17 साल बाद जब तिजोरी खुली, तो निकलीं एम. एफ. हुसैन की पेंटिंग्स और कई अनकही कहानियाँ

भारत के कला जगत में एक ऐसा नाम जो हर कला प्रेमी के दिल में बसता है, वह है मकबूल फिदा हुसैन। पद्म श्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण जैसे सम्मानों से नवाजे गए इस महान चित्रकार की 25 अनमोल पेंटिंग्स अब एक बार फिर सुर्खियों में हैं।
ये कृतियां, जो पिछले 17 सालों से मुंबई के एक निजी बैंक की तिजोरी में बंद थीं, अब नीलामी के लिए तैयार हैं। इन पेंटिंग्स के साथ न केवल कला की कहानी जुड़ी है, बल्कि 100 करोड़ रुपये का ऑर्डर, 235 करोड़ रुपये का लोन घोटाला और सीबीआई की जांच जैसी रोचक घटनाएं भी सामने आ रही हैं। आइए, इस अनोखी कहानी को करीब से जानते हैं।
इन 25 पेंटिंग्स का इतिहास 2004 से शुरू होता है, जब एम.एफ. हुसैन ने अपनी महत्वाकांक्षी परियोजना “Our Planet Called Earth” (OPEC) के तहत 100 पेंटिंग्स की एक सीरीज बनाई थी। इस सीरीज का एक हिस्सा, यानी 25 पेंटिंग्स, उन्होंने मुंबई के एक कला संग्रहकर्ता स्वरूप श्रीवास्तव को 100 करोड़ रुपये के सौदे में बेची थीं।
लेकिन यह सौदा जल्द ही एक बड़े विवाद में फंस गया। साल 2006 में सीबीआई ने स्वरूप श्रीवास्तव के खिलाफ 235 करोड़ रुपये के लोन घोटाले की जांच शुरू की। यह लोन लौह अयस्क के आयात के लिए लिया गया था, जिसमें 150 करोड़ रुपये की हेराफेरी का आरोप लगा। इसके बाद 2008 में स्वरूप ग्रुप की 104.25 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त कर ली गई, जिसमें हुसैन की ये 25 पेंटिंग्स भी शामिल थीं।
तब से ये पेंटिंग्स बैंक की तिजोरी में बंद थीं, मानो कला का एक अनमोल खजाना दुनिया की नजरों से छिपा हो। लंबी कानूनी लड़ाई के बाद, मई 2024 में बॉम्बे हाई कोर्ट ने इन पेंटिंग्स को नीलामी के लिए तैयार करने का आदेश दिया। पंडोले आर्ट गैलरी, जिसने इन पेंटिंग्स को सबसे पहले प्रदर्शित किया था, ने इनका मूल्यांकन किया और अनुमान लगाया कि इनकी कीमत करीब 25 करोड़ रुपये हो सकती है।
कोर्ट के आदेश पर अब ये पेंटिंग्स 12 जून 2025 को मुंबई के हैमिल्टन हाउस में होने वाली एक प्रदर्शनी “M.F. Husain: An Artist’s Vision of XX Century” के दौरान नीलाम की जाएंगी।
नीलामी की प्रक्रिया भी अपने आप में दिलचस्प है। स्वरूप श्रीवास्तव ने इन पेंटिंग्स को 25 करोड़ रुपये में खरीदने की पेशकश की थी, लेकिन लोन देने वाली संस्था नैफेड ने कोर्ट से अनुरोध किया कि इन पेंटिंग्स की खुली नीलामी की जाए ताकि उनकी वास्तविक कीमत मिल सके।
नैफेड का मानना है कि खुले बाजार में इन पेंटिंग्स की बोली और ऊंची लग सकती है। अगर स्वरूप श्रीवास्तव इन्हें खरीदना चाहते हैं, तो उन्हें भी नीलामी में हिस्सा लेना होगा।