Vaishakh Amavasya 2025 : इस वैशाख अमावस्या पर बदल सकता है आपका भाग्य, जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त
Vaishakh Amavasya 2025 : वैशाख अमावस्या 2025 का दिन पितरों की शांति, गंगा स्नान और भगवान विष्णु की आराधना के लिए बेहद शुभ माना जाता है। जानिए पूजा-विधि, तर्पण का महत्व, मुहूर्त और धार्मिक मान्यताएं।

Vaishakh Amavasya 2025 : हिंदू धर्म में अमावस्या की तिथि को विशेष आध्यात्मिक महत्व दिया जाता है। यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित माना गया है और पितरों की आत्मा की शांति के लिए भी अत्यंत शुभ होता है। खासकर वैशाख अमावस्या, जो गर्मी के मौसम में आती है, शरीर और मन दोनों के लिए शांति का अनुभव कराती है।
गंगा सहित अन्य पवित्र नदियों में स्नान, सूर्य को अर्घ्य अर्पित करना और पितरों के लिए तर्पण करना—ये सभी परंपराएं इस दिन को और भी विशेष बनाती हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन किए गए पुण्य कर्म कई गुना फलदायी होते हैं।
कब है वैशाख अमावस्या 2025? जानें तिथि और शुभ मुहूर्त
इस वर्ष वैशाख अमावस्या रविवार, 27 अप्रैल 2025 को पड़ेगी। इस पावन तिथि का शुभ समय इस प्रकार है:
- प्रारंभ: 27 अप्रैल को सुबह 04:49 बजे
- समाप्त: 28 अप्रैल को सुबह 01:00 बजे
इन घंटों में किया गया स्नान, पूजा और दान विशेष पुण्यदायी माना जाता है।
अमावस्या पर पूजा क्यों है इतनी विशेष?
अमावस्या को पितृ दिवस के रूप में भी देखा जाता है। ऐसा विश्वास है कि इस दिन किया गया तर्पण सीधे पितरों तक पहुँचता है और उनकी आत्मा को शांति मिलती है। खासकर गंगा में स्नान करने से न केवल शरीर शुद्ध होता है, बल्कि आत्मा भी शुद्ध होती है।
भगवान विष्णु की आराधना, सूर्य को अर्घ्य देना और उपवास रखना इस दिन को आध्यात्मिक ऊँचाई देता है। महिलाएं इस दिन व्रत रखकर अपने पति की दीर्घायु की कामना करती हैं।
पूजा-विधि: कैसे करें वैशाख अमावस्या की सही पूजा?
इस दिन का आरंभ जल्दी सुबह उठकर स्नान से करें। यदि किसी पवित्र नदी में स्नान संभव न हो, तो घर के पानी में कुछ बूँदें गंगाजल मिलाकर स्नान करें। स्नान के पश्चात घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें, भगवान विष्णु का स्मरण करें और मंत्रों का जाप करें।
सूर्य देव को अर्घ्य दें और पितरों को श्रद्धा से तर्पण करें। चाहें तो उपवास रखकर दिनभर ध्यान और साधना करें। यह दिन मन की स्थिरता और आत्मिक बल को बढ़ाने का सर्वोत्तम अवसर है।
कौन-कौन से कार्य हैं पुण्यदायी?
इस दिन तर्पण, दान और सेवा के कार्य विशेष फलदायी माने जाते हैं। गरीबों को भोजन, वस्त्र या अन्य उपयोगी वस्तुएं दान करें। गऊ माता को सात्विक भोजन कराना भी पुण्यकारी होता है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, गाय को खिलाया गया भोजन पितरों तक पहुँचता है और उन्हें संतोष प्राप्त होता है। ऐसे कार्यों से केवल पितृ प्रसन्न नहीं होते, बल्कि घर-परिवार में भी सुख-शांति आती है।
वैशाख अमावस्या: शांति, सुख और आस्था का संगम
गर्मी के मौसम में आने वाली वैशाख अमावस्या केवल धार्मिक दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि मनोवैज्ञानिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। इस दिन किया गया आत्ममंथन और ध्यान, जीवन की नकारात्मक ऊर्जा को हटाकर मानसिक शांति प्रदान करता है।
परिवार के साथ मिलकर इस दिन को बिताना, धार्मिक क्रियाओं में भाग लेना और परंपराओं को जीवित रखना — यह सब मिलकर इसे एक आध्यात्मिक पर्व बना देता है।