आज का पंचांग (31 मई 2025) : पंचमी तिथि पर करेंगे ये काम तो मिलेगा दोगुना फल! जानिए 31 मई का पूरा पंचांग

आज का पंचांग (31 मई 2025) : 31 मई 2025 को हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि होगी। यह दिन अपने विशेष ज्योतिषीय संयोगों के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस दिन पुष्य नक्षत्र और वृद्धि योग का प्रभाव रहेगा। हिंदू पंचांग, जिसे वैदिक पंचांग के नाम से भी जाना जाता है, समय और काल की सटीक गणना का आधार है।
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यह न केवल धार्मिक कार्यों के लिए शुभ समय का निर्धारण करता है, बल्कि जीवन के महत्वपूर्ण निर्णयों में भी मार्गदर्शन प्रदान करता है। इस दिन का अभिजीत मुहूर्त, जो विशेष रूप से शुभ माना जाता है, सुबह 11:55 से दोपहर 12:43 तक रहेगा। वहीं, राहुकाल, जिसमें शुभ कार्यों से बचना चाहिए, सुबह 8:52 से 10:35 तक रहेगा। इस दिन चंद्रमा कर्क राशि में गोचर करेंगे, जो भावनात्मक संतुलन और संवेदनशीलता को प्रभावित कर सकता है।
हिंदू पंचांग पांच प्रमुख अंगों - तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण - पर आधारित है। ये अंग मिलकर किसी भी दिन के ज्योतिषीय महत्व को समझने में मदद करते हैं। 31 मई को तिथि पंचमी होगी, जो रात 8:15 बजे तक रहेगी। नक्षत्र में पुष्य का प्रभाव रात 9:07 तक रहेगा, जो समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है।
इस दिन प्रथम करण बव सुबह 8:42 तक और द्वितीय करण बालव रात 8:15 तक रहेगा। सूर्योदय सुबह 5:25 बजे और सूर्यास्त शाम 7:12 बजे होगा। यह दिन शनिवार है, जो शनि ग्रह के प्रभाव में होता है और आत्म-चिंतन के लिए उपयुक्त माना जाता है।
पंचांग के पांच अंगों का महत्व
पंचांग का पहला अंग तिथि है, जो चंद्रमा और सूर्य की स्थिति के आधार पर तय होती है। यह वह समय है, जब चंद्रमा सूर्य से 12 अंश आगे बढ़ता है। एक माह में 30 तिथियां होती हैं, जो शुक्ल और कृष्ण पक्ष में बंटी होती हैं। शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि पूर्णिमा और कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि अमावस्या होती है।
दूसरा अंग नक्षत्र है, जो आकाश में तारों के समूह को दर्शाता है। कुल 27 नक्षत्र हैं, और प्रत्येक का अपना विशिष्ट प्रभाव होता है। पुष्य नक्षत्र, जो इस दिन प्रभावी है, शुभता और समृद्धि का प्रतीक है। तीसरा अंग वार है, जो सात ग्रहों के आधार पर सात दिनों में विभाजित है।
चौथा अंग योग है, जो सूर्य और चंद्रमा की विशेष दूरी से बनता है। वृद्धि योग इस दिन सकारात्मक ऊर्जा और विकास का संकेत देता है। अंतिम अंग करण है, जो तिथि के दो हिस्सों में विभाजित होता है। इस दिन बव और बालव करण प्रभावी रहेंगे।
31 मई 2025 का पंचांग उन लोगों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है, जो अपने कार्यों को ज्योतिषीय दृष्टिकोण से शुभ समय में शुरू करना चाहते हैं। चाहे वह कोई नया व्यवसाय हो, विवाह की योजना हो, या कोई धार्मिक अनुष्ठान, पंचांग का यह ज्ञान आपके निर्णयों को और मजबूत बनाता है।
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इस दिन का अभिजीत मुहूर्त विशेष रूप से शुभ कार्यों जैसे पूजा, हवन या नए कार्यों की शुरुआत के लिए आदर्श है। साथ ही, राहुकाल के दौरान सावधानी बरतना महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह समय शुभ कार्यों के लिए अनुकूल नहीं माना जाता।