Operation Mukti : ये 19 बच्चे अब भीख नहीं माँगते… उत्तराखंड पुलिस ने किया वो करिश्मा जो कोई सोच भी नहीं सकता था

Uttarakhand News : इंटरनेशनल स्ट्रीट चिल्ड्रन डे पर देहरादून में बाल भिक्षावृत्ति और बाल श्रम से मुक्त बच्चों के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित। ऑपरेशन मुक्ति के तहत 324 बच्चों को बचाया, 142 का स्कूलों में दाखिला। इंटेंसिव केयर सेंटर में शिक्षा और गतिविधियों से बच्चों का भविष्य संवारा जा रहा है।
Operation Mukti : ये 19 बच्चे अब भीख नहीं माँगते… उत्तराखंड पुलिस ने किया वो करिश्मा जो कोई सोच भी नहीं सकता था

Uttarakhand News : देहरादून की सड़कों पर एक नई सुबह की शुरुआत हो रही है। इंटरनेशनल स्ट्रीट चिल्ड्रन डे के मौके पर साधुराम इंटर कॉलेज में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम ने उन बच्चों के चेहरों पर मुस्कान बिखेरी, जो कभी बाल भिक्षावृत्ति और बाल श्रम की दुनिया में खोए हुए थे। जिलाधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) देहरादून ने इन बच्चों के बीच पहुंचकर न केवल उनका हाल जाना, बल्कि उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए ठोस कदम भी उठाए। यह कहानी है उम्मीद की, बदलाव की, और एक बेहतर कल की।

इंटेंसिव केयर सेंटर 

साधुराम इंटर कॉलेज में स्थापित इंटेंसिव केयर सेंटर उन बच्चों के लिए एक नया घर बन गया है, जो कभी सड़कों पर भीख मांगते या मेहनत-मजदूरी में जुटे रहते थे। इस सेंटर में बच्चों को न सिर्फ शिक्षा दी जा रही है, बल्कि संगीत, योगा, कंप्यूटर और अन्य रचनात्मक गतिविधियों के जरिए उनके मन को नई दिशा दी जा रही है।

जिलाधिकारी और एसएसपी ने सेंटर का दौरा कर इन गतिविधियों का जायजा लिया और बच्चों की प्रगति पर खुशी जताई। यह सेंटर बच्चों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने का एक अनूठा प्रयास है, जो उनके जीवन में स्थायी बदलाव लाने का वादा करता है।

ऑपरेशन मुक्ति 

देहरादून पुलिस का 'ऑपरेशन मुक्ति' अभियान बच्चों के लिए एक वरदान साबित हो रहा है। इस अभियान के तहत पिछले एक महीने में 324 बच्चों को बाल भिक्षावृत्ति और बाल श्रम से मुक्त कराया गया। इनमें से 142 बच्चों को विभिन्न स्कूलों में दाखिला दिलाया गया है, ताकि वे पढ़-लिखकर अपने सपनों को साकार कर सकें। पुलिस ने न केवल बच्चों को बचाया, बल्कि उन लोगों के खिलाफ भी कार्रवाई की, जो बच्चों से काम करवाते थे। इस अभियान ने नन्हें दिलों को समाज में सम्मान के साथ जीने का मौका दिया है।

19 बच्चों की नई शुरुआत

कार्यक्रम के दौरान एक खास पल तब आया, जब 19 बच्चों को स्कूल ड्रेस और किताबें दी गईं। ये बच्चे इंटेंसिव केयर सेंटर में तीन महीने तक कंप्यूटर, संगीत और योग जैसी गतिविधियों में हिस्सा लेने के बाद अब स्कूलों में पढ़ाई शुरू करने जा रहे हैं। जिलाधिकारी और एसएसपी ने इन बच्चों से मुलाकात की, उनके साथ समय बिताया और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। बच्चों के चेहरों पर छाई खुशी इस बात का सबूत थी कि सही दिशा और थोड़ा सा प्यार किसी की जिंदगी बदल सकता है।

समाज की जिम्मेदारी

यह पहल हमें याद दिलाती है कि समाज के हर बच्चे को शिक्षा और सम्मान का हक है। बाल भिक्षावृत्ति और बाल श्रम जैसी समस्याओं को खत्म करने के लिए सिर्फ सरकारी प्रयास ही काफी नहीं, बल्कि समाज के हर व्यक्ति को इसमें योगदान देना होगा। देहरादून में हो रहे ये प्रयास एक मिसाल हैं कि अगर इच्छाशक्ति हो, तो कोई भी बच्चा अपने सपनों से वंचित नहीं रह सकता।

एक प्रेरणा, एक बदलाव

इंटरनेशनल स्ट्रीट चिल्ड्रन डे के इस आयोजन ने न केवल बच्चों के जीवन में रोशनी लाई, बल्कि हमें यह भी सिखाया कि छोटे-छोटे कदम बड़े बदलाव ला सकते हैं। देहरादून की यह पहल अन्य शहरों के लिए भी एक प्रेरणा है। आइए, हम सब मिलकर हर बच्चे को उसका हक दिलाने का संकल्प लें, ताकि कोई भी बच्चा सड़कों पर न भटके, बल्कि स्कूलों में अपनी मंजिल तलाशे।

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