'देसी दारू' ने मचाया तहलका, विदेशी ब्रैंड्स को पीछे छोड़ पहली बार बनी नंबर वन पसंद

भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया में पांचवें स्थान पर है और जल्द ही यह चौथी सबसे बड़ी इकोनॉमी बनने की राह पर है। लेकिन आज हम अर्थव्यवस्था की बात नहीं करेंगे, बल्कि उस स्वाद की बात करेंगे जो भारतीयों के दिलों पर छा रहा है। जी हां, यह कहानी है देसी सिंगल मॉल्ट व्हिस्की की, जिसने विदेशी स्कॉच को बिक्री के मैदान में धूल चटा दी है।
भारतीय ब्रांड्स अब न केवल स्थानीय बाजार में अपनी धाक जमा रहे हैं, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी अपनी पहचान बना रहे हैं। आइए, जानते हैं कि कैसे भारत की सिंगल मॉल्ट ने यह ऐतिहासिक जीत हासिल की और क्या है इसके पीछे की कहानी।
पिछले कुछ वर्षों में भारतीय सिंगल मॉल्ट व्हिस्की ने बाजार में तहलका मचा दिया है। एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, 2024 में भारतीय सिंगल मॉल्ट की बिक्री ने विदेशी स्कॉच को पीछे छोड़ दिया। यह पहली बार है जब देसी ब्रांड्स ने स्कॉच को बिक्री के मामले में मात दी है।
जहां 2023 में भारतीय सिंगल मॉल्ट की बिक्री में 75% से अधिक की वृद्धि देखी गई थी, वहीं 2024 में यह आंकड़ा और भी मजबूत हुआ, जिसमें 25% से ज्यादा की बढ़ोतरी दर्ज की गई। दूसरी ओर, स्कॉच की बिक्री में भारी गिरावट देखी गई, जो 2020 के कोविड काल से भी ज्यादा थी।
यह बदलाव न केवल बाजार की गतिशीलता को दर्शाता है, बल्कि भारतीय उपभोक्ताओं की बदलती पसंद को भी उजागर करता है।
सिंगल मॉल्ट का जादू क्या है?
सिंगल मॉल्ट वह व्हिस्की है, जो एक ही डिस्टिलरी में तैयार की जाती है और इसका स्वाद अनूठा होता है। भारत में अमृत और पॉल जॉन जैसे ब्रांड्स ने करीब ढाई दशक पहले इसकी शुरुआत की थी। लेकिन हाल के वर्षों में पिकैडली एग्रो के इंद्री और कॉमेट, साथ ही रेडिको खेतान के रामपुर जैसे ब्रांड्स ने बाजार में अपनी मजबूत मौजूदगी दर्ज की है।
ये ब्रांड्स न केवल स्वाद में बेहतर हैं, बल्कि उनकी पैकेजिंग और कीमत भी उपभोक्ताओं को लुभा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारतीय सिंगल मॉल्ट की गुणवत्ता अब वैश्विक स्तर पर स्कॉच को टक्कर दे रही है।
देसी व्हिस्की की जीत के पीछे क्या?
अमृत डिस्टिलरीज के प्रबंध निदेशक रक्षित जगदाले का कहना है कि भारतीय सिंगल मॉल्ट की गुणवत्ता, आकर्षक पैकेजिंग और किफायती कीमत ने इसे उपभोक्ताओं की पहली पसंद बनाया है। इसके अलावा, स्वदेशी उत्पादों के प्रति बढ़ता रुझान और राष्ट्रवाद की भावना ने भी इसकी लोकप्रियता को बढ़ाया है।
बाजार में अब उपभोक्ताओं के पास अधिक विकल्प हैं, और दुकानों से लेकर मिलिट्री कैंटीन तक, देसी सिंगल मॉल्ट की पहुंच बढ़ रही है। यह न केवल एक पेय है, बल्कि भारतीय कारीगरी और आत्मनिर्भरता का प्रतीक बन चुका है।