Health Tips : शरीर के इस हिस्से पर बढ़ता फैट हो सकता है घातक, जानें कैसे बचें

Health Tips : महिलाओं के शरीर में कुछ खास हिस्सों पर जमा फैट को नजरअंदाज करना गंभीर बीमारियों का संकेत हो सकता है। जानें कौन-सा फैट है खतरनाक और इसे कैसे करें नियंत्रित।
Health Tips : शरीर के इस हिस्से पर बढ़ता फैट हो सकता है घातक, जानें कैसे बचें

Health Tips : आज के समय में महिलाओं के सामने एक बड़ी चुनौती है मोटापा। एक ताजा अध्ययन बताता है कि दुनिया भर में 53 प्रतिशत महिलाएं इस समस्या से जूझ रही हैं। ऐसा नहीं है कि यह परेशानी अचानक शुरू हुई है।

दरअसल, पीरियड्स, गर्भधारण और मेनोपॉज जैसे जीवन के अलग-अलग चरणों में महिलाओं के शरीर में हार्मोनल बदलाव होते हैं। ये बदलाव शरीर के निचले हिस्सों जैसे पेट और जांघों में अतिरिक्त चर्बी जमा होने का कारण बनते हैं।

लेंसेट नामक पत्रिका में छपे एक शोध में भी इस बात की पुष्टि हुई है कि मेनोपॉज के दौरान महिलाओं का अपने शरीर पर नियंत्रण कम हो जाता है। इस शोध से जुड़े डॉक्टर वूडी रोजर का कहना है कि महिलाओं में मोटापे की शुरुआत बचपन से ही हो सकती है।

अगर छोटी उम्र से ही लड़कियों को प्रोसेस्ड फूड, कोल्ड ड्रिंक्स और चिप्स जैसी चीजों से दूर रखा जाए, तो आगे चलकर उन्हें पीरियड्स के दौरान कम दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा।

शरीर में हार्मोन का संतुलन बनाए रखने के लिए जो पोषण चाहिए, हम उससे धीरे-धीरे दूर होते जा रहे हैं। किशोरावस्था में चेहरे पर मुंहासे, अनियमित पीरियड्स और वजन बढ़ना, ये सब संकेत हैं कि शरीर में कुछ गड़बड़ हो रही है।

अगर इन संकेतों को समय रहते समझ लिया जाए और सही कदम उठाए जाएं, तो आगे चलकर मोटापे को काफी हद तक रोका जा सकता है।

खासकर मेनोपॉज के बाद, जब शरीर में शर्करा का संतुलन बिगड़ जाता है, तो इसे ठीक करना बेहद मुश्किल हो जाता है और वजन पर काबू पाना एक बड़ी चुनौती बन जाता है।

लिपिडेमा: मोटापा या कुछ और?

हाल ही में इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक रिपोर्ट ने भारतीय महिलाओं के बीच बढ़ते लिपिडेमा के खतरे की ओर ध्यान दिलाया है। लिपिडेमा एक ऐसी स्थिति है, जिसमें शरीर के निचले हिस्सों जैसे जांघों, नितंबों और पैरों में अतिरिक्त चर्बी जमा हो जाती है।

अक्सर महिलाएं इसे सामान्य मोटापा समझ लेती हैं, लेकिन यह एक स्वास्थ्य समस्या हो सकती है। इसके लक्षणों में चलने-फिरने में तकलीफ होना शामिल है। हैरानी की बात यह है कि डाइटिंग और व्यायाम का इस पर कोई खास असर नहीं पड़ता।

यह समस्या आनुवांशिक भी हो सकती है। पीरियड्स की शुरुआत से ही इसके लक्षण दिखने शुरू हो सकते हैं, जो गर्भावस्था और मेनोपॉज के दौरान और बढ़ जाते हैं।

अगर आपको अपने शरीर में कुछ असामान्य लगे, तो बिना देर किए डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है। सही समय पर इलाज शुरू करने से इस समस्या को बढ़ने से रोका जा सकता है।

रसोई का स्पंज: सुविधा या खतरा?

हमारी रसोई आज पहले से कहीं ज्यादा आधुनिक हो गई है। पहले के जमाने में मां या दादी बर्तनों को चूल्हे की राख या नारियल की जटा से साफ करती थीं। इससे न सिर्फ हाथ जलते थे, बल्कि बर्तनों पर दाग भी रह जाते थे।

आज साबुन और स्पंज ने यह काम बेहद आसान कर दिया है। लेकिन क्या आप जानती हैं कि आपकी रसोई का यह छोटा सा स्पंज खतरे का सबब बन सकता है?

जर्मनी की फर्टवांगेन यूनिवर्सिटी के माइक्रोबायोलॉजिस्ट मार्कस ऐगरट्स ने हाल ही में एक शोध किया। उनके मुताबिक, एक स्पंज में 362 तरह के बैक्टीरिया पाए जा सकते हैं।

यानी जिस स्पंज से आप बर्तन साफ करती हैं, उसमें टॉयलेट सीट जितने बैक्टीरिया हो सकते हैं। यह सुनकर मन में सवाल उठता है कि क्या हमें स्पंज का इस्तेमाल बंद कर देना चाहिए?

स्पंज से बैक्टीरिया से कैसे बचें?

स्पंज में बैक्टीरिया की समस्या का मुख्य कारण उसका गीला रहना है। साबुन और पानी के संपर्क में रहने से स्पंज हमेशा नम बना रहता है, जो बैक्टीरिया के लिए सबसे मुफीद जगह बन जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि स्पंज को हमेशा सूखा रखने की कोशिश करनी चाहिए।

बर्तन धोने से पहले इसे कुछ देर गर्म पानी में डालें और फिर अच्छे से निचोड़ लें। इतना ही नहीं, अगर स्पंज को माइक्रोवेव में दो मिनट तक गर्म किया जाए, तो इसके बैक्टीरिया खत्म हो सकते हैं।

कोशिश करें कि बहुत पुराना स्पंज इस्तेमाल न करें और इसे साबुन के पानी में डूबा हुआ न छोड़ें। वरना जिस प्लेट में आप खाना परोसेंगी, उसमें पहले से ही बैक्टीरिया मौजूद होंगे।

छोटे बदलाव, बड़ा फर्क

मोटापा हो या लिपिडेमा, इन समस्याओं से निपटने के लिए हमें अपनी जीवनशैली में छोटे-छोटे बदलाव लाने होंगे। बचपन से ही सही खान-पान की आदतें डालना जरूरी है। साथ ही, रसोई में स्वच्छता का ध्यान रखना भी उतना ही महत्वपूर्ण है।

ये छोटे कदम न सिर्फ हमें स्वस्थ रखेंगे, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी बेहतर जीवन दे पाएंगे। तो आज से ही अपने शरीर और घर की सेहत पर ध्यान दें, क्योंकि हर कदम मायने रखता है।

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