03 जून 2025 का पंचांग: आज बन रहा है हर्षण योग, जानिए क्या कहते हैं ग्रह और नक्षत्र?

03 जून 2025 का पंचांग: हिंदू धर्म में वैदिक पंचांग का विशेष महत्व है। यह न केवल समय और काल की सटीक गणना करता है, बल्कि शुभ कार्यों के लिए उचित समय का चयन करने में भी मदद करता है। 3 जून 2025 को ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि होगी, जो धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है।
इस दिन पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र और हर्षण योग का संयोग रहेगा, जो कई कार्यों के लिए शुभ माना जाता है। आइए, इस दिन के शुभ मुहूर्त, राहुकाल, सूर्योदय, सूर्यास्त, और पंचांग के पांच अंगों की विस्तृत जानकारी प्राप्त करें, जो आपके दैनिक जीवन और धार्मिक अनुष्ठानों को और भी सुगम बनाएगी।
ज्येष्ठ माह 2025: तिथि और नक्षत्र का महत्व
3 जून 2025 को ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि रात 21:56 तक रहेगी। इस दिन पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र रात 24:58 तक प्रभावी रहेगा, जो रचनात्मक और समृद्धि से जुड़े कार्यों के लिए अनुकूल माना जाता है। चंद्रमा इस दिन सिंह राशि में संचरण करेगा, जो आत्मविश्वास और नेतृत्व की ऊर्जा प्रदान करता है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, यह दिन मंगलवार को पड़ रहा है, जो मंगल ग्रह के प्रभाव में होगा। मंगल ग्रह ऊर्जा, साहस और दृढ़ संकल्प का प्रतीक है, इसलिए इस दिन बड़े निर्णय लेने के लिए सावधानी और शुभ मुहूर्त का ध्यान रखना जरूरी है।
शुभ मुहूर्त और राहुकाल: अपने कार्यों की करें सही शुरुआत
इस दिन अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:55 से दोपहर 12:43 तक रहेगा, जो विवाह, गृह प्रवेश, और अन्य महत्वपूर्ण कार्यों के लिए शुभ समय है। वहीं, राहुकाल दोपहर 15:46 से शाम 17:30 तक रहेगा। राहुकाल में कोई भी शुभ कार्य शुरू करने से बचना चाहिए, क्योंकि यह समय ज्योतिषीय दृष्टि से अशुभ माना जाता है।
सूर्योदय सुबह 05:25 पर और सूर्यास्त शाम 19:13 पर होगा। इन समयों का ध्यान रखकर आप अपने दिन की योजना बना सकते हैं।
पंचांग के पांच अंग: समय की गणना का आधार
हिंदू पंचांग पांच प्रमुख अंगों—तिथि, नक्षत्र, वार, योग, और करण—पर आधारित है। इन अंगों की गणना से शुभ और अशुभ समय का निर्धारण किया जाता है। आइए, इनका संक्षिप्त परिचय जानें:
- तिथि: तिथि वह समय है, जो चंद्रमा के सूर्य से 12 अंश आगे बढ़ने में लगता है। 3 जून को अष्टमी तिथि होगी, जो धार्मिक कार्यों और पूजा-पाठ के लिए उपयुक्त है।
- नक्षत्र: पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र इस दिन प्रभावी रहेगा, जो रचनात्मकता और सौंदर्य से संबंधित कार्यों के लिए शुभ है। कुल 27 नक्षत्र होते हैं, और प्रत्येक का अपना विशेष महत्व है।
- वार: मंगलवार होने के कारण मंगल ग्रह का प्रभाव रहेगा। यह दिन हनुमान जी की पूजा और साहसिक कार्यों के लिए विशेष माना जाता है।
- योग: हर्षण योग सुबह 08:07 तक रहे口气, जो आनंद और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है। यह योग कार्यों में सफलता और खुशी प्रदान करता है।
- करण: इस दिन प्रथम करण विष्टि (भद्रा) सुबह 09:10 तक और द्वितीय करण बव रात 21:56 तक रहेगा। भद्रा में शुभ कार्य वर्जित हैं।
विक्रमी संवत् 2082 और ज्योतिषीय महत्व
3 जून 2025 को विक्रमी संवत् 2082 और शक संवत् 1947 (विश्वावसु) प्रभावी रहेगा। ज्येष्ठ माह गर्मी के मौसम में आता है और इस दौरान कई धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं। इस दिन का पंचांग उन लोगों के लिए उपयोगी है जो गंगा दशहरा या अन्य धार्मिक कार्यों की योजना बना रहे हैं। सही मुहूर्त में किए गए कार्य सफलता और समृद्धि लाते हैं।
क्यों महत्वपूर्ण है वैदिक पंचांग?
वैदिक पंचांग भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग है। यह न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यों के लिए शुभ समय निर्धारित करता है, बल्कि ज्योतिषीय गणनाओं के माध्यम से जीवन के विभिन्न पहलुओं जैसे विवाह, व्यापार शुरू करना, या यात्रा की योजना बनाने में मदद करता है। पंचांग के आधार पर लोग अपने कार्यों को ग्रहों और नक्षत्रों के शुभ प्रभाव में शुरू करते हैं, जिससे सफलता की संभावना बढ़ती है।