Uttarakhand : हरिद्वार में प्रशासन की ताबड़तोड़ कार्रवाई, सील हुए अवैध मदरसे!

हरिद्वार : उत्तराखंड की पवित्र धरती पर इन दिनों एक बड़ा अभियान छाया हुआ है। राज्य सरकार अवैध रूप से संचालित हो रहे मदरसों के खिलाफ कड़ा रुख अपना रही है। हरिद्वार से लेकर देहरादून तक, प्रशासन की टीमें दिन-रात सक्रिय हैं। कागजातों में खामियां, बिना अनुमति निर्माण और संदिग्ध गतिविधियों के चलते अब तक 136 से ज्यादा मदरसों पर ताला लग चुका है। लेकिन सवाल यह है कि ये अवैध मदरसे इतने लंबे समय तक कैसे चलते रहे और इनके पीछे पैसा कहां से आ रहा है?
हरिद्वार में बड़ी कार्रवाई: सिडकुल में मदरसे सील
हरिद्वार के सिडकुल थाना क्षेत्र में हाल ही में प्रशासन ने नवोदय नगर पहुंचकर एक अवैध मदरसे को सील कर दिया। टीम ने दस्तावेजों की बारीकी से जांच की और पाया कि जरूरी अनुमति के बिना यह संस्था चल रही थी। स्थानीय लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की गई, ताकि इलाके में कोई तनाव न फैले। हरिद्वार में यह कार्रवाई कोई पहली घटना नहीं है। पिछले कुछ समय से जिला प्रशासन लगातार ऐसे संस्थानों पर नजर रखे हुए है, जो नियमों को ताक पर रखकर संचालित हो रहे हैं।
देहरादून में भी सख्ती: सहसपुर का मदरसा बंद
देहरादून के सहसपुर में सोमवार को जिला प्रशासन ने एक बड़े मदरसे को सील करने की कार्रवाई की। इस मदरसे को पहले नोटिस जारी किया गया था, क्योंकि इसने बिना अनुमति एक मंजिल का निर्माण कर लिया था। नियमों का उल्लंघन करने वाले इस संस्थान को अब बंद कर दिया गया है। प्रशासन का कहना है कि अवैध निर्माण और बिना मंजूरी संचालन किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
500 से ज्यादा अवैध मदरसे: सरकार का एक्शन प्लान
उत्तराखंड में 500 से अधिक अवैध मदरसे संचालित होने की बात सामने आई है। सरकार ने इन पर शिकंजा कसने के लिए बड़े स्तर पर अभियान शुरू किया है। पिछले एक महीने से लगातार कार्रवाई चल रही है और अब तक 136 मदरसों को सील किया जा चुका है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर अधिकारियों ने साफ कर दिया है कि नियमों का पालन न करने वालों को किसी भी हाल में छोड़ा नहीं जाएगा।
फंडिंग का रहस्य: विदेशी कनेक्शन की आशंका
इन अवैध मदरसों के संचालन का सबसे बड़ा सवाल है - पैसा कहां से आ रहा है? कर्मचारियों के वेतन से लेकर निर्माण तक, इतने बड़े पैमाने पर खर्च के पीछे कौन है? सरकार अब इसकी गहराई से जांच करने जा रही है। अधिकारियों को शक है कि कहीं विदेशी फंडिंग तो इन संस्थानों की रीढ़ नहीं है। जांच रिपोर्ट सीधे मुख्यमंत्री को सौंपी जाएगी, जिसके बाद कई बड़े खुलासे हो सकते हैं। देवभूमि में इस तरह की गतिविधियों पर नकेल कसना सरकार की प्राथमिकता बन चुकी है।
उत्तराखंड सरकार का यह अभियान न सिर्फ अवैध निर्माण को रोकने के लिए है, बल्कि यह सुनिश्चित करने के लिए भी है कि राज्य में हर संस्थान नियमों के दायरे में काम करे। हरिद्वार और देहरादून में कार्रवाई जारी है और आने वाले दिनों में और सख्त कदम उठाए जा सकते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्हें शांति और सुरक्षा चाहिए, और सरकार का यह कदम उसी दिशा में एक प्रयास है।