5 जून 2025 का पंचांग: गुरुवार को ‘सिद्धि योग’ और ‘हस्त नक्षत्र’ का अद्भुत संयोग


5 जून 2025 को हिंदू कैलेंडर में ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि होगी, जो गंगा दशहरा के पावन पर्व के साथ विशेष महत्व रखती है। इस दिन हस्त नक्षत्र और सिद्धि योग का शुभ संयोग रहेगा, जो धार्मिक और मांगलिक कार्यों के लिए अनुकूल माना जाता है। वैदिक पंचांग, जिसे हिंदू पंचांग के नाम से भी जाना जाता है, समय और काल की सटीक गणना का आधार है।
यह पांच प्रमुख अंगों—तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण—के माध्यम से दैनिक जीवन में शुभ-अशुभ समय की जानकारी देता है। आइए, इस दिन की ज्योतिषीय और धार्मिक विशेषताओं को विस्तार से जानें।
गंगा दशहरा का महत्व
5 जून को गंगा दशहरा का पर्व मनाया जाएगा, जो मां गंगा के धरती पर अवतरण का प्रतीक है। मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान, दान और पूजा करने से पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है। हस्त नक्षत्र और सिद्धि योग का संयोग इस दिन को और भी शुभ बनाता है, जिससे यह विवाह, गृह प्रवेश और अन्य मांगलिक कार्यों के लिए उपयुक्त है। इस दिन चंद्रमा कन्या राशि में रहेंगे, जो मन की शांति और कार्यों में सफलता का संकेत देता है।
शुभ मुहूर्त और राहुकाल
इस दिन अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:45 से दोपहर 12:39 तक रहेगा, जो किसी भी नए कार्य को शुरू करने के लिए अत्यंत शुभ समय है। वहीं, राहुकाल दोपहर 1:52 से 3:31 बजे तक रहेगा। राहुकाल में कोई भी शुभ कार्य शुरू करना वर्जित माना जाता है, इसलिए इस समय सावधानी बरतें। सूर्योदय सुबह 5:33 बजे और सूर्यास्त शाम 7:51 बजे होगा, जो दिनचर्या और पूजा-अनुष्ठान के लिए महत्वपूर्ण समय हैं।
पंचांग के पांच अंग: एक नजर
हिंदू पंचांग समय की गणना का एक वैज्ञानिक और आध्यात्मिक आधार है। इसके पांच अंग—तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण—जीवन में हर कार्य को शुभ और सफल बनाने में मदद करते हैं। तिथि चंद्रमा और सूर्य की स्थिति के आधार पर तय होती है। इस दिन दशमी तिथि रात 2:16 बजे तक रहेगी, जिसके बाद एकादशी तिथि शुरू होगी।
नक्षत्र की बात करें तो हस्त नक्षत्र रात 6:28 बजे तक रहेगा, जो कार्यों में सफलता और समृद्धि का प्रतीक है। गुरुवार का वार बृहस्पति ग्रह से प्रभावित होता है, जो ज्ञान और समृद्धि का कारक है। सिद्धि योग सुबह 9:08 तक रहेगा, जो कार्यों में सिद्धि प्रदान करता है। करण में तैतिल दोपहर 1:04 तक और इसके बाद गारा करण प्रभावी रहेगा।
नक्षत्र और योग का महत्व
नक्षत्र आकाश में तारों के समूह हैं, जो जीवन के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित करते हैं। हस्त नक्षत्र इस दिन अपनी सकारात्मक ऊर्जा के साथ कार्यों में रचनात्मकता और सफलता लाता है। दूसरी ओर, योग सूर्य और चंद्रमा की विशेष दूरी पर आधारित होते हैं। सिद्धि योग इस दिन विशेष रूप से शुभ है, जो किसी भी कार्य को शुरू करने के लिए अनुकूल माना जाता है। कुल 27 योगों में सिद्धि योग अपनी विशेषता के लिए जाना जाता है।
करण और उनकी विशेषता
करण तिथि के दो हिस्सों में बंटा होता है—पूर्वार्ध और उत्तरार्ध। इस दिन तैतिल और गारा करण प्रभावी रहेंगे। करण का महत्व इसलिए है क्योंकि यह कार्यों की गति और परिणाम को प्रभावित करता है। उदाहरण के लिए, भद्रा करण में शुभ कार्य करने से बचना चाहिए, लेकिन इस दिन भद्रा का प्रभाव नहीं होगा, जिससे यह दिन और भी शुभ बन जाता है।
ज्योतिषीय गणना और हिंदू संस्कृति
हिंदू पंचांग न केवल समय की गणना करता है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं का भी आधार है। विक्रमी संवत 2082 और शक संवत 1947 (विश्वावसु) इस दिन प्रभावी रहेंगे। ज्येष्ठ मास गर्मी के मौसम का हिस्सा है, और इस समय गंगा स्नान का विशेष महत्व है। यह पंचांग न केवल धार्मिक कार्यों बल्कि दैनिक जीवन के निर्णयों, जैसे व्यापार, यात्रा और विवाह, के लिए भी मार्गदर्शन देता है।