Pahalgam Terrorist Attack : आतंकियों के बीच फरिश्ता बनकर आया सज्जाद, बच्चों को पीठ पर उठाकर भागा ये कश्मीरी युवक

Sajjad Ahmad Bhat : पहलगाम में आतंकी हमले ने देश को झकझोरा, लेकिन सज्जाद अहमद भट ने मानवता की मिसाल पेश की। शॉल विक्रेता सज्जाद ने घायलों को पीठ पर उठाकर बचाया। उनका वायरल वीडियो इंसानियत की कहानी बयां करता है। पर्यटकों के लिए मेहमाननवाजी और कश्मीर की संस्कृति का प्रतीक है सज्जाद की बहादुरी।
Pahalgam Terrorist Attack : आतंकियों के बीच फरिश्ता बनकर आया सज्जाद, बच्चों को पीठ पर उठाकर भागा ये कश्मीरी युवक

Sajjad Ahmad Bhat : जम्मू-कश्मीर के खूबसूरत पहलगाम में मंगलवार को हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। इस दुखद घटना में कई पर्यटकों ने अपनी जान गंवाई, जिसके बाद देशभर में गम और गुस्से की लहर दौड़ गई। लोग सड़कों पर उतरे, मृतकों को श्रद्धांजलि दी, और पाकिस्तान के खिलाफ नारेबाजी की।

लेकिन इस अंधेरे में एक ऐसी कहानी उभरकर सामने आई, जो मानवता की रोशनी बिखेर रही है। यह कहानी है सज्जाद अहमद भट की, एक साधारण कश्मीरी शॉल विक्रेता की, जिसने अपनी जान की परवाह न करते हुए घायलों को बचाया और दुनिया को दिखाया कि इंसानियत से बड़ा कोई धर्म नहीं।

सज्जाद अहमद भट - एक आम आदमी, असाधारण साहस

पहलगाम के हरे-भरे वादियों में बसा सज्जाद का छोटा-सा जीवन पर्यटकों की मुस्कान से रोशन होता है। वह एक शॉल विक्रेता हैं, जिनके लिए पर्यटक न सिर्फ ग्राहक, बल्कि मेहमान हैं। मंगलवार को जब आतंकियों ने पहलगाम में निर्दोष लोगों पर गोलियां बरसाईं, तब सज्जाद ने कुछ ऐसा किया, जो हर किसी के बस की बात नहीं। उन्होंने घायलों को अपनी पीठ पर उठाया और उन्हें सुरक्षित स्थान तक पहुंचाया। एक वायरल वीडियो में सज्जाद को एक मासूम बच्चे को पीठ पर लादकर भागते देखा गया, जो अब लाखों दिलों को छू चुका है।

उस दिन की आपबीती - सज्जाद की जुबानी

सज्जाद ने अपनी कहानी साझा करते हुए बताया कि उस दिन दोपहर करीब 3 बजे पहलगाम पोनी एसोसिएशन के अध्यक्ष अब्दुल वहीद वान ने उन्हें हमले की खबर दी। सज्जाद बिना वक्त गंवाए घटनास्थल पर पहुंचे। वहां का मंजर दिल दहलाने वाला था। घायल लोग मदद के लिए चीख रहे थे, और चारों ओर अफरातफरी मची थी। सज्जाद ने घायलों को पानी पिलाया, जो चलने में असमर्थ थे, उन्हें अपनी पीठ पर उठाया और अस्पताल पहुंचाया। उन्होंने कहा, “मुझे अपनी जान की चिंता नहीं थी। जब मैंने पर्यटकों को रोते देखा, तो मेरी आंखें भी नम हो गईं।”

पर्यटक - सज्जाद के लिए मेहमान, आजीविका का आधार

सज्जाद के लिए पर्यटक सिर्फ आय का साधन नहीं, बल्कि उनके घर की रौनक हैं। उन्होंने भावुक होते हुए कहा, “पर्यटक हमारे मेहमान हैं। उनके बिना हमारी जिंदगी अधूरी है। उनकी खुशी से हमारे घरों में दीये जलते हैं।” सज्जाद का यह जज्बा दिखाता है कि कश्मीर की मिट्टी में इंसानियत की खुशबू आज भी बरकरार है। उनकी बहादुरी ने न सिर्फ घायलों को नया जीवन दिया, बल्कि यह भी साबित किया कि मुश्किल वक्त में भी इंसानियत जिंदा है।

पहलगाम हमले के बाद देशभर में लोगों का गुस्सा सड़कों पर उमड़ा। कई जगहों पर लोगों ने पाकिस्तान का पुतला जलाया और आतंकवाद के खिलाफ नारेबाजी की। साथ ही, मृतकों को श्रद्धांजलि देने के लिए शांतिपूर्ण सभाएं भी हुईं। इस बीच, सज्जाद जैसे नायकों की कहानियां हमें उम्मीद की किरण दिखाती हैं। उनकी हिम्मत और मानवता की मिसाल हर भारतीय के लिए प्रेरणा है।

सज्जाद अहमद भट की कहानी सिर्फ एक व्यक्ति की बहादुरी की नहीं, बल्कि यह उस कश्मीरी संस्कृति की कहानी है, जो मेहमाननवाजी और इंसानियत को सर्वोपरि मानती है। यह हमें सिखाती है कि मुश्किल हालात में भी दूसरों की मदद करना ही सच्चा धर्म है। सज्जाद जैसे लोग हमें याद दिलाते हैं कि इंसानियत की कोई सीमा नहीं होती।

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