Organic Farming: मिट्टी में मिल रहा सोना, जैविक खेती से हो रही 3 गुना कमाई

Organic Farming: जैविक खेती आज के समय में सेहत और पर्यावरण के लिए एक क्रांतिकारी कदम बन चुकी है। रासायनिक खाद और कीटनाशकों से मुक्त, यह खेती प्राकृतिक संसाधनों जैसे गाय के गोबर, वर्मी कम्पोस्ट और नीम के अर्क का उपयोग करती है। 
Organic Farming: मिट्टी में मिल रहा सोना, जैविक खेती से हो रही 3 गुना कमाई 

Organic Farming: आज के दौर में, जब लोग अपनी सेहत और पर्यावरण के प्रति जागरूक हो रहे हैं, जैविक खेती ने कृषि क्षेत्र में एक नई उम्मीद की किरण जगाई है। रासायनिक खेती के दुष्परिणामों से चिंतित लोग अब जैविक उत्पादों की ओर तेजी से आकर्षित हो रहे हैं। यह न केवल एक खेती की विधि है, बल्कि एक ऐसी जीवनशैली है जो प्रकृति और मानव स्वास्थ्य को प्राथमिकता देती है। आइए, जानते हैं कि जैविक खेती क्या है और यह किसानों और उपभोक्ताओं के लिए क्यों महत्वपूर्ण हो रही है।

जैविक खेती का अर्थ और महत्व

जैविक खेती वह तरीका है जिसमें फसलों को उगाने के लिए प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग किया जाता है। इसमें रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों या हानिकारक पदार्थों का कोई स्थान नहीं है। इसके बजाय, गाय के गोबर से बनी खाद, वर्मी कम्पोस्ट, नीम का अर्क और प्राकृतिक कीटनाशकों का उपयोग होता है।

इसका मुख्य लक्ष्य मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखना और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना स्वस्थ फसलें उगाना है। यह विधि न केवल फसलों की गुणवत्ता को बढ़ाती है, बल्कि मिट्टी और जल स्रोतों को भी प्रदूषण से बचाती है।

जैविक उत्पादों की बढ़ती मांग

आजकल लोग रासायनिक रूप से उपचारित खाद्य पदार्थों से होने वाले नुकसानों से अच्छी तरह वाकिफ हैं। कीटनाशकों और रासायनिक खादों के अंशों से युक्त फल, सब्जियां और अनाज स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं। यही वजह है कि शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में जैविक उत्पादों की मांग बढ़ रही है।

लोग अब जैविक भोजन के लिए अधिक कीमत चुकाने को तैयार हैं, क्योंकि यह न केवल सुरक्षित है, बल्कि पोषण से भी भरपूर है। ऑनलाइन मार्केट और सुपरमार्केट्स में जैविक उत्पादों की उपलब्धता ने इस मांग को और बढ़ावा दिया है।

लाभकारी जैविक फसलें

जैविक खेती में कई ऐसी फसलें हैं जो किसानों के लिए मुनाफा कमाने का शानदार अवसर प्रदान करती हैं।

  • ब्राउन राइस: यह स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोगों के बीच बेहद लोकप्रिय है। उच्च फाइबर युक्त और डायबिटीज रोगियों के लिए उपयुक्त होने के कारण इसकी मांग देश-विदेश में बढ़ रही है।
  • हल्दी और अदरक: जैविक हल्दी और अदरक की मांग औषधीय गुणों के कारण तेजी से बढ़ रही है। हल्दी में मौजूद करक्यूमिन और अदरक के औषधीय गुण इन्हें आयुर्वेद और निर्यात बाजार में खास बनाते हैं।
  • सब्जियां और फल: जैविक भिंडी, पालक, टमाटर, केला और पपीता जैसे उत्पाद बाजार में उच्च कीमतों पर बिक रहे हैं। ये रासायनिक खेती से उगाए गए उत्पादों की तुलना में अधिक स्वादिष्ट और पौष्टिक होते हैं।
  • दालें और मोटे अनाज: मूंग, चना, रागी और बाजरा जैसे जैविक अनाज और दालें अब सुपरफूड्स की श्रेणी में आ चुके हैं। ये शहरी उपभोक्ताओं के बीच खासे लोकप्रिय हैं।
  • औषधीय पौधे: गिलोय, तुलसी और अश्वगंधा जैसे पौधों की जैविक खेती आयुर्वेदिक और फार्मास्युटिकल उद्योगों में भारी मांग के साथ उभर रही है।

जैविक खेती के लाभ

जैविक खेती न केवल पर्यावरण के लिए लाभकारी है, बल्कि यह किसानों की आर्थिक स्थिति को भी मजबूत करती है। इसमें महंगे रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों की आवश्यकता नहीं होती, जिससे लागत कम होती है। साथ ही, जैविक उत्पादों की ऊंची कीमतें किसानों को अच्छा मुनाफा दिलाती हैं।

यह मिट्टी की उर्वरता को लंबे समय तक बनाए रखने में भी मदद करता है, जिससे भविष्य की पीढ़ियों के लिए खेती की जमीन सुरक्षित रहती है।

सरकार का समर्थन

भारत सरकार जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चला रही है। ‘परंपरागत कृषि विकास योजना’ और ‘राष्ट्रीय जैविक खेती मिशन’ के तहत किसानों को प्रशिक्षण, जैविक बीज, खाद और मार्केटिंग की सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं। ये योजनाएं किसानों को जैविक खेती अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं।

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