सरकार की तिजोरी में आया रिकॉर्ड पैसा! RBI ने डाले 2.7 लाख करोड़, जानिए क्यों

भारतीय रिजर्व बैंक ने केंद्र सरकार को 2.7 लाख करोड़ रुपये का रिकॉर्ड लाभांश हस्तांतरित किया है, जो विदेशी मुद्रा भंडार की बिक्री, ब्याज आय और विदेशी मुद्रा लाभ के कारण संभव हुआ। 
सरकार की तिजोरी में आया रिकॉर्ड पैसा! RBI ने डाले 2.7 लाख करोड़, जानिए क्यों

भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India - RBI) ने हाल ही में केंद्र सरकार को 2.7 लाख करोड़ रुपये का ऐतिहासिक लाभांश (Dividend) हस्तांतरित किया है। यह राशि न केवल देश के आर्थिक इतिहास में एक मील का पत्थर है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि कैसे RBI की रणनीतिक नीतियों और विदेशी मुद्रा बाजार में सक्रियता ने भारत की आर्थिक स्थिरता को मजबूत किया है।

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (State Bank of India - SBI) की एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार, यह रिकॉर्ड-तोड़ राशि विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves) की बिक्री, ब्याज आय (Interest Income) में वृद्धि और विदेशी मुद्रा लाभ (Foreign Exchange Gains) के कारण संभव हुई। आइए, इस खबर को गहराई से समझते हैं और जानते हैं कि इसका देश की अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ेगा।

विदेशी मुद्रा बाजार में RBI की चमक

RBI की विदेशी मुद्रा बाजार (Foreign Exchange Market) में सक्रियता इस लाभांश का सबसे बड़ा कारण रही। जनवरी 2025 में RBI ने एशियाई केंद्रीय बैंकों के बीच सबसे बड़े विदेशी मुद्रा भंडार विक्रेता के रूप में अपनी पहचान बनाई। सितंबर 2024 तक भारत का विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves) 704 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया था, जो रुपये को स्थिर करने में महत्वपूर्ण रहा।

इस दौरान RBI ने 371.6 बिलियन डॉलर की सकल बिक्री की, जो पिछले साल के 153 बिलियन डॉलर की तुलना में कहीं अधिक है। इस रणनीति ने न केवल रुपये की स्थिरता सुनिश्चित की, बल्कि विदेशी मुद्रा लाभ को भी बढ़ाया, जिसने इस विशाल लाभांश में योगदान दिया।

रुपये की प्रतिभूतियों से शानदार कमाई

RBI ने रुपये की प्रतिभूतियों (Rupee Securities) से भी उल्लेखनीय आय अर्जित की। मार्च 2025 तक, RBI की रुपये प्रतिभूतियों की हिस्सेदारी 1.95 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 15.6 लाख करोड़ रुपये हो गई। हालांकि, सरकारी प्रतिभूतियों (Government Securities - G-Sec) की यील्ड में कमी के कारण मार्क-टू-मार्केट (Mark-to-Market - MTM) लाभ पर कुछ असर पड़ा, लेकिन कुल ब्याज आय में निरंतर वृद्धि ने इस कमी को संतुलित किया।

यह RBI की वित्तीय प्रबंधन की कुशलता को दर्शाता है, जो न केवल राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करता है, बल्कि केंद्र सरकार को भी वित्तीय सहायता प्रदान करता है।

राजकोषीय घाटे पर सकारात्मक प्रभाव

इस रिकॉर्ड लाभांश का सबसे बड़ा लाभ केंद्र सरकार के राजकोषीय घाटे (Fiscal Deficit) में कमी के रूप में देखा जा सकता है। SBI की रिपोर्ट के अनुसार, यह हस्तांतरण राजकोषीय घाटे को 4.5% से घटाकर 4.2% तक ला सकता है, जो 20-30 आधार अंकों की कमी को दर्शाता है।

वित्त वर्ष 2026 के केंद्रीय बजट (Union Budget 2026) में RBI और सार्वजनिक क्षेत्र के वित्तीय संस्थानों से 2.56 लाख करोड़ रुपये की लाभांश आय का अनुमान लगाया गया था। यह रिकॉर्ड हस्तांतरण उस अनुमान को पार कर गया है, जिससे सरकार को विकास योजनाओं और बुनियादी ढांचे के लिए अतिरिक्त संसाधन उपलब्ध होंगे।

क्या और अधिक लाभांश संभव था?

SBI की रिपोर्ट में एक रोचक तथ्य सामने आया कि यदि RBI ने अपने जोखिम बफर (Contingency Risk Buffer) को नहीं बढ़ाया होता, तो यह लाभांश 3.5 लाख करोड़ रुपये से भी अधिक हो सकता था। RBI ने भविष्य के आर्थिक जोखिमों से निपटने के लिए अपने आकस्मिक जोखिम बफर को 7.5% से 4.5% के दायरे में रखा।

यह निर्णय RBI के केंद्रीय बोर्ड (Central Board) द्वारा 15 मई 2025 को मंजूर किए गए आर्थिक पूंजी ढांचे (Economic Capital Framework - ECF) पर आधारित था। इस रणनीति से न केवल वर्तमान आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित हुई, बल्कि भविष्य के लिए भी एक मजबूत आधार तैयार किया गया।

देश के लिए इसका क्या मतलब?

RBI का यह रिकॉर्ड लाभांश केंद्र सरकार के लिए एक वरदान साबित होगा। यह न केवल राजकोषीय घाटे को कम करने में मदद करेगा, बल्कि सरकार को शिक्षा, स्वास्थ्य, और बुनियादी ढांचे जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में निवेश करने का अवसर भी प्रदान करेगा। इसके अलावा, रुपये की स्थिरता और विदेशी मुद्रा भंडार की मजबूती भारत को वैश्विक आर्थिक मंच पर और अधिक सशक्त बनाती है।  

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