Allahabad High Court : कोर्ट के सामने 'स्मार्ट' बनने चला था शख्स, लेकिन खेल हो गया फेल

Allahabad High Court : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रवींद्र कुमार सिंह को गलत तथ्यों के साथ दो बार याचिका दायर करने पर कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने 25 हजार का जुर्माना ठोका और याचिका खारिज की। जौनपुर DM को हर्जाना वसूलने का आदेश। ग्राम सभा जमीन घोटाले का था मामला। कपटपूर्ण याचिका पर कोर्ट का सख्त रुख।
Allahabad High Court : कोर्ट के सामने 'स्मार्ट' बनने चला था शख्स, लेकिन खेल हो गया फेल

Allahabad High Court : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में एक याचिका के मामले में सख्त रुख अपनाते हुए याची रवींद्र कुमार सिंह को कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने गलत तथ्यों के आधार पर एक ही मामले में दो बार याचिका दायर करने के लिए न केवल याची की मंशा पर सवाल उठाए, बल्कि उन पर 25 हजार रुपये का जुर्माना भी ठोका।

इसके साथ ही, जौनपुर के जिलाधिकारी को चार सप्ताह के भीतर यह राशि वसूल कर कोर्ट में जमा करने का निर्देश दिया गया है। यह फैसला न्यायमूर्ति मनीष कुमार निगम की एकलपीठ ने सुनाया, जिसने याची की याचिका को खारिज करते हुए कपटपूर्ण कार्रवाई को गंभीरता से लिया।

मामला क्या था?

रवींद्र कुमार सिंह ने अपनी याचिका में ग्राम सभा की जमीन से जुड़े घोटाले का आरोप लगाया था। उन्होंने अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई, पांच सदस्यीय जांच कमेटी की बहाली, और विपक्षी पक्ष को कथित तौर पर अनुचित रूप से आवंटित राशि की वसूली की मांग की थी।

विपक्षी अधिवक्ता राजेश कुमार सिंह ने कोर्ट को बताया कि याची ने इससे पहले भी इसी मामले में याचिका दायर की थी, जिसे बाद में वापस ले लिया गया था। हैरानी की बात यह है कि याची ने उसी मामले को फिर से गलत तथ्यों के साथ कोर्ट में पेश किया। कोर्ट ने जब याची से हलफनामा मांगकर तथ्यों की सत्यता जांचने की कोशिश की, तो याची ने पहली याचिका वापस ले ली और फिर से वही दावे दोहराए।

कोर्ट का कड़ा रुख

न्यायमूर्ति निगम ने इस मामले को कपटपूर्ण और कोर्ट की प्रक्रिया का दुरुपयोग करार दिया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि एक ही मामले में बार-बार याचिका दायर करना न केवल नियमों का उल्लंघन है, बल्कि यह न्यायिक प्रक्रिया का अपमान भी है। कोर्ट ने याची की याचिका को खारिज करते हुए यह भी कहा कि गलत बयानी और कपट की ऐसी हरकतें बर्दाश्त नहीं की जाएंगी। इस फैसले से कोर्ट ने एक मजबूत संदेश दिया है कि न्यायिक प्रणाली का दुरुपयोग करने वालों को कड़ी सजा भुगतनी पड़ेगी।

नियम क्या कहते हैं?

कानून के अनुसार, एक ही मामले में दो बार याचिका दायर करना प्रतिबंधित है, जब तक कि नए और ठोस तथ्य सामने न आएं। अगर कोई व्यक्ति पुराने तथ्यों के आधार पर बार-बार याचिका दायर करता है, तो इसे कोर्ट का अपमान माना जाता है। ठीक उसी तरह, जैसे एक ही मामले में दो बार एफआईआर दर्ज नहीं की जा सकती। हालांकि, अगर कोई एफआईआर रद्द हो चुकी है और नए सबूत सामने आते हैं, तो दूसरी एफआईआर दर्ज की जा सकती है। लेकिन याचिका के मामले में नियम सख्त हैं, और कोर्ट इसकी अनदेखी नहीं करता।

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