PM Kisan में आया बड़ा बदलाव: अब सीधे बैंक में आएगा पैसा, जानिए कैसे

भारत की खेती को आधुनिक और पारदर्शी बनाने की दिशा में केंद्र सरकार ने एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। PM Kisan Yojana के तहत अब किसानों को एक यूनिक डिजिटल पहचान पत्र (Kisan ID) प्रदान किया जा रहा है।
यह पहल न केवल किसानों को सरकारी योजनाओं का लाभ तेजी से दिलाएगी, बल्कि उनकी जमीन, फसल और व्यक्तिगत जानकारी को एक सुरक्षित डिजिटल मंच पर संरक्षित भी करेगी। अब तक देश भर में 6.1 करोड़ से अधिक किसान इस डिजिटल सुविधा का हिस्सा बन चुके हैं।
यह पहल किसानों के लिए एक गेम-चेंजर साबित हो रही है, जो खेती को तकनीक के साथ जोड़कर उनकी जिंदगी को आसान बनाने का वादा करती है।
Kisan ID
किसान पहचान पत्र एक ऐसा डिजिटल कार्ड है, जो आधार कार्ड की तरह यूनिक है, लेकिन इसका उपयोग विशेष रूप से कृषि से जुड़ी योजनाओं और सेवाओं के लिए होता है। इस कार्ड में किसान का नाम, उनकी जमीन का विवरण, फसल का रिकॉर्ड और अन्य महत्वपूर्ण कृषि जानकारी डिजिटल रूप में संग्रहित होती है।
इसकी मदद से सरकार आसानी से यह तय कर सकती है कि कौन सा किसान किन योजनाओं के लिए पात्र है। साथ ही, यह गलत लाभार्थियों को रोकने और सही किसानों तक योजनाओं का लाभ पारदर्शी तरीके से पहुंचाने में मदद करता है। यह डिजिटल पहचान पत्र किसानों को सरकारी योजनाओं का लाभ लेने में तेजी और सुविधा प्रदान करता है।
PM Kisan Yojana को मिला डिजिटल बढ़ावा
PM Kisan Samman Nidhi Yojana के तहत किसानों को हर साल 6,000 रुपये की आर्थिक सहायता तीन किश्तों में दी जाती है। लेकिन कई बार गलत जानकारी, जमीन के विवाद या तकनीकी समस्याओं के कारण किसानों को इस योजना का पूरा लाभ नहीं मिल पाता।
Kisan ID के साथ अब किसानों की जमीन और अन्य जानकारी डिजिटल सिस्टम में दर्ज रहेगी, जिससे PM Kisan योजना की राशि सीधे और जल्दी उनके खातों में पहुंचेगी। इसके अलावा, फसल बीमा योजना, किसान क्रेडिट कार्ड और उर्वरक सब्सिडी जैसी अन्य योजनाओं को भी इस डिजिटल पहचान से जोड़ा जा रहा है, ताकि किसानों को एक ही मंच से सभी सुविधाएं मिल सकें।
किन राज्यों ने मारी बाजी?
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, उत्तर प्रदेश इस डिजिटल क्रांति में सबसे आगे है, जहां 1.3 करोड़ किसानों को Kisan ID मिल चुका है। इसके बाद महाराष्ट्र (99 लाख), मध्य प्रदेश (83 लाख), राजस्थान (75 लाख), आंध्र प्रदेश (45 लाख), गुजरात (44 लाख) और तमिलनाडु (30 लाख) जैसे राज्य इस सूची में शामिल हैं।
बिहार, असम, ओडिशा, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और केरल जैसे राज्यों में भी तेजी से किसानों को डिजिटल पहचान दी जा रही है। यह आंकड़े दर्शाते हैं कि देश भर में किसान इस डिजिटल पहल को उत्साह के साथ अपना रहे हैं।
सरकार का बड़ा लक्ष्य और डिजिटल भविष्य
केंद्र सरकार का लक्ष्य है कि वित्त वर्ष 2026-27 तक देश के 11 करोड़ किसानों को यह यूनिक डिजिटल पहचान पत्र मिल जाए। इसके लिए Digital Agriculture Mission शुरू की गई है, जिसका कुल बजट 2,817 करोड़ रुपये है। इस मिशन के तहत डिजिटल फसल सर्वे, मिट्टी की उर्वरता प्रोफाइल और AgriStack जैसे डेटा सिस्टम विकसित किए जा रहे हैं।
सरकार का सपना है कि भविष्य में सभी कृषि योजनाएं पूरी तरह से डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए संचालित हों, जिससे किसानों को अधिकतम लाभ मिले और खेती में पारदर्शिता बढ़े।