₹12,000 सस्ता हो सकता है गोल्ड, विशेषज्ञों ने बताई चौंकाने वाली वजह

पिछले कुछ महीनों में सोने की कीमतों ने निवेशकों को हैरान कर रखा है। एक समय सोना 1 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम तक पहुंच गया था, लेकिन हाल ही में भारत-पाकिस्तान तनाव और भारत के ऑपरेशन सिंदूर के बाद इसमें 2,000 रुपये की गिरावट देखी गई। अब सोना 97,000 रुपये प्रति 10 ग्राम पर कारोबार कर रहा है।
विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले महीनों में सोने के दाम 80,000 से 85,000 रुपये के बीच स्थिर हो सकते हैं। आखिर क्या हैं इसके पीछे के कारण, और निवेशकों के लिए इसका क्या मतलब है? आइए जानते हैं।
बाजार में बड़े वित्तीय खिलाड़ियों द्वारा मुनाफा वसूली एक बड़ा कारण है। जब सोने की कीमतें अपने चरम पर थीं, तब कई निवेशकों ने मुनाफा कमाने के लिए बिकवाली शुरू की, जिससे कीमतों पर दबाव बढ़ा। केडिया एडवाइजरी के निदेशक अजय सुरेश केडिया के अनुसार, अप्रैल-मई में सोने में 10% की गिरावट देखी गई थी, और अब भी 12,000 रुपये तक की कमी की संभावना है।
इसका मतलब है कि सोना जल्द ही किफायती स्तर पर आ सकता है, जो निवेशकों के लिए अवसर हो सकता है।
वैश्विक स्तर पर तनाव में कमी भी सोने की कीमतों को प्रभावित कर रही है। जब भूराजनीतिक तनाव बढ़ता है, तो सोने की मांग बढ़ती है, लेकिन हाल ही में भारत-पाकिस्तान तनाव कम होने और अमेरिका के टैरिफ नीति में नरमी से सोने को मिलने वाला समर्थन कमजोर पड़ा है। इससे कीमतों में और करेक्शन की संभावना है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की आगामी 6 जून की मौद्रिक नीति बैठक भी महत्वपूर्ण है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि आरबीआई अर्थव्यवस्था को समर्थन देने के लिए रेपो रेट में कटौती कर सकता है, जो सोने की कीमतों को और नीचे ला सकता है। दूसरी ओर, अमेरिका में फेडरल रिजर्व पर ब्याज दरों में कटौती का दबाव है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि अगर फेड दरें स्थिर रखता है, तो सोने में और गिरावट देखने को मिल सकती है।
निवेशकों के लिए यह समय सतर्कता और अवसर दोनों का है। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि सोने में निवेश से पहले बाजार के रुझानों और वैश्विक आर्थिक स्थिति पर नजर रखें। क्या यह गिरावट निवेश का सुनहरा मौका है, या अभी और इंतजार करना चाहिए? यह निवेशकों की रणनीति पर निर्भर करता है।
पिछले कुछ महीनों में सोने की कीमतों ने निवेशकों को हैरान कर रखा है। एक समय सोना 1 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम तक पहुंच गया था, लेकिन हाल ही में भारत-पाकिस्तान तनाव और भारत के ऑपरेशन सिंदूर के बाद इसमें 2,000 रुपये की गिरावट देखी गई। अब सोना 97,000 रुपये प्रति 10 ग्राम पर कारोबार कर रहा है।
विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले महीनों में सोने के दाम 80,000 से 85,000 रुपये के बीच स्थिर हो सकते हैं। आखिर क्या हैं इसके पीछे के कारण, और निवेशकों के लिए इसका क्या मतलब है? आइए जानते हैं।
बाजार में बड़े वित्तीय खिलाड़ियों द्वारा मुनाफा वसूली एक बड़ा कारण है। जब सोने की कीमतें अपने चरम पर थीं, तब कई निवेशकों ने मुनाफा कमाने के लिए बिकवाली शुरू की, जिससे कीमतों पर दबाव बढ़ा। केडिया एडवाइजरी के निदेशक अजय सुरेश केडिया के अनुसार, अप्रैल-मई में सोने में 10% की गिरावट देखी गई थी, और अब भी 12,000 रुपये तक की कमी की संभावना है। इसका मतलब है कि सोना जल्द ही किफायती स्तर पर आ सकता है, जो निवेशकों के लिए अवसर हो सकता है।
वैश्विक स्तर पर तनाव में कमी भी सोने की कीमतों को प्रभावित कर रही है। जब भूराजनीतिक तनाव बढ़ता है, तो सोने की मांग बढ़ती है, लेकिन हाल ही में भारत-पाकिस्तान तनाव कम होने और अमेरिका के टैरिफ नीति में नरमी से सोने को मिलने वाला समर्थन कमजोर पड़ा है। इससे कीमतों में और करेक्शन की संभावना है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की आगामी 6 जून की मौद्रिक नीति बैठक भी महत्वपूर्ण है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि आरबीआई अर्थव्यवस्था को समर्थन देने के लिए रेपो रेट में कटौती कर सकता है, जो सोने की कीमतों को और नीचे ला सकता है। दूसरी ओर, अमेरिका में फेडरल रिजर्व पर ब्याज दरों में कटौती का दबाव है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि अगर फेड दरें स्थिर रखता है, तो सोने में और गिरावट देखने को मिल सकती है।
निवेशकों के लिए यह समय सतर्कता और अवसर दोनों का है। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि सोने में निवेश से पहले बाजार के रुझानों और वैश्विक आर्थिक स्थिति पर नजर रखें। क्या यह गिरावट निवेश का सुनहरा मौका है, या अभी और इंतजार करना चाहिए? यह निवेशकों की रणनीति पर निर्भर करता है।