बड़ी खबर! भारत में खत्म होने वाली है गरीबी - SBI ने बताया चौंकाने वाला अनुमान

भारत के लिए एक और बड़ी खुशखबरी सामने आई है, जो हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा कर देगी। State Bank Of India (SBI) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, साल 2024 में देश में गरीबी का स्तर और नीचे आने की संभावना है। अनुमान है कि इस साल गरीबी दर घटकर मात्र 4.6% रह जाएगी, जो World Bank के 2023 के 5.3% के अनुमान से कहीं बेहतर है।
यह उपलब्धि भारत की आर्थिक प्रगति और नीति-निर्माण में सुधार का एक जीवंत प्रमाण है। आइए, इस खबर को गहराई से समझते हैं और जानते हैं कि कैसे भारत ने गरीबी के खिलाफ इस जंग में शानदार कामयाबी हासिल की है।
गरीबी में कमी
पिछले कुछ सालों में भारत ने गरीबी उन्मूलन के क्षेत्र में ऐतिहासिक प्रगति की है। State Bank Of India की रिपोर्ट बताती है कि बेहतर डेटा संग्रहण और नई परिभाषाओं के चलते गरीबी के आंकड़ों में कमी देखी जा रही है। हाल ही में हुए Household Consumption Expenditure Survey (HCES) में Modified Mixed Recall Period (MMRP) विधि का इस्तेमाल किया गया, जिसने पुरानी Uniform Reference Period (URP) पद्धति को पीछे छोड़ दिया। इस नई तकनीक ने घरेलू खपत के आंकड़ों को और सटीक बनाया, जिससे गरीबी के अनुमान में उल्लेखनीय कमी आई।
यह बदलाव कोई छोटा-मोटा नहीं है। उदाहरण के तौर पर, साल 2011-12 में MMRP विधि के इस्तेमाल से गरीबी दर 22.9% से घटकर 16.22% हो गई थी, जब USD 2.15 प्रति दिन की गरीबी रेखा को आधार बनाया गया। वहीं, 2022-23 के सर्वे में नई USD 3.00 प्रति दिन की गरीबी रेखा के तहत गरीबी दर केवल 5.25% रही, और पुरानी USD 2.15 रेखा के हिसाब से यह और भी कम, यानी 2.35% थी। यह आंकड़े भारत की मेहनत और समर्पण को दर्शाते हैं।
नई तकनीक, नया नजरिया
आप सोच रहे होंगे कि ये आंकड़े इतने सटीक कैसे आते हैं? दरअसल, Modified Mixed Recall Period (MMRP) विधि में खरीदे गए सामानों के लिए अलग-अलग समयावधि का रिकॉल पीरियड इस्तेमाल होता है। इससे घरेलू खपत का सही-सही आकलन हो पाता है। नतीजा? राष्ट्रीय सर्वे में खपत का स्तर बढ़ा हुआ दिखता है, जिससे गरीबी के आंकड़े कम हो जाते हैं। यह तकनीक पुरानी Uniform Reference Period से कहीं ज्यादा प्रभावी है, क्योंकि यह छोटी-छोटी खरीदारी को भी ध्यान में रखती है।
विश्व मंच पर भारत की छाप
World Bank ने हाल ही में वैश्विक गरीबी रेखा को USD 2.15 (2017 PPP) से बढ़ाकर USD 3.00 (2021 PPP) प्रति दिन कर दिया, जिसके चलते दुनिया भर में 226 मिलियन लोग गरीबी रेखा के नीचे आ गए। लेकिन भारत ने यहां भी बाजी मारी। बेहतर खपत डेटा और सर्वे विधियों की बदौलत भारत ने वैश्विक गरीबी के आंकड़ों को 125 मिलियन तक कम करने में योगदान दिया। यह न केवल भारत के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक बड़ी जीत है।