तेल के बढ़ते दामों पर जल्द लगेगा ब्रेक, खाने के तेल के दाम में जल्द हो सकती है 6% तक गिरावट

केंद्र सरकार के आयात शुल्क में 10% कटौती के फैसले से खाद्य तेल की कीमतों में जल्द राहत मिलने की उम्मीद है। अगले दो हफ्तों में सरसों, सोयाबीन, और सूरजमुखी जैसे खाने के तेल की कीमतों में 5-6% की कमी आ सकती है। यह बदलाव न केवल आयातित तेलों, बल्कि चावल भूसी और सरसों जैसे घरेलू तेलों को भी प्रभावित करेगा।
तेल के बढ़ते दामों पर जल्द लगेगा ब्रेक, खाने के तेल के दाम में जल्द हो सकती है 6% तक गिरावट

भारत में आम लोगों के लिए एक अच्छी खबर है। केंद्र सरकार के एक बड़े फैसले के बाद खाद्य तेल की कीमतों में कमी की उम्मीद जताई जा रही है। अगले कुछ हफ्तों में रसोई में इस्तेमाल होने वाले तेल, जैसे सरसों, सोयाबीन, और सूरजमुखी तेल, 5-6% तक सस्ते हो सकते हैं।

यह राहत आयात शुल्क में 10% की कटौती के कारण संभव हो रही है, जिससे न केवल आयातित तेल बल्कि घरेलू तेलों की कीमतों में भी नरमी आएगी। आइए जानते हैं कि यह बदलाव कैसे और क्यों हो रहा है, और इसका आपके किचन के बजट पर क्या असर पड़ेगा।

पिछले कुछ महीनों में खाद्य तेल की कीमतों में लगभग 17% की बढ़ोतरी ने आम लोगों की जेब पर भारी बोझ डाला था। लेकिन अब विशेषज्ञों का मानना है कि कीमतें जल्द ही सामान्य स्तर पर आ सकती हैं। इमामी एग्रोटेक के सीईओ सुधाकर राव देसाई ने बताया कि थोक बाजारों में कीमतों में कमी के संकेत दिखने शुरू हो गए हैं, और अगले 15 दिनों में यह खुदरा बाजार में भी दिखाई देगा।

उनका कहना है कि यह कमी केवल आयातित तेलों तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि सरसों जैसे घरेलू तेलों की कीमतों में भी 3-4% की कमी देखने को मिल सकती है। यह बदलाव न केवल उपभोक्ताओं के लिए राहत लाएगा, बल्कि भारत के खाद्य तेल उद्योग को भी मजबूती देगा।

केंद्र सरकार ने कच्चे और रिफाइंड तेल पर आयात शुल्क के अंतर को 12.5% से बढ़ाकर 22.5% कर दिया है। इस नीतिगत बदलाव से कंपनियों के लिए कच्चा तेल आयात करना और उसे भारत में रिफाइन करना अधिक किफायती हो गया है। हलदर वेंचर लिमिटेड के प्रबंध निदेशक केशव हलदर ने इसे एक क्रांतिकारी कदम बताया।

उनका कहना है कि इस कदम से न केवल तेल की कीमतें कम होंगी, बल्कि रिफाइनिंग उद्योग में क्षमता उपयोग 20-25% तक बढ़ सकता है। इससे मेक इन इंडिया पहल को भी बल मिलेगा, क्योंकि अब कंपनियां आयातित रिफाइंड तेल पर कम निर्भर होंगी।

यह बदलाव सोयाबीन, सूरजमुखी, और पाम तेल जैसे आयातित तेलों के साथ-साथ चावल भूसी और सरसों जैसे घरेलू तेलों की कीमतों को भी प्रभावित करेगा। विशेषज्ञों का अनुमान है कि अगले कुछ हफ्तों में खुदरा बाजार में कीमतों में कमी का असर साफ दिखाई देगा। यह कदम न केवल उपभोक्ताओं को राहत देगा, बल्कि भारत के खाद्य तेल उद्योग को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगा।

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