अजब राजू श्रीवास्तव की गजब प्रेम कहानी, प्यार पाने के लिए किया 12 सालों का इंतजार, तब जाकर…
बुधवार को जानें-मानें कॉमेडियन और एक्टर राजू श्रीवास्तव को दिल का दौरा पड़ा, जिसके बाद उन्हें तुरंत दिल्ली के एम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया। खबरों के अनुसार राजू श्रीवास्तव वेंटिलेटर सपोर्ट पर हैं।
बता दें राजू श्रीवास्तव को दिल का दौरा उस समय पड़ा जब वह जिम में वर्कआउट कर रहे थे। हालांकि बताया जा रहा है उनकी सेहत में सुधार हो रहा है। आप सब तो ये जानते ही हैं कि राजू श्रीवास्तव काफी शानदार कॉमेडियन और एक्टर हैं।
राजू श्रीवास्तव के कॉमेडी अंदाज और कॉमिक टाइमिंग के कारण बहुत ही ज्यादा पसंद किया जाता है। अपनी काॅमेडी को लेकर चर्चा में रहने के साथ राजू श्रीवास्तव पर्सनल लाइफ को लेकर भी खूब सुर्खियों रहते हैं।
पर्सनल लाइफ को लेकर बात करें तो उनकी लव स्टोरी किसी फ़िल्मी कहानी से कम नहीं है। राजू श्रीवास्तव ने अपने प्यार को पाने के लिए 12 सालों का लंबा इंतजार किया था।
इसके बाद उन्हें उनका प्यार मिला। चलिए राजू श्रीवास्तव की प्रेम कहानी के बारे में जानते हैं।
प्यार पाने के लिए राजू श्रीवास्तव ने किया 12 सालों का इंतजार :
राजू श्रीवास्तव कानपुर के बाबूपुरवा के रहने वाले हैं। उनका असली नाम सत्यप्रकाश श्रीवास्तव है। उनका पहला प्यार उन्हें भाई की शादी में मिला। बता दें कि राजू के बड़े भाई की शादी फतेहपुर में हुई।
जब वह वहां बारात लेकर गए तभी उनकी नजरें शिखा से टकराईं और उन्हें पहली नजर का प्यार हो गया। इसके बाद राजू श्रीवास्तव ने ठान लिया था कि वो शादी करेंगे तो शिखा से ही।
शिखा के बारे में पता की पूरी जानकारी :
राजू श्रीवास्तव ने एक इंटरव्यू के दौरान के बताया था कि, उन्होंने शिखा के बारे में जानकारी जुटानी शुरू की तो पता चला कि वो भाभी के चाचा की बेटी हैं। इसके बाद उन्होंने शिखा के बारे में एक-एक करके सारी जानकारी सारी बातें जानना शुरू कर दी।
उन्होंने शिखा के घर के बारे में जानकारी हासिल की तो पता चला वह इटावा में रहती हैं। इसके उन्होंने उनके भाइयों को पटाया और फिर किसी न किसी बहाने से इटावा जाने लगे। लेकिन शिखा से कुछ कहने की हिम्मत न कर पाए।
काम के लिए पहुंचे मुंबई :
ये सब होने के बाद राजू श्रीवास्तव काम की तलाश में 1982 में मुंबई आ गए। यहां पर उन्हें कड़ा स्ट्रगल करना पड़ा। इसके बाद धीरे-धीरे लाइफ में थोड़ा बहुत स्टैंड किया तो उन्हें लगा कि अब शादी कर लेनी चाहिए।
शिखा के घर रिश्ते के लिए घरवालों को भेजा :
राजू श्रीवास्तव ने बताया था कि वो चिट्ठी के जरिए शिखा से संपर्क करते थे, लेकिन कभी सीधे दिल की बात नहीं कह पाए। इसके आलावा उन्होंने यह भी पता किया कि कहीं शिखा की शादी कहीं फिक्स तो नहीं हो गई।
शिखा ने कभी कुछ खुलकर नहीं बताया। इसके बाद एक दिन राजू श्रीवास्तव ने घरवालों के जरिए शिखा के घर रिश्ते की बात पहुंचाई।
कुछ दिन बाद शिखा के भाई मेरे मलाड (मुंबई) वाले घर में आए और उन्होंने मेरा घर और रहन-सहन देखा और तसल्ली की। जिसके बाद 17 मई 1993 को उनकी शादी हो गई।