11 जून 2025 पंचांग: आज के शुभ-अशुभ मुहूर्त जानकर ही करें कोई बड़ा काम

11 जून 2025 का हिंदू पंचांग ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को दर्शाता है, जिसमें ज्येष्ठा नक्षत्र और साध्य योग का विशेष संयोग होगा। इस दिन चंद्रमा वृश्चिक राशि में रहेंगे, और राहुकाल दोपहर 12:13 से 1:53 बजे तक रहेगा। 
11 जून 2025 पंचांग: आज के शुभ-अशुभ मुहूर्त जानकर ही करें कोई बड़ा काम

11 जून 2025 को हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि होगी। इस दिन ज्येष्ठा नक्षत्र और साध्य योग का विशेष संयोग बन रहा है, जो धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन अभिजीत मुहूर्त उपलब्ध नहीं होगा, जबकि राहुकाल दोपहर 12:13 से 1:53 बजे तक रहेगा।

चंद्रमा इस दिन वृश्चिक राशि में संचरण करेंगे, जो विभिन्न राशियों पर अपना प्रभाव डालेगा। यह पंचांग (Panchang) उन लोगों के लिए उपयोगी है जो शुभ कार्यों के लिए मुहूर्त (Shubh Muhurat) और ज्योतिषीय गणनाओं का पालन करते हैं।

हिंदू पंचांग का महत्व

हिंदू पंचांग, जिसे वैदिक पंचांग (Vedic Panchang) के नाम से भी जाना जाता है, समय और काल की सटीक गणना का आधार है। यह पांच प्रमुख अंगों—तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण—से मिलकर बनता है। पंचांग न केवल धार्मिक अनुष्ठानों बल्कि दैनिक जीवन में शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurat Today), विवाह, गृह प्रवेश और अन्य महत्वपूर्ण कार्यों के लिए मार्गदर्शन प्रदान करता है। आइए, 11 जून 2025 के पंचांग (Daily Panchang) के विभिन्न पहलुओं को विस्तार से समझते हैं।

11 जून 2025 का पंचांग विवरण

तिथि और उसका महत्व

11 जून को पूर्णिमा तिथि दोपहर 1:11 बजे तक रहेगी। हिंदू काल गणना के अनुसार, तिथि वह समय है जब चंद्रमा सूर्य से 12 अंश आगे निकलता है। एक माह में 30 तिथियां होती हैं, जो शुक्ल और कृष्ण पक्ष में बंटी होती हैं। पूर्णिमा, शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि, विशेष रूप से पूजा-पाठ और दान-पुण्य के लिए शुभ मानी जाती है। इस दिन कई लोग व्रत और अनुष्ठान करते हैं, खासकर वृश्चिक राशि में चंद्रमा (Scorpio Moon Sign) के प्रभाव के कारण।

नक्षत्र और ज्योतिषीय प्रभाव

इस दिन ज्येष्ठा नक्षत्र रात 8:01 बजे तक प्रभावी रहेगा। ज्येष्ठा नक्षत्र (Jyeshtha Nakshatra) को गंभीर और परिश्रमी स्वभाव का माना जाता है, जो मेहनत और धैर्य से जुड़े कार्यों के लिए अनुकूल है। नक्षत्र आकाश मंडल में तारा समूह हैं, और कुल 27 नक्षत्रों में से प्रत्येक का अपना विशिष्ट प्रभाव और ग्रहों से संबंध होता है। इस दिन का नक्षत्र (Nakshatra Today) उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो ज्योतिषीय गणनाओं के आधार पर कार्य करते हैं।

योग और करण

साध्य योग इस दिन दोपहर 1:53 बजे तक रहेगा। यह योग शुभ कार्यों, विशेष रूप से अध्ययन और आध्यात्मिक गतिविधियों के लिए अनुकूल माना जाता है। करण की बात करें तो बव करण दोपहर 1:11 बजे तक और इसके बाद बालव करण रात 1:52 बजे तक रहेगा। करण तिथि के दो हिस्सों में बंटे होते हैं और इनका उपयोग शुभ-अशुभ समय निर्धारित करने में होता है। इस दिन भद्रा (विष्टि करण) नहीं होने से कई शुभ कार्य किए जा सकते हैं।

राहुकाल और अन्य समय

राहुकाल इस दिन दोपहर 12:13 से 1:53 बजे तक रहेगा। इस समय को अशुभ माना जाता है, और इस दौरान नए कार्य शुरू करने से बचना चाहिए। सूर्योदय सुबह 5:33 बजे और सूर्यास्त शाम 7:53 बजे होगा। ये समय पूजा और अन्य धार्मिक कार्यों के लिए महत्वपूर्ण हैं। इस दिन का विक्रमी संवत 2082 और शक संवत 1947 (विश्वावसु) है, जो ज्येष्ठ मास में आता है।

पंचांग के पांच अंगों का ज्योतिषीय महत्व

पंचांग के पांच अंग—तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण—ज्योतिषीय और धार्मिक दृष्टि से अहम हैं। तिथि समय की गणना का आधार है, जबकि नक्षत्र (Nakshatra) व्यक्ति के स्वभाव और कार्यों पर प्रभाव डालते हैं। वार सात ग्रहों के नाम पर आधारित होते हैं, जैसे बुधवार (Mercury Day), जो बुद्धि और व्यापार से जुड़ा है।

योग सूर्य और चंद्रमा की विशेष दूरी पर आधारित होते हैं, और करण तिथि के सूक्ष्म हिस्से हैं। ये सभी मिलकर किसी भी दिन के शुभ और अशुभ समय (Shubh Muhurat and Rahukal) को निर्धारित करते हैं।

Share this story