Onion Price : क्या प्याज फिर करेगा रुलाने को मजबूर? बारिश से फसल बर्बाद, कीमतें बढ़ने की आशंका

Onion Price : महाराष्ट्र इस साल मई में अभूतपूर्व भारी बारिश की चपेट में आ गया। इस प्राकृतिक आपदा ने प्याज की फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया, जिससे किसानों को करोड़ों रुपये का घाटा हुआ। खेतों में हजारों टन प्याज सड़ गए, जिसने न केवल किसानों की आजीविका को प्रभावित किया बल्कि बाजार में प्याज की कीमतों पर भी सवाल खड़े कर दिए।
क्या आने वाले दिनों में प्याज की कीमतें आसमान छूएंगी? यह सवाल हर किसी के मन में है। इस बीच, महाराष्ट्र के प्याज उत्पादक किसानों ने सरकार से मुआवजे की मांग की है ताकि इस नुकसान से उबरने में मदद मिल सके।
महाराष्ट्र राज्य कांडा उत्पादक संगठन ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को एक पत्र लिखकर अपनी पीड़ा बयां की। संगठन ने बताया कि जलगांव, धुले, नासिक, अहिल्यानगर, छत्रपति संभाजीनगर, पुणे, सोलापुर, बीड, धाराशिव, सांगली, बुलढाणा, अकोला, परभणी और जालना जैसे प्रमुख प्याज उत्पादक जिले भारी बारिश से बुरी तरह प्रभावित हुए।
संगठन के अध्यक्ष भरत दिघोले और नासिक जिला प्रमुख जयदीप भदाणे ने पत्र में लिखा कि 6 मई से शुरू हुई मूसलाधार बारिश ने रबी सीजन की प्याज की फसल को भारी नुकसान पहुंचाया। कई किसानों ने अपनी पूरी फसल कटाई से पहले ही खो दी, जिसके चलते उन्होंने प्रति एकड़ 1 लाख रुपये के मुआवजे की मांग की है।
इसके अलावा, जिन किसानों की फसल कटाई के बाद भंडारण से पहले खराब हो गई, उनके लिए 2,000 रुपये प्रति क्विंटल की सब्सिडी की मांग भी उठाई गई है।
इस आपदा ने न केवल किसानों की मेहनत पर पानी फेरा बल्कि उनकी आर्थिक स्थिति को भी कमजोर कर दिया। संगठन ने यह भी मांग की कि भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नेफेड) और राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ को केंद्रीय बफर स्टॉक के लिए कम से कम 3,000 रुपये प्रति क्विंटल की दर से तीन लाख टन प्याज सीधे किसानों से खरीदना चाहिए।
यह कदम न केवल किसानों को राहत देगा बल्कि बाजार में प्याज की आपूर्ति को भी स्थिर रखने में मदद करेगा। संगठन ने सरकार से तत्काल नुकसान का आकलन करने और प्रभावित किसानों को जल्द से जल्द मुआवजा देने की अपील की है।
प्याज की फसल के इस नुकसान ने बाजार में हलचल मचा दी है। पिछले कुछ वर्षों में भी बारिश के कारण फसल खराब होने से प्याज की कीमतों में उछाल देखा गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि आपूर्ति में कमी आई तो आने वाले महीनों में प्याज की कीमतें बढ़ सकती हैं।
यह स्थिति न केवल आम उपभोक्ताओं के लिए चिंता का विषय है बल्कि सरकार के लिए भी एक बड़ी चुनौती बन सकती है। फिलहाल, किसानों और संगठनों की नजर सरकार के अगले कदम पर टिकी है। क्या सरकार इस संकट में किसानों का साथ देगी और बाजार में स्थिरता बनाए रखेगी? यह देखना अभी बाकी है।