01 जून 2025 का पंचांग: आज बन रहा है ध्रुव योग, जानिए क्या कहती है आपकी किस्मत

01 जून 2025 को ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि होगी, जिसमें आश्लेषा नक्षत्र और ध्रुव योग का विशेष संयोग रहेगा। इस दिन अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:55 से 12:43 तक रहेगा, जो शुभ कार्यों के लिए आदर्श है, जबकि राहुकाल सायं 17:29 से 19:12 तक रहेगा।
01 जून 2025 का पंचांग: आज बन रहा है ध्रुव योग, जानिए क्या कहती है आपकी किस्मत

01 जून 2025 का पंचांग: हिंदू पंचांग, जिसे वैदिक पंचांग के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय संस्कृति में समय और काल की सटीक गणना का आधार है। यह न केवल धार्मिक कार्यों बल्कि दैनिक जीवन के महत्वपूर्ण निर्णयों जैसे विवाह, गृह प्रवेश, और अन्य शुभ कार्यों के लिए भी मार्गदर्शन प्रदान करता है।

01 जून 2025, रविवार को ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि होगी, जो आश्लेषा नक्षत्र और ध्रुव योग के संयोग के साथ विशेष महत्व रखती है। इस लेख में हम आपको 01 जून 2025 के दैनिक पंचांग, शुभ मुहूर्त, राहुकाल, सूर्योदय, सूर्यास्त, और वैदिक ज्योतिष की महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करेंगे, जो आपके लिए उपयोगी और विश्वसनीय साबित होगी।

01 जून 2025 का दैनिक पंचांग 

01 जून 2025 को ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि रात 19:59 तक रहेगी। इस दिन आश्लेषा नक्षत्र रात 21:36 तक प्रभावी रहेगा, और चंद्रमा सिंह राशि में संचरण करेगा। ध्रुव योग सुबह 09:10 तक रहेगा, जो स्थिरता और सफलता का प्रतीक माना जाता है।

शुभ कार्यों के लिए अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:55 से दोपहर 12:43 तक रहेगा, जो विवाह, व्यापार शुरू करने, या अन्य महत्वपूर्ण कार्यों के लिए आदर्श समय है। हालांकि, राहुकाल सायं 17:29 से 19:12 तक रहेगा, इस दौरान शुभ कार्यों से बचना चाहिए।

सूर्योदय सुबह 05:25 बजे और सूर्यास्त शाम 19:12 बजे होगा। विक्रमी संवत 2082 और शक संवत 1947 (विश्वावसु) इस दिन प्रभावी रहेंगे।

हिंदू पंचांग के पांच अंग 

हिंदू पंचांग पांच प्रमुख अंगों - तिथि, नक्षत्र, वार, योग, और करण - से मिलकर बना है। ये अंग समय की गणना को न केवल वैज्ञानिक बनाते हैं बल्कि इसे आध्यात्मिक और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी समृद्ध करते हैं। आइए, इन अंगों को विस्तार से समझें:

  • तिथि: तिथि चंद्रमा और सूर्य की स्थिति के आधार पर तय होती है। जब चंद्र रेखांक सूर्य रेखांक से 12 अंश आगे जाता है, तो एक तिथि बनती है। एक माह में 30 तिथियां होती हैं, जो शुक्ल और कृष्ण पक्ष में बंटी होती हैं। शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि पूर्णिमा और कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि अमावस्या कहलाती है। 01 जून को षष्ठी तिथि होगी, जो शुभ कार्यों के लिए अनुकूल मानी जाती है।
  • नक्षत्र: आकाश में तारों के समूह को नक्षत्र कहते हैं। कुल 27 नक्षत्र हैं, जिनमें से आश्लेषा नक्षत्र 01 जून को प्रभावी रहेगा। यह नक्षत्र गहन चिंतन और आध्यात्मिक कार्यों के लिए जाना जाता है।
  • वार: सप्ताह के सात दिन ग्रहों के नाम पर आधारित हैं। 01 जून रविवार होगा, जो सूर्य देव का दिन माना जाता है। इस दिन सूर्य पूजा विशेष फलदायी होती है।
  • योग: सूर्य और चंद्रमा की विशेष दूरी से बनने वाले 27 योगों में से ध्रुव योग 01 जून को सुबह तक रहेगा। यह योग स्थिरता और दीर्घकालिक योजनाओं के लिए शुभ माना जाता है।
  • करण: एक तिथि में दो करण होते हैं। 01 जून को प्रथम करण कौलव (सुबह 08:01 तक) और द्वितीय करण तैतिल (रात 19:59 तक) रहेगा। विष्टि करण (भद्रा) में शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं।

वैदिक ज्योतिष और पंचांग का महत्व

वैदिक ज्योतिष में पंचांग का विशेष स्थान है। यह न केवल धार्मिक अनुष्ठानों बल्कि दैनिक जीवन के निर्णयों जैसे गृह प्रवेश, मुंडन, या व्यवसाय शुरू करने के लिए भी उपयोगी है। पंचांग के आधार पर शुभ मुहूर्त का चयन करने से कार्यों में सफलता की संभावना बढ़ती है।

उदाहरण के लिए, अभिजीत मुहूर्त में शुरू किए गए कार्य अक्सर बिना किसी बाधा के पूर्ण होते हैं। इसके अलावा, राहुकाल का ज्ञान आपको अशुभ समय से बचने में मदद करता है।

01 जून 2025 को क्या करें और क्या न करें

01 जून को अभिजीत मुहूर्त (11:55-12:43) का उपयोग शुभ कार्यों जैसे पूजा-पाठ, व्यापारिक समझौते, या नए प्रोजेक्ट शुरू करने के लिए करें। राहुकाल (17:29-19:12) के दौरान यात्रा, नए कार्य शुरू करना, या महत्वपूर्ण निर्णय लेने से बचें। इस दिन सिंह राशि में चंद्रमा का प्रभाव रहेगा, जो आत्मविश्वास और नेतृत्व की भावना को बढ़ाएगा। सूर्य पूजा और दान-पुण्य इस दिन विशेष फलदायी होंगे।

पंचांग का उपयोग कैसे करें?

पंचांग का उपयोग करने के लिए आपको तिथि, नक्षत्र, योग, और करण की जानकारी होनी चाहिए। उदाहरण के लिए, यदि आप गृह प्रवेश की योजना बना रहे हैं, तो अभिजीत मुहूर्त और ध्रुव योग जैसे शुभ संयोगों का चयन करें। इसके लिए आप किसी अनुभवी ज्योतिषी से भी परामर्श ले सकते हैं। साथ ही, राहुकाल और भद्रा जैसे अशुभ समय से बचना जरूरी है।

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