RBI ने जारी किया नया अपडेट: कौन होगा सबसे पहले मालामाल?

रेपो रेट में यह बदलाव 22 मई 2020 के बाद हुआ। इसके बाद 6 से 8 जून तक हुई बैठक में रेपो रेट में 0.50% की बढ़ोतरी की गई।
RBI ने जारी किया नया अपडेट: कौन होगा सबसे पहले मालामाल?

RBI Update : भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समति (MPC) की बैठक आज (5 जून) यानी बुधवार से शुरू होगी। यह बैठक 7 जून तक चलेगी। यह वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी बैठक होगी।

विशेषज्ञों के मुताबिक, इस बैठक में RBI रेपो रेट यानी ब्याज दर में बदलाव की उम्मीद नहीं है। फिलहाल रेपो रेट 6.50% पर बरकरार है। RBI ने इससे पहले अप्रैल में हुई बैठक में ब्याज दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं की थी।

वित्त वर्ष 2022-23 में 6 बार में रेपो रेट में 2.50% की बढ़ोतरी की गई

मौद्रिक नीति बैठक हर दो महीने में होती है। वित्त वर्ष 2022-23 की पहली बैठक अप्रैल-2022 में हुई थी। तब RBI ने रेपो रेट को 4% पर स्थिर रखा था, लेकिन RBI ने 2 और 3 मई को आपात बैठक बुलाकर रेपो रेट को 0.40% बढ़ाकर 4.40% कर दिया था।

रेपो रेट में यह बदलाव 22 मई 2020 के बाद हुआ। इसके बाद 6 से 8 जून तक हुई बैठक में रेपो रेट में 0.50% की बढ़ोतरी की गई। इससे रेपो रेट 4.40% से बढ़कर 4.90% हो गया। फिर अगस्त में इसमें 0.50% की बढ़ोतरी की गई, जो 5.40% पर पहुंच गई। सितंबर में ब्याज दरें बढ़कर 5.90% हो गईं।

फिर दिसंबर में ब्याज दरें 6.25% पर पहुंच गईं। इसके बाद फरवरी में वित्त वर्ष 2022-23 की आखिरी मौद्रिक नीति बैठक हुई, जिसमें ब्याज दरें 6.25% से बढ़ाकर 6.50% कर दी गईं। आरबीआई रेपो रेट क्यों बढ़ाता या घटाता है? आरबीआई के पास रेपो रेट के रूप में महंगाई से लड़ने का एक शक्तिशाली हथियार है।

जब महंगाई बहुत अधिक होती है, तो आरबीआई रेपो रेट बढ़ाकर अर्थव्यवस्था में धन प्रवाह को कम करने की कोशिश करता है। अगर रेपो रेट अधिक है, तो बैंकों को आरबीआई से मिलने वाला कर्ज महंगा हो जाएगा। बदले में बैंक अपने ग्राहकों के लिए लोन महंगा कर देंगे।

इससे अर्थव्यवस्था में मनी फ्लो कम हो जाएगा। अगर मनी फ्लो कम होगा तो मांग कम होगी और महंगाई कम होगी। इसी तरह जब अर्थव्यवस्था बुरे दौर से गुजरती है तो रिकवरी के लिए मनी फ्लो बढ़ाने की जरूरत होती है। ऐसी स्थिति में RBI रेपो रेट घटा देता है।

इससे बैंकों को RBI से मिलने वाला लोन सस्ता हो जाता है और ग्राहकों को भी सस्ती दर पर लोन मिल जाता है। आइए इस उदाहरण से समझते हैं। कोरोना काल में जब आर्थिक गतिविधियां ठप हो गई थीं, तब मांग में कमी आई थी। ऐसी स्थिति में RBI ने ब्याज दरें घटाकर अर्थव्यवस्था में मनी फ्लो बढ़ाया था।

रिवर्स रेपो रेट बढ़ने या घटने पर क्या होता है? रिवर्स रेपो रेट वह दर है जिस पर RBI बैंकों को पैसा रखने के लिए ब्याज देता है। जब RBI को बाजार से लिक्विडिटी कम करनी होती है तो वह रिवर्स रेपो रेट बढ़ा देता है।

बैंक इसका फायदा RBI के पास अपनी होल्डिंग के लिए ब्याज पाकर उठाते हैं। अर्थव्यवस्था में महंगाई बढ़ने पर RBI रिवर्स रेपो रेट बढ़ा देता है। इससे बैंकों के पास ग्राहकों को लोन देने के लिए कम फंड बचता है।

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