ममता सरकार ने बताया कि क्‍यों लगाया फिल्‍म 'द केरल स्टोरी' पर प्रतिबंध

ममता सरकार ने SC में कहा- द केरला स्‍टोरी में अभद्र भाषा है, इसलिए फिल्‍म पर पश्चिम बंगाल में बैन लगाया

ममता सरकार ने बताया कि क्‍यों लगाया फिल्‍म 'द केरल स्टोरी' पर प्रतिबंध

पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार ने 'द केरला स्‍टोरी' के रिलीज होने के चंद दिन बाद ही फिल्‍म को राज्‍य में दिखाने पर प्रतिबंध लगा दिया था। जिसकें बाद फिल्‍म के निर्माता समेत फिल्‍म से संबंधित अन्‍य लोगों ने पश्चिम बंगाल में फिल्‍म पर बैन लगाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।

ममता सरकार ने बताया कि क्‍यों लगाया फिल्‍म पर प्रतिबंध

इस अपील के बाद पश्चिम बंगाल सरकार ने हलफनामाा सुप्रीम कोर्ट में पेश किया है जिसमें ममता सरकार ने बताया है कि फिल्म 'द केरल स्टोरी' में कई दृश्य थे, जिनमें सांप्रदायिक भावनाओं को आहत करने और समुदायों के बीच वैमनस्य पैदा करने की क्षमता है।

फिल्म में 'अभद्र भाषा' और 'छेड़छाड़ वाले तथ्य' हैं

फिल्म 'द केरला स्टोरी' पर प्रतिबंध लगाने वाली पश्चिम बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि यह फैसला इसलिए लिया गया क्योंकि फिल्म में 'अभद्र भाषा' और 'छेड़छाड़ वाले तथ्य' हैं, जो सांप्रदायिक सद्भाव को नुकसान पहुंचा सकते हैं और कानून और प्रदेश की व्यवस्था की स्थिति को बिगाड़ सकते हैं।

ममता सरकार ने ये भी कहा कि इसके लिए याचिकाकर्ताओं को कलकत्ता उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाना चाहिए था जो पहले से ही प्रतिबंध से जुड़े चार मामलों की सुनवाई कर रहा है।

निर्माताओं ने फिल्‍म पर बैन के खिलाफ सुपीम कोर्ट में की थी अपील

फिल्म के निर्माताओं, मैसर्स सनशाइन पिक्चर्स प्राइवेट लिमिटेड और विपुल अमृतलाल शाह की याचिका दाखिल की थी और 8 मई को फिल्म की स्क्रीनिंग पर पश्चिम बंगाल के प्रतिबंध को चुनौती दी थी और अदालत से तमिलनाडु को सुरक्षा प्रदान करने का आदेश देने के लिए कहा था।

कानून के तहत हमने बैन लगाने का निर्णय लिया है

इस याचिका का जवाब देते हुए पश्चिम बंगाल की सरकार ने हलफनामें में लिखा कि मई को राज्य के 90 सिनेमाघरों में फिल्म की रिलीज के बाद इस आशय की खुफिया जानकारी मिलने के बाद यह निर्णय लिया गया। यह आदेश पश्चिम बंगाल सिनेमा (विनियमन) अधिनियम की धारा 6 के तहत जारी किया गया, जो राज्य को अधिकार देता है। सरकार और जिला प्रशासन इस आधार पर हस्तक्षेप करें कि फिल्म के प्रदर्शन से हिंसा और शांति भंग हो सकती है।

फिल्म देश भर में चल सकती है, तो पश्चिम बंगाल में क्‍यों नहीं?

भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) धनंजय वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने फिल्म पर बैन लगाने वाला अकेला राज्‍य था इस पर पिछले सप्‍ताह एक सुनवाई के दौरान टिप्पणी में कहा था कि यदि यह फिल्म देश भर में चल सकती है, तो पश्चिम बंगाल एक अपवाद नहीं हो सकता है। यह फिल्म पूरे देश में रिलीज हुई है और पश्चिम बंगाल देश के बाकी हिस्सों से अलग नहीं है।

राज्‍य सरकार ने कहा दो राज्‍यों के मानदंड एक हो ये जरूरी नहीं

कोर्ट को जवाब देते हुए राज्‍य सरकार ने कहा था कि कानून और व्यवस्था बनाए रखने और फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगाने का राज्य का कर्तव्य नीतिगत मामले हैं जहां अदालतों को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही ये कहा था कि कोई भी दो राज्य कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए एक समान मापदंड नहीं अपना सकते हैं क्योंकि वे जनसंख्या और आस्‍था और विश्‍वास के मामले में अलग-अलग हैं।

सरकार ने याचिकर्ता को राज्‍य के उच्‍च न्‍यायाल में जाने की दी सलाह

सरकार ने ये भी कहा था याचिकाकर्ता को ऐसे मुद्दों पर केवल उच्च न्यायालय ही जा सकते हैं कयोंकि वो राज्‍य के क्षेत्र की नब्ज को समझते हैं और प्रतिबंध के पीछे की मंशा को बेहतर ढंग से समझ सकते हैं।

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