छोटे नोट और डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा, फिर भी क्यों 500 रुपए के नोट से जुड़ा है हर दूसरा लेनदेन

भारत में डिजिटल पेमेंट की लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है, जहां हर दिन 60 करोड़ लोग यूपीआई के जरिए लेनदेन कर रहे हैं। मई 2025 में यूपीआई लेनदेन की वैल्यू 25.1 लाख करोड़ रुपये रही, लेकिन इसके बावजूद नकद लेनदेन का आंकड़ा 36.86 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचा, जिसमें 500 रुपये के नोट का दबदबा है।
छोटे नोट और डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा, फिर भी क्यों 500 रुपए के नोट से जुड़ा है हर दूसरा लेनदेन

आज के भारत में तकनीक ने भुगतान के तरीकों को पूरी तरह से बदल दिया है। यूपीआई (UPI) ने डिजिटल लेनदेन को इतना आसान बना दिया है कि हर दिन लगभग 60 करोड़ लोग इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। मई 2025 में यूपीआई के जरिए 1,868 करोड़ रुपये के लेनदेन हुए, जिनकी कुल कीमत 25.1 लाख करोड़ रुपये रही।

यह आंकड़ा अप्रैल की तुलना में और भी प्रभावशाली है, जब 1,789 करोड़ रुपये के लेनदेन की वैल्यू 23.9 लाख करोड़ रुपये थी। लेकिन क्या आपको लगता है कि डिजिटल क्रांति ने नकदी का महत्व खत्म कर दिया है? ऐसा बिल्कुल नहीं है। 

मार्च 2025 तक देश में नकद भुगतान का आंकड़ा 36.86 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जो अब तक का सबसे ऊंचा स्तर है। हैरानी की बात यह है कि इस नकदी के लेनदेन में 500 रुपये के नोट का दबदबा रहा। ये नोट कुल बैंक नोटों की संख्या का 41% और उनकी वैल्यू का 86% हिस्सा रखते हैं।

दूसरी ओर, छोटे मूल्य के नोट जैसे 20, 50, 100 और 200 रुपये के नोटों की हिस्सेदारी संख्या में 35.6% है, लेकिन उनकी वैल्यू कुल नकदी का सिर्फ 10.9% है। यह दिखाता है कि भारतीयों का 500 रुपये के नोटों पर भरोसा अभी भी बरकरार है।

सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) डिजिटल भुगतान और छोटे मूल्य के नोटों को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में डिजिटल लेनदेन को और सरल बनाने की बात कही है। इसके साथ ही, RBI ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है।

उसने निर्देश दिया है कि सितंबर 2025 तक कम से कम 75% एटीएम को 100 और 200 रुपये के नोट देने की क्षमता से लैस करना होगा, और मार्च 2026 तक यह आंकड़ा 90% तक पहुंच जाना चाहिए। इसका मकसद है उच्च मूल्य के नोटों पर निर्भरता कम करना और रोजमर्रा के छोटे-मोटे लेनदेन को आसान बनाना। 

लेकिन सवाल यह है कि क्या लोग वाकई छोटे नोटों और डिजिटल भुगतान की ओर पूरी तरह बढ़ रहे हैं? आंकड़े बताते हैं कि अभी भी 500 रुपये का नोट लोगों की पहली पसंद बना हुआ है। बाजारों में, छोटे दुकानदारों से लेकर बड़े व्यापारी तक, नकदी का चलन कम नहीं हुआ है।

यह भारतीय समाज की उस अनोखी प्रकृति को दर्शाता है, जहां आधुनिक तकनीक और परंपरागत नकदी एक साथ चल रहे हैं। क्या यह संतुलन भविष्य में भी बना रहेगा, या डिजिटल लेनदेन पूरी तरह से हावी हो जाएगा? यह समय ही बताएगा।

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