Health Tips : इन लक्षणों से करें वात, पित्त और कफ की पहचान, आयुर्वेद से जानें समाधान
Health Tips : जानिए आयुर्वेद के अनुसार आपके शरीर में वात, पित्त और कफ दोष के लक्षण क्या हैं। न्यूट्रिशनिस्ट श्वेता शाह के टिप्स के ज़रिए समझें शरीर के संकेत और सही दिनचर्या अपनाएं।

Health Tips : आयुर्वेद में किसी भी बीमारी का इलाज शुरू करने से पहले शरीर के तीन मुख्य दोषों—वात, पित्त और कफ—का आकलन किया जाता है। ये दोष हमारे शरीर में संतुलन बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, लेकिन जब इनमें असंतुलन होता है, तो कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
न्यूट्रिशनिस्ट श्वेता शाह ने हाल ही में अपने इंस्टाग्राम हैंडल पर इन दोषों के लक्षणों को साझा किया है, जिससे आम लोग आसानी से अपनी प्रकृति को समझ सकते हैं और सही उपाय अपना सकते हैं। आइए, इन दोषों के लक्षणों और उनके निवारण के बारे में विस्तार से जानते हैं।
वात दोष: लक्षण और उपाय
वात दोष शरीर में वायु तत्व से जुड़ा होता है। जब यह असंतुलित हो जाता है, तो शरीर में कई तरह की परेशानियां दिखाई देती हैं। पेट में गैस बनना, खाना खाने के बाद पेट फूलना, बेचैनी, घबराहट और मन का अस्थिर होना इसके प्रमुख लक्षण हैं।
होंठों का हर मौसम में फटना, शरीर में दर्द, ठंडे हाथ-पैर, रूखे बाल और नींद की कमी भी वात दोष के संकेत हैं। ऐसे लोगों को गर्म और आसानी से पचने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए।
तिल के तेल की मालिश और नियमित दिनचर्या अपनाने से वात दोष को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। गर्म पानी पीना और हल्का व्यायाम भी फायदेमंद होता है।
पित्त दोष: गर्मी और गुस्से का प्रभाव
पित्त दोष अग्नि तत्व से संबंधित है और इसका असंतुलन शरीर में गर्मी बढ़ाता है। अगर आपको छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा आता है, चेहरे पर बार-बार मुंहासे निकलते हैं, पसीना ज्यादा आता है या शरीर से दुर्गंध आती है, तो यह पित्त दोष का लक्षण हो सकता है।
इसके अलावा, बार-बार भूख लगना और पाचन से जुड़ी समस्याएं जैसे एसिडिटी भी पित्त प्रकृति की निशानी हैं। पित्त दोष को संतुलित करने के लिए ठंडे और कम मसालेदार भोजन का सेवन करें।
नारियल पानी, पुदीना और हरी सब्जियां खाना फायदेमंद होता है। तनाव कम करने के लिए ध्यान और योग भी मददगार हैं।
कफ दोष: सुस्ती और वजन की समस्या
कफ दोष जल और पृथ्वी तत्व से जुड़ा है। जिन लोगों का वजन कम नहीं हो रहा, भले ही वे कितनी भी कोशिश कर लें, या जो लोग आलस और सुस्ती महसूस करते हैं, वे कफ दोष से प्रभावित हो सकते हैं। रात को समय पर नींद न आना, दिनभर बिस्तर पर लेटे रहने की इच्छा और जीवन में प्रेरणा की कमी इसके प्रमुख लक्षण हैं।
कफ दोष को नियंत्रित करने के लिए हल्का और गर्म भोजन लें, जैसे कि सूप और मसालेदार चाय। नियमित व्यायाम, खासकर सुबह की सैर और प्राणायाम, कफ को कम करने में मदद करते हैं।
संतुलित जीवनशैली का महत्व
आयुर्वेद के अनुसार, इन दोषों को संतुलित रखने के लिए अपनी दिनचर्या और खानपान पर विशेष ध्यान देना जरूरी है। हर व्यक्ति की प्रकृति अलग होती है, इसलिए अपने शरीर के लक्षणों को समझकर सही आहार और जीवनशैली अपनाना चाहिए।
अगर आपको लगता है कि आपके शरीर में इनमें से कोई दोष असंतुलित है, तो किसी आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से सलाह लें। इससे न केवल आपकी सेहत सुधरेगी, बल्कि आप मानसिक रूप से भी तरोताजा महसूस करेंगे।