क्या सिर्फ रजिस्ट्री से आप प्रॉपर्टी के मालिक बन जाते हैं? जानिए सच्चाई जो ज़्यादातर लोग नहीं जानते

भारत में प्रॉपर्टी खरीदना एक बड़ा सपना है, लेकिन सिर्फ रजिस्ट्री से मालिकाना हक नहीं मिलता। असली स्वामित्व के लिए बिक्री विलेख, मालिकाना विलेख, बोझ प्रमाण पत्र, खाता प्रमाण पत्र, म्युटेशन प्रमाण पत्र, और प्रॉपर्टी टैक्स रसीद जैसे दस्तावेज जरूरी हैं।
क्या सिर्फ रजिस्ट्री से आप प्रॉपर्टी के मालिक बन जाते हैं? जानिए सच्चाई जो ज़्यादातर लोग नहीं जानते

घर या जमीन खरीदना हर किसी का सपना होता है। मेहनत की कमाई से खरीदी गई प्रॉपर्टी में अपने परिवार के साथ सुखी जीवन की उम्मीद हर खरीदार करता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सिर्फ रजिस्ट्री करवाने से आप उस प्रॉपर्टी के पूर्ण मालिक नहीं बन जाते?

जी हाँ, भारत में प्रॉपर्टी खरीदने की प्रक्रिया जितनी रोमांचक है, उतनी ही जटिल भी। रजिस्ट्री तो सिर्फ पहला कदम है, लेकिन असली मालिकाना हक पाने के लिए कई जरूरी दस्तावेजों की जरूरत होती है। अगर ये दस्तावेज पूरे नहीं हैं, तो भविष्य में कानूनी परेशानियाँ, विवाद, या बैंक लोन लेने में दिक्कतें आ सकती हैं। आइए जानते हैं कि प्रॉपर्टी का असली मालिक बनने के लिए क्या-क्या चाहिए और क्यों है यह इतना महत्वपूर्ण।

रजिस्ट्री: पहला कदम, लेकिन पूरी कहानी नहीं

रजिस्ट्री वह प्रक्रिया है, जिसमें प्रॉपर्टी की खरीद-बिक्री को सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज किया जाता है। यह काम सब-रजिस्ट्रार ऑफिस में होता है और इसके बाद ही प्रॉपर्टी का हस्तांतरण कानूनी रूप से मान्य होता है। लेकिन यह समझना जरूरी है कि रजिस्ट्री सिर्फ एक औपचारिकता है।

असली मालिकाना हक साबित करने के लिए आपको बिक्री विलेख (Sale Deed), मालिकाना विलेख (Title Deed), और कई अन्य दस्तावेजों की जरूरत पड़ती है। बिना इनके, आपकी प्रॉपर्टी का स्वामित्व अधूरा माना जा सकता है, जिससे भविष्य में विवाद या कानूनी मुश्किलें हो सकती हैं।

असली मालिकाना हक के लिए जरूरी दस्तावेज

प्रॉपर्टी का असली मालिक बनने के लिए कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज जरूरी हैं, जो न केवल आपका स्वामित्व साबित करते हैं, बल्कि कानूनी और वित्तीय प्रक्रियाओं में भी मदद करते हैं। इनमें शामिल हैं:

  • बिक्री विलेख (Sale Deed): यह प्रॉपर्टी का सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज है, जिसमें खरीदार और विक्रेता के नाम, प्रॉपर्टी की कीमत, और शर्तें दर्ज होती हैं। इसे रजिस्ट्री ऑफिस में पंजीकृत करवाना अनिवार्य है।
  • मालिकाना विलेख (Title Deed): यह दस्तावेज प्रॉपर्टी के स्वामित्व का इतिहास और पिछले मालिकों की जानकारी देता है। बैंक लोन या प्रॉपर्टी बेचने के लिए यह जरूरी है।
  • बोझ प्रमाण पत्र (Encumbrance Certificate): यह प्रमाणित करता है कि प्रॉपर्टी पर कोई कर्ज, बंधक, या कानूनी विवाद नहीं है। यह लोन या प्रॉपर्टी बेचने के लिए आवश्यक है।
  • खाता प्रमाण पत्र (Khata Certificate): यह म्युनिसिपल रिकॉर्ड में प्रॉपर्टी की मौजूदगी का सबूत है। यह टैक्स, बिजली, या पानी के कनेक्शन के लिए जरूरी होता है।
  • म्युटेशन प्रमाण पत्र (Mutation Certificate): यह सरकारी रिकॉर्ड में प्रॉपर्टी के नए मालिक के नाम को दर्ज करने का प्रमाण है। इसके बिना स्वामित्व अधूरा माना जाता है।
  • प्रॉपर्टी टैक्स रसीदें: ये रसीदें दर्शाती हैं कि प्रॉपर्टी टैक्स समय पर भरा गया है। टैक्स बकाया होने पर कानूनी दिक्कतें हो सकती हैं।
  • समाप्ति प्रमाण पत्र (Completion Certificate): नए घर के लिए यह प्रमाणित करता है कि निर्माण कार्य नियमों के अनुसार पूरा हुआ है।
  • अधिवास प्रमाण पत्र (Occupancy Certificate): यह दस्तावेज बताता है कि प्रॉपर्टी रहने के लिए सुरक्षित और नियमों के अनुरूप है।
  • पजेशन लेटर: यह बिल्डर या पिछले मालिक से मिलता है, जो प्रॉपर्टी की फिजिकल डिलीवरी की तारीख दर्शाता है।

अन्य जरूरी दस्तावेज

कुछ अन्य दस्तावेज भी मालिकाना हक को मजबूत करते हैं, जैसे मदर डीड (प्रॉपर्टी का पूरा इतिहास), पावर ऑफ अटॉर्नी (अगर कोई दूसरा व्यक्ति खरीदारी कर रहा है), नो ड्यू सर्टिफिकेट (सोसाइटी या बिल्डर से बकाया राशि न होने का सबूत), और बिल्डिंग प्लान अप्रूवल (निर्माण की मंजूरी)। अगर प्रॉपर्टी कृषि भूमि से रिहायशी में बदली गई है, तो लैंड यूज कन्वर्जन सर्टिफिकेट भी जरूरी है।

गलतफहमियाँ और सावधानियाँ

कई लोग मानते हैं कि सिर्फ पैसे देने या रजिस्ट्री करवाने से वे प्रॉपर्टी के मालिक बन जाते हैं, लेकिन यह गलतफहमी है। असली मालिकाना हक के लिए लिखित और रजिस्टर्ड दस्तावेज जरूरी हैं। मौखिक समझौते कानूनी रूप से मान्य नहीं होते। इसके अलावा, विरासत में मिली प्रॉपर्टी के लिए सक्सेसर सर्टिफिकेट या लीगल हेयर सर्टिफिकेट जैसे दस्तावेज अनिवार्य हैं। अगर प्रॉपर्टी में सह-स्वामित्व है, तो एग्रीमेंट में लिखित हिस्सेदारी ही मान्य होती है।

मालिकाना हक पाने की प्रक्रिया

  • प्रॉपर्टी की जाँच: खरीदने से पहले टाइटल डीड, बोझ प्रमाण पत्र, और टैक्स रसीदें जाँच लें।  
  • सेल एग्रीमेंट: खरीद-बिक्री की शर्तें लिखित में तय करें।  
  • रजिस्ट्री: बिक्री विलेख को रजिस्ट्री ऑफिस में पंजीकृत करवाएँ।  
  • म्युटेशन: सरकारी रिकॉर्ड में नाम बदलवाएँ।  
  • टैक्स भुगतान: प्रॉपर्टी टैक्स समय पर भरें और रसीदें रखें।  
  • प्रमाण पत्र: नए घर के लिए समाप्ति और अधिवास प्रमाण पत्र लें।  
  • खाता प्रमाण पत्र: म्युनिसिपल रिकॉर्ड में प्रॉपर्टी की एंट्री करवाएँ।

सावधानियाँ जो बचाएँगी परेशानी से

प्रॉपर्टी खरीदने से पहले सभी दस्तावेजों की जाँच किसी वकील या विशेषज्ञ से करवाएँ। ओरिजिनल और कॉपी दोनों सुरक्षित रखें। समय पर टैक्स भरें और म्युटेशन व खाता प्रमाण पत्र बनवाएँ। अगर प्रॉपर्टी विरासत में मिली है, तो तुरंत लीगल हेयर सर्टिफिकेट बनवाएँ। ये छोटे-छोटे कदम आपको भविष्य की बड़ी परेशानियों से बचा सकते हैं।

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