Personal Loan: सिर्फ CIBIL Score ही काफी नहीं, जानिए बैंक किन 3 बातों पर देते हैं ध्यान

किसी भी लोन को देने से पहले बैंंक डेट-टू-इनकम रेश्यो को चेक करता है। ये रेश्यो मंथली डेट पेमेंट और आपकी ग्रॉस सैलरी की तुलना करके कैलकुलेशन करता है। 
Personal Loan: सिर्फ CIBIL Score ही काफी नहीं, जानिए बैंक किन 3 बातों पर देते हैं ध्यान
दून हॉराइज़न, नई दिल्ली

Personal Loan : जब भी आप पर्सनल लोन लेने जा रहे हैं तो बैंक आपका सिबिल स्कोर चेक करता है। अगर आपका सिबिल स्कोर अच्छा होता है तो आसानी से लोन मिल जाएगा। बल्कि बैंक सिबिल स्कोर के साथ में 3 प्रकार के रेश्यों भी चेक करता है।

और ये सुनिश्चित करता है कि आप बैंक के लोन के पैसे समय पर अदा करते हैं या फिर नहीं। चलिए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।

Debt-to-Income (DTI) Ratio

किसी भी लोन को देने से पहले बैंंक डेट-टू-इनकम रेश्यो को चेक करता है। ये रेश्यो मंथली डेट पेमेंट और आपकी ग्रॉस सैलरी की तुलना करके कैलकुलेशन करता है।

जितना कम डीटीआई रेश्यो होगा, आपको लोन मिलने के चांस उतने ही ज्यादा होते हैं। इस रेश्यो के द्वारा बैंक से समझता है कि आपके ऊपर पहले से कितना लोन हैं और आपके हाथ में कितना पैसा बचता है।

EMI/NMI Ratio

EMI/NMI Ratio के द्वारा बैंक इस बात का कैलकुलेशन करात है कि आपकी नेट मंथली इनकम का कितना भाग मौजूदा EMI और प्रस्तावित लोन की EMI पर खर्च होगा।

यदि आपकी ईएमआई 50 से 55 फीसदी तक का है, तब तो ठीक हैं लेकिन उससे ज्यादा रेश्यो होने पर बैंक आपको लोन देने से कतराने लगते हैं यदि इसके बावजूद बैंक आपको लोन देते हैं तो वह अक्सर ज्यादा ब्याज दर चार्ज करते हैं।

Loan-to-Value Ratio (LTV)

इस रेश्यो का कैलकुलेशन खासतौर पर हाउसिंग लोन के मामले में किया जाता है। एलटीवी रेश्यो की सहायता से रिस्क को समझना आसान हो जाता है।

एलटीवी रेश्यो दिखाता है कि आपके लोन की असेट या कोलेट्रल की तुलना में कितनी वैल्यू है। इससे लोन को सिक्योर करने में सहायता मिलती है। इस जानकारी का उपयोग कर्ज देने वाले बैंक जरुरी नियम और शर्तें बनाने में करता है।

बैंक सिबिल स्कोर भी कर सकते हैं बैंक

बता दें ये तीन अंकों की संख्या हैं या फिर यू करें कि इसकी रेंज 300 से लेकर 900 अंकों तक की होती है। ये आपके लोन लेने की योग्यता को दिखाता है।

आपके पुराने लोन, क्रेडिट कार्ड के बिल आदि के आधार पर ये संख्या तय होती है।

अगर आप अपने सारे कर्ज और कार्ड बिल को अदा करते हैं तो आपका सिबिल स्कोर बेहतर होता जाता है। जबकि यदि आप कोई डिफॉल्ट करते हैं तो आपका सिबिल स्कोर बेकार होता रहता है।

Share this story