RBI ने बदला गेम! अब मिलेगा सस्ता कर्ज वो भी कम ब्याज पर

भारतीय रिजर्व बैंक ने रेपो रेट को 6% से घटाकर 5.5% कर दिया है, जो लगातार तीसरी बार ब्याज दर में कटौती है। इस कदम से भारतीय स्टेट बैंक और आईसीआईसीआई बैंक जैसे बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट, स्वीप-इन डिपॉजिट, और होम लोन जैसे प्रोडक्ट्स को बढ़ावा देंगे।
RBI ने बदला गेम! अब मिलेगा सस्ता कर्ज वो भी कम ब्याज पर

भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank Of India) ने हाल ही में रेपो रेट में 50 बेसिस पॉइंट की कटौती की घोषणा की है, जिसके बाद रेपो रेट 6% से घटकर 5.5% हो गया है। यह लगातार तीसरी बार है जब RBI ने ब्याज दरों में कमी की है। इससे पहले फरवरी और अप्रैल में 25-25 बेसिस पॉइंट की कटौती की गई थी।

इस कदम का मकसद अर्थव्यवस्था को गति देना और आम लोगों को सस्ते कर्ज के साथ-साथ बेहतर निवेश विकल्प उपलब्ध कराना है। लेकिन इस बदलाव का आपके बचत खाते, फिक्स्ड डिपॉजिट (Fixed Deposit), और होम लोन पर क्या असर पड़ेगा? आइए, इसे विस्तार से समझते हैं।

बैंकों की नई रणनीति 

रेपो रेट में कमी के बाद बैंकों को अब नए ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए अपनी रणनीति में बदलाव करना पड़ रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारतीय स्टेट बैंक (State Bank Of India) और आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank) जैसे बड़े बैंक अब फिक्स्ड डिपॉजिट-लिंक्ड क्रेडिट कार्ड, स्वीप-इन डिपॉजिट, और बचत खाते से जुड़े होम लोन जैसे प्रोडक्ट्स को बढ़ावा देंगे।

ऑनलाइन फाइनेंशियल मार्केटप्लेस बैंकबाजार.कॉम (BankBazaar.com) के सीईओ आदिल शेट्टी (Adhil Shetty) का कहना है कि छोटे वित्त बैंक (Small Finance Banks) बड़े कमर्शियल बैंकों की तुलना में अधिक ब्याज दरें ऑफर कर रहे हैं, जिससे प्रतिस्पर्धा और तेज हो गई है।

इसके अलावा, कैश रिजर्व रेशियो (Cash Reserve Ratio) में 1% की कटौती से बैंकों के पास नकदी की उपलब्धता बढ़ेगी, जिसका असर डिपॉजिट रेट्स पर दिखेगा। उदाहरण के लिए, भारतीय स्टेट बैंक (State Bank Of India) की एक साल की फिक्स्ड डिपॉजिट की ब्याज दर 6.5% से घटकर लगभग 6% होने की संभावना है।

वहीं, आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank) जैसे कुछ बैंक पहले ही अपनी होलसेल डिपॉजिट रेट्स में कटौती शुरू कर चुके हैं। अगले कुछ हफ्तों में 3 करोड़ रुपये से कम की रिटेल डिपॉजिट्स की दरों में भी कमी देखने को मिल सकती है।

अर्थव्यवस्था को मिलेगा बढ़ावा

एक्सिस बैंक (Axis Bank) के डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर राजीव आनंद (Rajiv Anand) का कहना है कि 5.5% की रेपो रेट और सिस्टम में पर्याप्त नकदी के साथ ओवरनाइट रेट्स को 5.25% पर रखना उचित है। इसका मतलब है कि एक साल की जमा दरें 6% से ज्यादा नहीं होंगी। जो लोग अधिक रिटर्न चाहते हैं, उन्हें अब जोखिम भरे निवेश विकल्पों, जैसे म्यूचुअल फंड्स (Mutual Funds) या अन्य रिस्की एसेट्स में निवेश करना पड़ सकता है।

केंद्रीय बैंक की यह रणनीति लोगों को अधिक खर्च करने, घर या कार खरीदने, और क्रेडिट का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करेगी, जिससे अर्थव्यवस्था (Indian Economy) को गति मिलेगी।

वरिष्ठ नागरिकों और युवाओं के लिए निवेश विकल्प

वरिष्ठ नागरिकों के लिए वरिष्ठ नागरिक बचत योजना (Senior Citizen Savings Scheme) अभी भी 8.2% की आकर्षक ब्याज दर दे रही है, लेकिन इसमें पांच साल का लॉक-इन पीरियड है। अगर समय से पहले पैसा निकाला जाता है, तो पेनल्टी देनी पड़ती है। दूसरी ओर, पोस्ट ऑफिस सेविंग स्कीम्स (Post Office Savings Schemes) एक साल की जमा पर 6.9% ब्याज दे रही हैं, लेकिन रेपो रेट में कटौती के बाद इन दरों में भी बदलाव संभव है। 

युवा निवेशकों के लिए डेट म्यूचुअल फंड्स (Debt Mutual Funds) एक बेहतरीन विकल्प हो सकते हैं। आदिल शेट्टी (Adhil Shetty) का कहना है कि डेट म्यूचुअल फंड्स टैक्स-इफिशिएंट और लिक्विड होने के कारण आकर्षक हैं, खासकर तब जब ब्याज दरें कम हो रही हों। ये फंड्स उन लोगों के लिए उपयुक्त हैं जो सुरक्षित निवेश चाहते हैं, लेकिन लचीलापन भी बनाए रखना चाहते हैं।

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