RBI के रेपो रेट में बड़ी कटौती का रास्ता तैयार, जानिए कब और कितना होगा बदलाव?

RBI Repo Rate : भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) वित्त वर्ष 2025-26 में रेपो रेट में 125 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर सकता है, क्योंकि मार्च 2025 में महंगाई दर 3.34% के निचले स्तर पर रही। SBI की रिपोर्ट के अनुसार, जून और अगस्त 2025 में मौद्रिक नीति समिति 75 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर सकती है, जिससे कर्ज सस्ता होगा और EMI कम होगी। 
RBI के रेपो रेट में बड़ी कटौती का रास्ता तैयार, जानिए कब और कितना होगा बदलाव?

RBI Repo Rate : भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) जल्द ही मौद्रिक नीति में नरमी बरत सकता है, जिससे कर्ज लेने वालों और उद्योगों को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, देश में महंगाई दर के लगातार नियंत्रण में रहने के कारण वित्त वर्ष 2025-26 में रेपो रेट में 1.25% (125 बेसिस प्वाइंट) की कटौती की संभावना है।

मार्च 2025 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित महंगाई दर 3.34% रही, जो पिछले पांच साल से अधिक समय में सबसे निचला स्तर है। यह आंकड़ा अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत देता है और केंद्रीय बैंक को नीतिगत दरों में बदलाव के लिए प्रेरित कर सकता है।

SBI की रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि जून और अगस्त 2025 में होने वाली मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठकों में RBI 75 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर सकता है। इसके बाद वित्तीय वर्ष की दूसरी छमाही में 50 बेसिस प्वाइंट की अतिरिक्त कटौती की संभावना है।

इससे पहले, वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं को देखते हुए RBI ने फरवरी और अप्रैल 2025 में 25-25 बेसिस प्वाइंट की कटौती की थी। विशेषज्ञों का मानना है कि महंगाई के नियंत्रित स्तर और स्थिर आर्थिक विकास के बीच यह कदम अर्थव्यवस्था को गति देने में कारगर साबित होगा।

महंगाई के नियंत्रण के पीछे कई कारक जिम्मेदार हैं। SBI की रिपोर्ट बताती है कि खाद्य और ईंधन की कीमतों में स्थिरता के साथ-साथ आपूर्ति श्रृंखला में सुधार ने महंगाई को काबू में रखा है। इस स्थिति में RBI के पास रेपो रेट में 0.5% की एकमुश्त कटौती करने का अवसर है, जो छोटी कटौतियों की तुलना में अधिक प्रभावी होगी।

इसके साथ ही, वित्त वर्ष 2025-26 में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 9 से 9.5% के बीच रहने का अनुमान है, जो नीतिगत दरों में कमी के लिए अनुकूल माहौल बनाता है।

रेपो रेट में कटौती का सीधा असर आम लोगों की जेब पर पड़ेगा। कम रेपो रेट से होम लोन, कार लोन और अन्य कर्जों की EMI कम हो सकती है, जिससे उपभोक्ताओं को आर्थिक राहत मिलेगी। साथ ही, उद्योगों के लिए सस्ता कर्ज निवेश को बढ़ावा देगा, जिससे रोजगार सृजन और मांग में वृद्धि होगी।

हालांकि, रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 2025 में डॉलर-रुपया विनिमय दर 85 से 87 के बीच रह सकती है, जो आयात-निर्यात पर असर डाल सकता है। 

कुल मिलाकर, RBI की संभावित नीतिगत नरमी से भारतीय अर्थव्यवस्था में नई ऊर्जा का संचार होने की उम्मीद है। यह कदम न केवल उपभोक्ताओं को सस्ता कर्ज उपलब्ध कराएगा, बल्कि व्यवसायों को भी विस्तार के लिए प्रोत्साहित करेगा। आने वाले महीनों में RBI के फैसलों पर सभी की नजर रहेगी, क्योंकि यह अर्थव्यवस्था के भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

Share this story