No If No But : अब नियम तोड़े तो स्कूल की मान्यता सीधी रद्द - जानें नया आदेश

Dehradun News : देहरादून में निजी स्कूलों की मनमानी पर जिला प्रशासन का शिकंजा। डीएम सविन बंसल के नेतृत्व में फीस वृद्धि पर लगाम, स्कूलों ने 35% बढ़ोतरी घटाकर 10% की। अभिभावक कहीं से भी किताबें-ड्रेस खरीद सकते हैं। शिक्षा माफियाओं पर कार्रवाई, अभिभावकों को राहत।
No If No But : अब नियम तोड़े तो स्कूल की मान्यता सीधी रद्द - जानें नया आदेश

Dehradun News : देहरादून में निजी स्कूलों की मनमानी पर जिला प्रशासन ने कड़ा रुख अपनाया है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर जिलाधिकारी सविन बंसल की अगुवाई में प्रशासन ने स्कूलों की फीस वृद्धि और अभिभावकों के शोषण पर नकेल कस दी है। इस आक्रामक कार्रवाई ने शहर के नामी स्कूलों को बैकफुट पर ला दिया है, और अभिभावकों को बड़ी राहत मिली है।

फीस वृद्धि पर सख्ती, स्कूलों की कुंडली खंगाली

जिला प्रशासन ने मुख्यमंत्री के आदेश पर निजी स्कूलों की गहन जांच शुरू की। प्रशासन की कोर टीम ने पिछले पांच वर्षों के फीस स्ट्रक्चर की पड़ताल की और 25 प्रतिष्ठित स्कूलों पर नजर रखी। जांच में पाया गया कि कुछ स्कूलों ने मानकों को ताक पर रखकर 35% तक फीस बढ़ाई थी। प्रशासन के सख्त रवैये के बाद इन स्कूलों को फीस संरचना संशोधित करनी पड़ी। अब अधिकतम 10% की वृद्धि ही मान्य होगी, जैसा कि शिक्षा का अधिकार (RTE) अधिनियम में निर्धारित है।

किताबों और ड्रेस की खरीद में आजादी

निजी स्कूलों की एक और मनमानी थी अभिभावकों को दुकानों से किताबें और ड्रेस खरीदने के लिए मजबूर करना। जिलाधिकारी ने इसे गंभीरता से लिया और स्कूलों को सख्त निर्देश दिए। अब स्कूलों ने एडवाइजरी जारी की है कि अभिभावक कहीं से भी किताबें और गणवेश खरीद सकते हैं। इस कदम से अभिभावकों को आर्थिक बोझ से राहत मिली है।

शिक्षा माफियाओं पर भी नकेल

जिलाधिकारी सविन बंसल ने स्पष्ट किया कि शिक्षा के मंदिर को व्यवसाय का अड्डा नहीं बनने दिया जाएगा। हाल ही में चार बड़े पुस्तक भंडारों पर जीएसटी चोरी और अनावश्यक सामग्री खरीदने के लिए दबाव बनाने के आरोप में कार्रवाई की गई। इन दुकानों को सील कर प्राथमिकी दर्ज की गई। निजी स्कूलों पर भी यही सख्ती बरती जा रही है। डीएम ने चेतावनी दी कि मानकों का उल्लंघन करने वाले स्कूलों की मान्यता रद्द कर दी जाएगी।

स्कूलों का बैकफुट, अभिभावकों में खुशी

प्रशासन के इस अभियान से संत कबीर, समरफील्ड, क्राइस्ट, और चौतन्य टेक्नो जैसे स्कूलों को अपनी फीस संरचना में बदलाव करना पड़ा। उदाहरण के लिए, एन मेरी स्कूल ने 30% की वृद्धि को घटाकर 10% कर दिया। स्कूल संचालक अब मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) कार्यालय में अंडरटेकिंग देने के लिए चक्कर काट रहे हैं। अभिभावकों का कहना है कि यह कार्रवाई उनके लिए वरदान साबित हुई है।

शिक्षा सबका अधिकार, शोषण अस्वीकार्य

जिलाधिकारी सविन बंसल ने कहा, “शिक्षा हर बच्चे का अधिकार है। अभिभावकों और बच्चों का शोषण बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।” उन्होंने स्कूलों को तीन साल में अधिकतम 10% फीस वृद्धि के नियम का पालन करने का निर्देश दिया। प्रशासन की गिद्ध नजर अब हर निजी स्कूल पर है, और शिकायत मिलने पर तुरंत कार्रवाई का भरोसा दिया गया है।

अभिभावकों के लिए राहत भरा कदम

जिला प्रशासन की इस पहल ने न केवल फीस वृद्धि पर लगाम लगाई, बल्कि शिक्षा के व्यावसायीकरण पर भी प्रहार किया। अभिभावकों का कहना है कि यह पहली बार है जब स्कूलों की मनमानी पर इतनी सख्ती दिखाई गई है। देहरादून में शिक्षा को सुलभ और निष्पक्ष बनाने की दिशा में यह एक बड़ा कदम है।

Share this story