Vastu Tips : वास्तु के अनुसार मौली के ये नियम बदल देंगे आपकी जिंदगी, जानिए वास्तु नियम

Vastu Tips : क्या मौली या कलावा को सही समय पर उतारना चाहिए? जानिए वास्तु और धार्मिक नियम, इसके फायदे और सही तरीका, जिससे आपकी सकारात्मक ऊर्जा बनी रहे। 
Vastu Tips : वास्तु के अनुसार मौली के ये नियम बदल देंगे आपकी जिंदगी, जानिए वास्तु नियम

Vastu Tips : हमारे देश में मौली या कलावा बांधने की परंपरा बहुत पुरानी है। इसे कलाई पर बांधते समय लोग सुख, समृद्धि और सुरक्षा की कामना करते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि इस पवित्र धागे को कब उतारना चाहिए?

क्या इसे हमेशा पहने रहना ठीक है या इसके लिए कोई खास समय और नियम होते हैं? आज हम वास्तु एक्सपर्ट्स की राय और पुरानी मान्यताओं के आधार पर इस बारे में बात करेंगे। तो चलिए, इस खास जानकारी को आसान और रोचक तरीके से समझते हैं।

मौली बांधने का महत्व क्या है?

मौली को आमतौर पर लाल या पीले रंग के धागे से बनाया जाता है। इसे पूजा-पाठ, हवन या किसी शुभ काम के दौरान कलाई पर बांधा जाता है। ऐसा माना जाता है कि ये धागा नकारात्मक ऊर्जा से बचाता है और ग्रहों के बुरे प्रभाव को कम करता है।

खासकर मंगलवार को हनुमान जी के मंदिर में मौली बांधने की प्रथा बहुत लोकप्रिय है। लेकिन सवाल ये है कि इसे कब तक पहनना चाहिए और इसे उतारने का सही समय क्या है? वास्तु और ज्योतिष में इसके कुछ खास नियम बताए गए हैं, जो आपकी जिंदगी में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।

मौली को कब तक पहने रखना चाहिए?

वास्तु एक्सपर्ट्स का कहना है कि मौली को हमेशा कलाई पर नहीं रखना चाहिए। ये कोई फैशन का धागा नहीं है, बल्कि इसका आध्यात्मिक महत्व है। आमतौर पर इसे 7, 11 या 21 दिनों तक पहनने की सलाह दी जाती है।

ये समय इस बात पर निर्भर करता है कि आपने इसे किस उद्देश्य से बांधा था। मिसाल के तौर पर, अगर आपने किसी पूजा के दौरान इसे बांधा है, तो उस पूजा का प्रभाव खत्म होने के बाद इसे उतार देना चाहिए। कई लोग इसे तब तक पहने रखते हैं, जब तक ये अपने आप न टूट जाए। लेकिन क्या ये सही है? आइए आगे जानते हैं।

मौली अपने आप टूट जाए तो क्या करें?

कई बार ऐसा होता है कि मौली पुरानी होकर अपने आप टूट जाती है। कुछ लोग इसे शुभ मानते हैं और कहते हैं कि इसका मतलब है कि आपकी मनोकामना पूरी हो गई। वास्तु एक्सपर्ट्स के मुताबिक, अगर मौली टूट जाए, तो इसे सम्मान के साथ नदी में प्रवाहित कर देना चाहिए।

अगर नदी पास में न हो, तो इसे किसी पेड़ की जड़ में दबा सकते हैं। इसे कूड़े में फेंकना अशुभ माना जाता है, क्योंकि ये एक पवित्र धागा होता है। इस बात का ध्यान रखें कि इसे उतारते समय मन में कोई नकारात्मक विचार न आएं।

मौली उतारने का सही समय और तरीका

वास्तु के हिसाब से मौली को उतारने का सबसे अच्छा समय सुबह का होता है। खासकर गुरुवार या मंगलवार को इसे उतारना शुभ माना जाता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि ये दिन आध्यात्मिक रूप से खास होते हैं।

इसे उतारने से पहले अपने इष्टदेव का ध्यान करें और धागे को दाहिने हाथ से हटाएं। इसे बाएं हाथ से उतारना वर्जित माना जाता है।

उतारने के बाद इसे तुलसी के पौधे के पास रखें या बहते पानी में छोड़ दें। ऐसा करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।

क्या मौली को बार-बार बांधना ठीक है?

कई लोग हर पूजा में नई मौली बांध लेते हैं, लेकिन पुरानी को नहीं उतारते। वास्तु एक्सपर्ट्स कहते हैं कि ऐसा करने से ऊर्जा का संतुलन बिगड़ सकता है। पुरानी मौली में नकारात्मक ऊर्जा जमा हो सकती है, जो आपके लिए परेशानी का कारण बन सकती है।

इसलिए, जब भी नई मौली बांधें, पुरानी को जरूर उतार लें। इससे आपकी आध्यात्मिक शक्ति बनी रहती है और घर का वातावरण भी शुद्ध रहता है।

मौली बांधते समय इन बातों का रखें ध्यान

मौली बांधना कोई साधारण काम नहीं है। इसे बांधते समय कुछ खास बातों का ध्यान रखना जरूरी है। सबसे पहले, इसे साफ मन और शुद्ध विचारों के साथ बांधें। दूसरा, इसे कलाई पर ज्यादा टाइट न करें, वरना ये असहज हो सकता है।

तीसरा, इसे बांधने से पहले मंत्रों का जाप करें, जैसे "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" या अपने इष्टदेव का नाम लें। इससे मौली का प्रभाव और बढ़ जाता है। साथ ही, इसे बांधने के बाद इसे बार-बार छूने से बचें।

गलत समय पर मौली उतारने के नुकसान

अगर आप मौली को गलत समय पर उतारते हैं, तो इसके कुछ नुकसान भी हो सकते हैं। वास्तु के अनुसार, इसे अधूरी पूजा के बीच में उतारना या बिना सोचे-समझे फेंक देना अशुभ हो सकता है।

इससे घर में नकारात्मकता बढ़ सकती है और आपकी मनोकामनाएं पूरी होने में देरी हो सकती है। इसलिए, इसे उतारने से पहले वास्तु नियमों को अच्छे से समझ लें और सही तरीके का पालन करें।

मौली से जुड़ी कुछ खास मान्यताएं

हमारे देश में मौली को लेकर कई रोचक मान्यताएं हैं। कुछ लोग कहते हैं कि इसे बांधने से मंगल ग्रह मजबूत होता है। वहीं, कुछ का मानना है कि ये रक्षा कवच की तरह काम करता है।

वास्तु एक्सपर्ट्स बताते हैं कि मौली का रंग भी मायने रखता है। लाल रंग की मौली साहस और ऊर्जा देती है, जबकि पीली मौली समृद्धि और ज्ञान का प्रतीक है। तो अगली बार जब आप मौली बांधें, तो इसके रंग और महत्व को भी समझ लें।

निष्कर्ष: मौली के नियमों से बनाएं जीवन बेहतर

मौली सिर्फ एक धागा नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति और विश्वास का हिस्सा है। इसे बांधने और उतारने के नियमों का पालन करने से न सिर्फ आपकी आस्था मजबूत होती है, बल्कि घर में सुख-शांति भी बनी रहती है।

तो अगली बार जब आप कलाई पर मौली बांधें, तो इन वास्तु टिप्स को जरूर याद रखें। सही समय पर इसे उतारें और इसके सम्मान का ध्यान रखें। इससे आपकी जिंदगी में सकारात्मक बदलाव जरूर आएंगे।

Share this story