कॉमेडी के नाम पर बना शैतान! नाबालिग को हीरोइन बनाने का झांसा देकर किया घिनौना कांड

हिसार : हाल ही में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुनील जिंदल की अदालत ने एक सनसनीखेज मामले में फैसला सुनाया है। एक नाबालिग लड़की के साथ दुष्कर्म करने और फर्जी दस्तावेजों के जरिए हाईकोर्ट से लिव-इन रिलेशनशिप का सर्टिफिकेट बनवाने के जुर्म में बोना कॉमेडियन और यूट्यूबर दर्शन को 20 साल की कठोर सजा सुनाई गई है।
इस मामले ने समाज में गहरी चिंता पैदा की है, खासकर तब जब सोशल मीडिया पर मशहूर हस्तियां गलत रास्ते पर चल पड़ती हैं। अदालत ने दोषी पर 1 लाख 7 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है, और अगर यह राशि नहीं चुकाई गई तो उसे एक साल की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी। यह फैसला 11 मार्च को दोषी ठहराए जाने के बाद आया, जिसने पीड़िता और उसके परिवार को न्याय का भरोसा दिलाया।
यह पूरा मामला सितंबर 2020 में शुरू हुआ, जब पीड़िता की मां ने पुलिस थाने में शिकायत दर्ज की थी। शिकायत के आधार पर पुलिस ने दर्शन के खिलाफ दुष्कर्म और अन्य गंभीर धाराओं के तहत मामला दर्ज किया। जांच में पता चला कि दर्शन ने पीड़िता को यूट्यूब पर हीरोइन बनाने का लालच दिया था।
पीड़िता के पिता, जो जिले के एक गांव में रहते हैं, ने बताया कि दर्शन ने उनकी बेटी को फोन कर कहा था कि एक वीडियो शूटिंग के लिए उसे हीरोइन बनाया जाएगा। 21 सितंबर 2020 को वह लड़की को अपने घर ले गया और फिर बाइक पर बैठाकर चंडीगढ़ पहुंचा। वहां एक होटल में ले जाकर उसने किशोरी के साथ दुष्कर्म किया और किसी को बताने पर जान से मारने की धमकी दी।
इसके बाद मामला और गंभीर हो गया जब दर्शन ने पीड़िता के स्कूल से उम्र से जुड़े दस्तावेज हासिल किए और उनमें हेरफेर कर उसकी उम्र 18 साल दिखाई। फिर उसने हाईकोर्ट में फर्जी दस्तावेज पेश कर लिव-इन रिलेशनशिप का सर्टिफिकेट बनवा लिया और पुलिस से सुरक्षा भी हासिल की। हालांकि, पीड़िता के परिवार की शिकायत के बाद पुलिस ने लड़की को बरामद किया और मेडिकल जांच में दुष्कर्म की पुष्टि हुई। पीड़िता ने बताया कि उसे हीरोइन बनाने के झूठे वादे के साथ उसका शोषण किया गया।
दर्शन सोशल मीडिया पर काफी मशहूर है और उसकी यूट्यूब चैनल पर कई कॉमेडी वीडियो हैं, जो लाखों लोगों ने देखे हैं। उसकी हाइट महज तीन फुट तीन इंच होने के बावजूद वह अपने मजेदार वीडियो की वजह से चर्चा में रहा। लेकिन इस घटना ने उसके चेहरे से नकाब हटा दिया और यह सवाल उठाया कि सोशल मीडिया की चमक के पीछे कितने खतरे छिपे हैं। यह मामला न सिर्फ कानूनी सजा का उदाहरण है, बल्कि माता-पिता के लिए भी सबक है कि वे अपने बच्चों पर नजर रखें।