04 जून 2025 का पंचांग: राहुकाल में न करें ये काम, जानें 04 जून की शुभ-अशुभ घड़ी

हिंदू संस्कृति में पंचांग का विशेष महत्व है। यह न केवल समय की गणना करता है, बल्कि जीवन के महत्वपूर्ण कार्यों के लिए शुभ और अशुभ समय का निर्धारण भी करता है। 04 जून 2025, बुधवार को ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि होगी। इस दिन उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र और वज्र योग का प्रभाव रहेगा, जो कई कार्यों के लिए विशेष माना जाता है। आइए, इस दिन के पंचांग के विभिन्न पहलुओं को विस्तार से समझते हैं और जानते हैं कि यह दिन आपके लिए क्या खास लेकर आया है।
दिन का शुभ और अशुभ समय
04 जून 2025 को सूर्योदय सुबह 05:24 बजे और सूर्यास्त शाम 07:14 बजे होगा। इस दिन राहुकाल दोपहर 12:19 से 02:03 बजे तक रहेगा। राहुकाल में कोई भी शुभ कार्य शुरू करना उचित नहीं माना जाता, क्योंकि यह समय अशुभ प्रभाव वाला होता है। इस दिन अभिजीत मुहूर्त उपलब्ध नहीं होगा, इसलिए कार्यों की योजना बनाते समय अन्य शुभ मुहूर्तों पर ध्यान देना होगा। चंद्रमा इस दिन कन्या राशि में प्रवेश करेंगे, जो विश्लेषणात्मक और व्यवस्थित कार्यों के लिए अनुकूल मानी जाती है।
पंचांग के पांच प्रमुख अंग
हिंदू पंचांग, जिसे वैदिक पंचांग भी कहा जाता है, पांच मुख्य अंगों—तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण—पर आधारित है। ये अंग समय की सटीक गणना और शुभ-अशुभ मुहूर्त निर्धारित करने में मदद करते हैं। आइए, इनके बारे में संक्षेप में जानते हैं:
- तिथि: तिथि चंद्रमा और सूर्य की स्थिति के आधार पर तय होती है। 04 जून को नवमी तिथि रात 11:54 तक रहेगी। यह तिथि धार्मिक और आध्यात्मिक कार्यों के लिए उपयुक्त मानी जाती है।
- नक्षत्र: उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र इस दिन रात 03:35 तक प्रभावी रहेगा। यह नक्षत्र रचनात्मक और सामाजिक कार्यों के लिए शुभ माना जाता है।
- वार: बुधवार, जो बुध ग्रह से संबंधित है, बुद्धि और संचार से जुड़े कार्यों के लिए अनुकूल होता है।
- योग: वज्र योग सुबह 08:28 तक रहेगा। यह योग दृढ़ता और सफलता का प्रतीक है।
- करण: इस दिन बालव करण सुबह 10:51 तक और कौलव करण रात 11:54 तक रहेगा। ये करण सामान्य कार्यों के लिए अनुकूल हैं।
पंचांग का महत्व और उपयोग
पंचांग केवल समय की गणना तक सीमित नहीं है; यह जीवन के हर क्षेत्र में मार्गदर्शन प्रदान करता है। चाहे विवाह, गृह प्रवेश, यात्रा शुरू करना हो या कोई नया व्यवसाय, पंचांग के आधार पर शुभ मुहूर्त का चयन करने से कार्यों में सफलता की संभावना बढ़ती है। उदाहरण के लिए, उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र सामाजिक और रचनात्मक गतिविधियों के लिए आदर्श है, जबकि वज्र योग दृढ़ संकल्प और परिश्रम से जुड़े कार्यों को बढ़ावा देता है।
इस दिन की खास बातें
04 जून 2025 को विक्रमी संवत 2082 और शक संवत 1947 (विश्वावसु) चल रहा होगा। ज्येष्ठ मास का शुक्ल पक्ष इस दिन धार्मिक अनुष्ठानों और पूजा-पाठ के लिए विशेष महत्व रखता है। चंद्रमा का कन्या राशि में होना व्यवस्थित और विश्लेषणात्मक कार्यों को प्रोत्साहित करता है। यदि आप कोई नया प्रोजेक्ट शुरू करने या महत्वपूर्ण निर्णय लेने की योजना बना रहे हैं, तो राहुकाल से बचें और सुबह या शाम के समय को प्राथमिकता दें।
पंचांग का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व
वैदिक पंचांग भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है। यह न केवल समय और ग्रहों की स्थिति को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि प्रकृति और ब्रह्मांड का हमारे जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है। पंचांग के आधार पर लोग अपने जीवन के महत्वपूर्ण क्षणों को और अधिक शुभ और समृद्ध बनाने का प्रयास करते हैं। यह हमें यह भी सिखाता है कि समय का सही उपयोग और ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति को समझकर हम अपने जीवन को बेहतर बना सकते हैं।