Uttarakhand News : ऑक्सीजन खत्म, 5 मौतें और अब केस दर्ज! रुड़की के अस्पताल पर क्यों हो रही है कार्रवाई?

रुड़की : कोरोना महामारी के काले दिनों में जब पूरा देश जिंदगी और मौत से जूझ रहा था, तब रुड़की का विनय विशाल अस्पताल एक दर्दनाक घटना का गवाह बना। साल 2021 में, जब यह अस्पताल कोविड सेंटर के रूप में काम कर रहा था, एक रात ऑक्सीजन की आपूर्ति अचानक ठप हो गई। नतीजा? पांच मरीजों की जान चली गई—एक वेंटिलेटर पर था, तो चार सिलेंडर से सांस ले रहे थे।
इस हादसे ने न सिर्फ परिवारों को तोड़ा, बल्कि अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही और गलतबयानी को भी उजागर किया। अब, इस मामले में पुलिस ने अस्पताल के खिलाफ केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
ऑक्सीजन खत्म होने की रात का मंजर
यह घटना 5 नवंबर 2021 की रात की है। उस वक्त रुड़की का विनय विशाल अस्पताल कोरोना मरीजों के इलाज का केंद्र बना हुआ था। लेकिन उस रात ऑक्सीजन की सप्लाई खत्म होने से हालात बेकाबू हो गए। वेंटिलेटर पर जिंदगी से जूझ रहे एक मरीज और सिलेंडर की मदद से सांस ले रहे चार अन्य मरीजों ने दम तोड़ दिया। यह खबर सुनते ही प्रशासन में हड़कंप मच गया। तत्कालीन ज्वाइंट मजिस्ट्रेट नमामि बंसल ने मामले की गहराई से जांच की और जो सच सामने आया, वो चौंकाने वाला था।
जांच में खुला लापरवाही का काला चिट्ठा
मजिस्ट्रेट की रिपोर्ट ने साफ कर दिया कि ऑक्सीजन की कमी से हुई इन मौतों के पीछे अस्पताल का ढुलमुल रवैया जिम्मेदार था। इतना ही नहीं, अस्पताल प्रबंधन ने प्रशासन को गलत जानकारी देकर मामले को दबाने की कोशिश भी की। जांच में यह भी सामने आया कि ऑक्सीजन सप्लाई की व्यवस्था में भारी चूक हुई थी। इस रिपोर्ट के बाद कार्रवाई की सिफारिश की गई, लेकिन मामला सालों तक ठंडे बस्ते में पड़ा रहा। स्थानीय विधायक ने इसे दो बार विधानसभा में उठाया, तब जाकर हरिद्वार के जिलाधिकारी और सीएमओ के निर्देश पर नोडल अधिकारी डॉ. अनिल कुमार ने गंगनहर कोतवाली में अस्पताल के खिलाफ शिकायत दर्ज की।
पुलिस ने कसा शिकंजा, शुरू हुई जांच
गंगनहर कोतवाली के प्रभारी अमरजीत सिंह ने बताया कि तहरीर के आधार पर विनय विशाल अस्पताल के खिलाफ लापरवाही और अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। पुलिस अब इस बात की तह तक जाने की कोशिश कर रही है कि आखिर उस रात क्या हुआ था और अस्पताल ने सच को क्यों छिपाया। इस घटना ने एक बार फिर स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली और जिम्मेदारों की जवाबदेही पर सवाल खड़े किए हैं।
मुख्यमंत्री तक पहुंची थी आंच
इस मामले की गूंज सिर्फ रुड़की तक सीमित नहीं रही। तत्कालीन मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने भी इसे गंभीरता से लिया था। उन्होंने हरिद्वार के जिलाधिकारी को तुरंत जांच के आदेश दिए और साफ कहा कि लापरवाही बरतने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। लेकिन सालों बाद भी पीड़ित परिवारों को इंसाफ का इंतजार है। अब पुलिस की जांच से उम्मीद जगी है कि सच सामने आएगा और दोषियों को सजा मिलेगी।