RBI नहीं बल्कि ये अधिकारी जारी करते हैं 1 रुपये का नोट, सच्चाई जानें और सबको बताएं

एक रुपये का नोट (1 rupee note) भारत की सबसे छोटी मुद्रा (smallest currency) है, जिसे भारत सरकार (Indian government) जारी करती है, न कि आरबीआई (Reserve Bank of India)। इसके हस्ताक्षर (signature) वित्त सचिव के होते हैं। 1917 से शुरू इसका इतिहास (history of one rupee note) आज भी रोचक है।
RBI नहीं बल्कि ये अधिकारी जारी करते हैं 1 रुपये का नोट, सच्चाई जानें और सबको बताएं

भारत में बड़े-बड़े नोट छापने का काम भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) बखूबी करता रहा है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक रुपये का नोट (1 rupee note) आज तक न तो आरबीआई ने छापा और न ही किसी गवर्नर ने इस पर हस्ताक्षर किए। कई गवर्नर आए और गए, पर इस छोटे से नोट पर किसी का साइन नहीं दिखता।

यह बात अपने आप में हैरान करने वाली है और इसके पीछे कई रोचक कहानियां छिपी हैं। आइए, इस खबर में जानते हैं कि एक रुपये के नोट की छपाई (printing of one rupee note) से लेकर इसे जारी करने तक का सफर कैसा रहा।

भारतीय मुद्रा (Indian currency) में सबसे छोटा नोट एक रुपये का ही है। इस नोट में कई खासियतें हैं जो इसे बाकी नोटों से अलग बनाती हैं। जहां बाकी नोटों को आरबीआई जारी करता है, वहीं एक रुपये का नोट भारत सरकार (Indian government) की ओर से जारी होता है।

इसका मतलब यह है कि इस नोट से जुड़े सारे अधिकार केंद्र सरकार (center govt) के पास हैं, हालांकि इसे चलन में लाने और संभालने की जिम्मेदारी आरबीआई (Reserve Bank of India) की ही रहती है। आज के समय में यह नोट पहले की तुलना में कम दिखता है, क्योंकि इसकी छपाई (one rupee note printing) बहुत कम होती है।

अब सवाल यह उठता है कि एक रुपये के नोट पर हस्ताक्षर (signature on one rupee note) कौन करता है? चूंकि यह नोट भारत सरकार जारी करती है, इसलिए इस पर आरबीआई गवर्नर (RBI governor) के साइन नहीं होते। इसके बजाय, इस नोट पर वित्त सचिव के हस्ताक्षर देखने को मिलते हैं। यह जानकारी आम लोगों के लिए हैरानी भरी हो सकती है, लेकिन यही इस नोट की खासियत है।

एक रुपये के नोट का इतिहास (history of one rupee note) सौ साल से भी ज्यादा पुराना है। इसे पहली बार आजादी से पहले 30 नवंबर 1917 को छापा गया था। उस समय इस नोट पर किंग जॉर्ज पंचम (King George V) की तस्वीर हुआ करती थी। लेकिन 1926 में इसकी छपाई बंद हो गई।

फिर 1940 में दोबारा शुरू हुई और लंबे समय तक चलती रही। 1994 में एक बार फिर इसकी छपाई (1 rupee note update) रुक गई, लेकिन 21वीं सदी में 2015 से इसे दोबारा शुरू किया गया। यह नोट आज भी अपनी ऐतिहासिक अहमियत रखता है।

अगर बात करें इसकी पौराणिकता की, तो एक रुपये का नोट आरबीआई की स्थापना (Establishment of RBI) से भी पुराना है। आरबीआई की शुरुआत 1 अप्रैल 1935 को भारतीय रिजर्व बैंक एक्ट 1934 के तहत हुई थी। उससे पहले यह नोट अस्तित्व में था। आरबीआई का मुख्य कार्यालय (RBI head office) पहले कोलकाता में था, जिसे 1937 में मुंबई लाया गया, और तब से यह वहीं है।

भारतीय मुद्रा का अपना एक खास सिंबल भी है। यह सिंबल देवनागरी लिपी के 'र' और लैटिन 'R' को मिलाकर बनाया गया है। हर देश की मुद्रा (currency symbol) उसे दुनिया में एक अलग पहचान देती है। आरबीआई की वेबसाइट पर जाएं, तो वहां भारतीय करेंसी का नाम (name of Indian currency) 'भारतीय रुपया' लिखा मिलेगा और इसका प्रतीक '₹' है। यह छोटा सा नोट और इसका इतिहास हमें हमारी आर्थिक विरासत से जोड़ता है।

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