Himachal Pradesh : सरकार गरीब, लेकिन अफसर की होली पार्टी करोड़ों की! आखिर पैसा कहां से आया?

Himachal Pradesh : हिमाचल सरकार की आर्थिक तंगी के बीच मुख्य सचिव की होली पार्टी ने मचाया बवाल। 1 लाख 22 हजार का बिल सरकारी खजाने पर डाला गया। बीजेपी ने साधा निशाना, कहा- फिजूलखर्ची बर्दाश्त नहीं। सोशल मीडिया पर वायरल बिल ने बढ़ाई कांग्रेस की मुश्किलें। क्या अब जवाबदेही तय होगी?
Himachal Pradesh : सरकार गरीब, लेकिन अफसर की होली पार्टी करोड़ों की! आखिर पैसा कहां से आया?

Himachal Pradesh : हिमाचल प्रदेश की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार इन दिनों आर्थिक तंगी के भंवर में फंसी हुई है। राज्य की माली हालत इतनी खराब है कि सरकार को मंदिरों से चंदा तक लेना पड़ा। लेकिन इस संकट के बीच भी कुछ अधिकारी अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे।

हाल ही में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने न केवल सरकार की किरकिरी कराई, बल्कि सियासी तूफान भी खड़ा कर दिया। हिमाचल के मुख्य सचिव ने होली के मौके पर एक शानदार पार्टी का आयोजन किया, जिसका बिल अब सरकारी खजाने पर डाला गया है।

होली की पार्टी और लाखों का बिल

होली के रंग में रंगे हिमाचल में मुख्य सचिव प्रमोद सक्सेना ने अपने अधिकारियों और उनके परिवारों के लिए होटल होलीडे होम में एक भव्य लंच पार्टी का आयोजन किया। इस पार्टी में 75 अधिकारियों, उनकी पत्नियों और बच्चों ने हिस्सा लिया।

इतना ही नहीं, 22 चालकों के लिए भी लंच की व्यवस्था की गई। इस शानदार आयोजन का कुल बिल 1 लाख 22 हजार 20 रुपये का बना, जिसमें 1 लाख 9 हजार 150 रुपये का खाना और स्नैक्स, जबकि 12,870 रुपये चालकों के लंच पर खर्च हुए। यह बिल जनरल एडमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट (जीएडी) को भेजा गया, जो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इस घटना ने मुख्य सचिव को मुश्किल में डाल दिया है, जो वर्तमान में 31 मार्च 2025 से छह महीने के सेवा विस्तार पर हैं।

बीजेपी ने साधा निशाना

इस मामले ने हिमाचल की सियासत में भूचाल ला दिया है। बीजेपी ने कांग्रेस सरकार पर जमकर हमला बोला है। बीजेपी विधायक बिक्रम सिंह ठाकुर और रणधीर शर्मा ने इस पार्टी को सरकारी खजाने की बर्बादी करार दिया। उनका कहना है कि जब राज्य आर्थिक संकट से जूझ रहा है, तब इस तरह की फिजूलखर्ची निंदनीय है।

उन्होंने इसे केंद्रीय सिविल सेवा (आचरण) नियम 1964 का उल्लंघन बताया, जो अधिकारियों से निष्ठा और ईमानदारी की अपेक्षा करता है। बीजेपी नेताओं ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार ने नेशनल हेराल्ड को 2.34 लाख रुपये का विज्ञापन देकर सरकारी धन का दुरुपयोग किया, जबकि इस अखबार की कोई प्रति हिमाचल में नहीं बंटती।

जनता के बीच बढ़ता असंतोष

यह घटना केवल एक पार्टी का बिल भर नहीं है, बल्कि यह उस सोच को दर्शाती है, जो जनता के प्रति जवाबदेही से दूर है। जब हिमाचल की जनता आर्थिक तंगी और बुनियादी सुविधाओं की कमी से जूझ रही है, तब सरकारी अधिकारियों की ऐसी मौज-मस्ती जनता के जख्मों पर नमक छिड़कने जैसी है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रही तस्वीरें और बिल की कॉपी ने लोगों के गुस्से को और भड़का दिया है। सवाल उठ रहे हैं कि क्या सरकार और नौकरशाही वाकई जनता की समस्याओं के प्रति गंभीर हैं?

यह मामला हिमाचल की सियासत में लंबे समय तक गूंज सकता है। बीजेपी इसे कांग्रेस सरकार के खिलाफ एक बड़ा हथियार बना सकती है। वहीं, सरकार के लिए यह चुनौती होगी कि वह इस विवाद को कैसे संभालती है। क्या मुख्य सचिव इस बिल का भुगतान अपनी जेब से करेंगे, या सरकारी खजाना ही इसकी भरपाई करेगा? यह सवाल अभी अनुत्तरित है। लेकिन इतना तय है कि यह घटना हिमाचल की जनता के बीच सरकार और नौकरशाही के प्रति विश्वास को और कमजोर करेगी।

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