महंगाई पर सरकार का बड़ा वार! अरहर दाल होगी पहले से सस्ती

केंद्र सरकार ने अरहर दाल की कीमतों पर लगाम लगाने के लिए 3.4 लाख टन तुअर की खरीद की। मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) के तहत एमएसपी पर खरीद से किसानों को फायदा और बफर स्टॉक से दाम नियंत्रित होंगे। कर्नाटक से सबसे अधिक खरीद, आत्मनिर्भर भारत की दिशा में कदम।
महंगाई पर सरकार का बड़ा वार! अरहर दाल होगी पहले से सस्ती

केंद्र सरकार ने देश में बढ़ती दालों की कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। अरहर दाल, जिसे तुअर के नाम से भी जाना जाता है, के दामों को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) के तहत बड़े पैमाने पर खरीद शुरू की है। इस पहल का मकसद न केवल आम लोगों को सस्ती दाल उपलब्ध कराना है, बल्कि किसानों को उनकी मेहनत का उचित मूल्य दिलाना भी है। आइए, इस खबर को विस्तार से समझते हैं।

मूल्य समर्थन योजना, दालों के दामों पर नकेल

कृषि मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, सरकार ने इस साल अब तक 3.4 लाख टन अरहर दाल की खरीद की है। यह खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर की गई है, जिससे किसानों को बाजार में कम कीमतों का नुकसान न हो। मंत्रालय ने नौ राज्यों से कुल 13.22 लाख टन अरहर दाल की खरीद को मंजूरी दी है। सरकार का लक्ष्य है कि खुले बाजार में दालों की आपूर्ति बढ़ाकर कीमतों को स्थिर रखा जाए। इसके लिए 10 लाख टन का बफर स्टॉक तैयार करने की योजना है। यह कदम महंगाई से जूझ रहे आम लोगों के लिए राहत की खबर है।

कर्नाटक बना खरीद का केंद्र

अरहर दाल की खरीद में कर्नाटक सबसे आगे है। यहां से सरकार ने 1.3 लाख टन दाल खरीदी है। कर्नाटक के किसानों को 7,550 रुपये प्रति क्विंटल की एमएसपी के साथ-साथ 450 रुपये प्रति क्विंटल का अतिरिक्त बोनस भी दिया जा रहा है। यह बोनस किसानों के लिए एक बड़ा प्रोत्साहन है। इसके अलावा, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों से भी अरहर की खरीद की गई है। इन राज्यों के किसानों को भी एमएसपी का लाभ मिल रहा है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।

चना, मसूर और मूंग की खरीद में भी तेजी

अरहर के अलावा सरकार ने अन्य दालों की खरीद पर भी ध्यान दिया है। तेलंगाना और मध्य प्रदेश से 17,000 टन चना खरीदा गया है, हालांकि 27 लाख टन चना खरीद की मंजूरी के बावजूद प्रक्रिया धीमी रही है। इसका कारण आयातित चना पर 10 प्रतिशत शुल्क है, जिसके चलते घरेलू कीमतें एमएसपी से ऊपर चली गई हैं। वहीं, मसूर की खरीद 28,700 टन और मूंग की खरीद 3,000 टन तक पहुंच चुकी है। ये आंकड़े दर्शाते हैं कि सरकार दालों की उपलब्धता बढ़ाने के लिए हर स्तर पर काम कर रही है।

आत्मनिर्भर भारत: दाल उत्पादन का सपना

सरकार ने 2024-25 के बजट में दाल उत्पादन में आत्मनिर्भरता को प्राथमिकता दी है। इसके तहत 2028-29 तक अरहर, मसूर और उड़द जैसी दालों का उत्पादन बढ़ाने की योजना है। केंद्रीय एजेंसियां इन दालों की खरीद को प्रोत्साहित करेंगी। हाल के वर्षों में दालों के घरेलू उत्पादन में वृद्धि हुई है, लेकिन फिर भी भारत को आयात पर निर्भर रहना पड़ता है। सरकार का यह कदम आयात पर निर्भरता कम करने और स्थानीय किसानों को सशक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा प्रयास है।

आम लोगों और किसानों के लिए दोहरी जीत

यह योजना आम लोगों और किसानों दोनों के लिए फायदेमंद है। जहां एक ओर बफर स्टॉक के जरिए बाजार में दालों की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित होगी, वहीं दूसरी ओर किसानों को उनकी फसल का उचित दाम मिलेगा। खासकर उन राज्यों में जहां दालों का उत्पादन बड़े पैमाने पर होता है, यह योजना स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती देगी।

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