा की जाए और व्रत का संकल्प लिया जाए, तो जीवन में सुख-शांति और शुभ फल मिलते हैं।

इतना ही नहीं, घर-परिवार में खुशहाली का माहौल बनता है। हर हिंदू माह के शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखा जाता है। आइए, चैत्र माह में प्रदोष व्रत की तारीख, पूजा का शुभ समय और विधि के बारे में विस्तार से जानते हैं।

चैत्र माह में प्रदोष व्रत कब-कब है?

हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र माह में दो प्रदोष व्रत पड़ते हैं। पहला व्रत 27 मार्च 2025 को होगा, जबकि दूसरा व्रत 10 अप्रैल 2025 को मनाया जाएगा। खास बात यह है कि 27 मार्च को गुरुवार होने के कारण इसे गुरु प्रदोष व्रत कहा जाएगा।

पंचांग की मानें तो चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 27 मार्च को देर रात 1 बजकर 42 मिनट से शुरू होगी और उसी दिन रात 11 बजकर 03 मिनट पर खत्म हो जाएगी। इस वजह से 27 मार्च को ही प्रदोष व्रत रखा जाएगा।

प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त

प्रदोष व्रत की पूजा शाम के समय प्रदोष काल में की जाती है। 27 मार्च 2025 को पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 6 बजकर 36 मिनट से शुरू होकर रात 8 बजकर 56 मिनट तक रहेगा।

इस समय में महादेव और माता पार्वती की पूजा करने से विशेष फल मिलता है।

प्रदोष व्रत की पूजा विधि

प्रदोष व्रत की पूजा बेहद सरल और प्रभावशाली होती है। सबसे पहले सुबह स्नान करके मंदिर की साफ-सफाई कर लें। इसके बाद भगवान गणेश को प्रणाम करें, क्योंकि किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत गणपति की वंदना से होती है।

फिर भगवान शिव का गंगाजल और पंचामृत से अभिषेक करें। अभिषेक के बाद शिवजी को सफेद चंदन का तिलक लगाएं और सफेद फूल चढ़ाएं।

मंदिर में घी का दीपक जलाएं और पूरी भक्ति के साथ श्री शिव चालीसा का पाठ करें। पूजा के अंत में शिवजी की आरती करें और उनसे अपने किसी भी अनजाने अपराध के लिए क्षमा मांगें। इस तरह पूजा पूरी होती है।

प्रदोष व्रत का महत्व

मान्यता है कि प्रदोष व्रत रखने से न सिर्फ भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा मिलती है, बल्कि जीवन की परेशानियां भी दूर होती हैं।

यह व्रत संतान प्राप्ति, धन-समृद्धि और पारिवारिक सुख के लिए भी खास माना जाता है। जो लोग नियमित रूप से इस व्रत को करते हैं, उनके घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

Share this story