e-Vitara की ड्रीम कार को मारुति ने लॉन्च से पहले ही दिया झटका, जानें पूरा मामला

मारुति सुजुकी की पहली इलेक्ट्रिक कार e-Vitara के उत्पादन पर रेयर अर्थ खनिजों की वैश्विक कमी के कारण गहरा असर पड़ा है। कंपनी को 2025-26 की पहली छमाही में 26,500 की जगह सिर्फ 8,294 कारें बनाने का फैसला लिया है, जो 66% की कटौती है। चीन के रेयर अर्थ निर्यात प्रतिबंधों ने इस संकट को बढ़ाया है, जिससे भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग में हलचल मच गई है।
e-Vitara की ड्रीम कार को मारुति ने लॉन्च से पहले ही दिया झटका, जानें पूरा मामला

भारत की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी अपनी पहली पूर्ण इलेक्ट्रिक कार e-Vitara के साथ इलेक्ट्रिक वाहन (EV) बाजार में धमाकेदार शुरुआत करने की तैयारी में थी। लेकिन, लॉन्च से पहले ही इस महत्वाकांक्षी परियोजना पर गहरे संकट के बादल मंडरा रहे हैं।

एक वैश्विक संकट के चलते कंपनी को e-Vitara के शुरुआती उत्पादन को लगभग दो-तिहाई तक कम करना पड़ा है। यह खबर उन लाखों ग्राहकों के लिए निराशाजनक है, जो मारुति की किफायती और भरोसेमंद इलेक्ट्रिक कार का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। आइए, इस पूरे मामले को गहराई से समझते हैं।

उत्पादन में भारी कटौती 

मारुति सुजुकी ने वित्तीय वर्ष 2025-26 की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर 2025) में 26,500 e-Vitara कारें बनाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा था। लेकिन, अब कंपनी के एक आंतरिक दस्तावेज से खुलासा हुआ है कि इस दौरान सिर्फ 8,200 कारें ही बन पाएंगी। यह उत्पादन में 66% से ज्यादा की भारी कटौती है। यह कमी न केवल मारुति की योजनाओं के लिए, बल्कि भारतीय EV बाजार में उसकी स्थिति के लिए भी एक बड़ा झटका है।

संकट की जड़ 

इस कटौती का मुख्य कारण 'रेयर अर्थ' खनिजों की वैश्विक कमी है। ये खनिज इलेक्ट्रिक वाहनों की मोटर में इस्तेमाल होने वाले शक्तिशाली और हल्के चुंबकों के लिए जरूरी हैं। ये चुंबक न केवल मोटर को दमदार बनाते हैं, बल्कि गाड़ी की परफॉरमेंस और दक्षता को भी बढ़ाते हैं। लेकिन, इन खनिजों की आपूर्ति में आई कमी ने मारुति की योजनाओं पर पानी फेर दिया है।

चीन का फैसला और वैश्विक हलचल

दुनिया में रेयर अर्थ खनिजों का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक देश चीन है। हाल ही में, चीन ने इन खनिजों के निर्यात पर सख्त प्रतिबंध लगा दिए। इस फैसले ने वैश्विक ऑटोमोबाइल उद्योग में हड़कंप मचा दिया, क्योंकि ज्यादातर कंपनियां इन सामग्रियों के लिए चीन पर निर्भर हैं। भारत भी इस संकट की चपेट में है, और मारुति सुजुकी को e-Vitara के उत्पादन में कटौती का कठिन फैसला लेना पड़ा। यह घटना दर्शाती है कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला कितनी नाजुक हो सकती है।

मारुति के लिए दोहरी चुनौती

यह संकट मारुति सुजुकी के लिए कई मोर्चों पर मुश्किलें खड़ी कर रहा है। भारत सरकार ने 2030 तक 30% कारों को इलेक्ट्रिक करने का लक्ष्य रखा है। इस दौड़ में टाटा मोटर्स और महिंद्रा जैसी कंपनियां पहले ही मजबूत स्थिति बना चुकी हैं। e-Vitara मारुति का इस बाजार में पहला बड़ा कदम था, लेकिन अब यह देरी कंपनी को और पीछे धकेल सकती है। दूसरी ओर, टेस्ला जैसी वैश्विक दिग्गज कंपनियां जल्द ही भारत में कदम रखने वाली हैं, जिससे प्रतिस्पर्धा और तेज हो जाएगी।

वैश्विक योजनाओं पर भी असर

मारुति की मूल कंपनी सुजुकी मोटर ने e-Vitara को न केवल भारत, बल्कि यूरोप और जापान जैसे बड़े बाजारों में निर्यात करने की योजना बनाई थी। लेकिन, उत्पादन में कमी का सीधा असर इन योजनाओं पर पड़ेगा। यह मारुति के लिए न केवल घरेलू, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी एक झटका है।

मारुति की उम्मीदें और भविष्य की रणनीति

इस संकट के बावजूद, मारुति ने हार नहीं मानी है। कंपनी का कहना है कि वह पहली छमाही की कमी को अगले छह महीनों (अक्टूबर 2025 से मार्च 2026) में तेजी से पूरा करने की कोशिश करेगी। इसके लिए उत्पादन की गति बढ़ाई जाएगी, ताकि साल के अंत तक 67,000 e-Vitara बनाने का लक्ष्य हासिल हो सके। लेकिन, यह तभी संभव होगा जब रेयर अर्थ की आपूर्ति में सुधार होगा।

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