सस्टेनेबल हेल्थकेयर कॉन्क्लेव में पर्यावरण के अनुकूल और जिम्मेदार स्वास्थ्य व्यवस्था की ज़रूरत पर दिया ज़ोर

दिल्ली में आयोजित सस्टेनेबल हेल्थकेयर कॉन्क्लेव 2025 में सरकार, उद्योग और शिक्षा जगत से जुड़े विशेषज्ञों ने एक मंच पर आकर इस बात पर चर्चा की कि भारत को अब ऐसी स्वास्थ्य व्यवस्था की ओर बढ़ना होगा जो पर्यावरण के प्रति भी ज़िम्मेदार हो।
कार्यक्रम की शुरुआत आरएलजी सिस्टम्स इंडिया की मैनेजिंग डायरेक्टर सुश्री राधिका कालिया के स्वागत भाषण से हुई। उन्होंने कहा, “अब समय आ गया है कि हम स्वास्थ्य सेवा और पर्यावरण सुरक्षा को एक साथ लेकर चलें। इलाज की सुविधा बढ़े - लेकिन धरती पर बोझ नहीं। अब स्वास्थ्य क्षेत्र में हरित और टिकाऊ दृष्टिकोण जरूरी हो गया है।
अपने मुख्य भाषण में सुश्री कालिया ने बताया कि सरकार ने वित्त वर्ष 2026 के लिए स्वास्थ्य बजट में 9.46% की बढ़ोतरी की है (₹96,000 करोड़)। साथ ही उन्होंने कहा कि डिजिटल स्वास्थ्य और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से देश की अर्थव्यवस्था को 2025 तक 30 बिलियन डॉलर का फायदा हो सकता है। लेकिन इसके लिए नियमों में सुधार, सभी के लिए समान सुविधा और तकनीकी प्रशिक्षण की सख्त ज़रूरत है।
जर्मनी के मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट मॉडल को भारत के लिए प्रेरणा के रूप में सामने रखा गया - जिसमें स्वचालित मशीनें, ऊर्जा की बचत और दोबारा उपयोग की व्यवस्था शामिल है।
कार्यक्रम में एक्सपर्ट्स ने बताया कि कैसे दवाइयों और मेडिकल उपकरणों को इस तरह डिज़ाइन किया जाए कि उन्हें दोबारा इस्तेमाल किया जा सके या सही ढंग से निपटाया जा सके। मेडिकल सामान की खरीदारी और सप्लाई में पर्यावरण के अनुकूल तरीकों को अपनाने पर जोर दिया गया।
सरकार और कंपनियों के प्रतिनिधियों ने इस पर अपने अनुभव साझा किए। साथ ही कचरे के बेहतर प्रबंधन के लिए बारकोड, जीपीएस ट्रैकिंग और रियल टाइम निगरानी जैसे नए तकनीकी उपायों की चर्चा हुई। बताया कि दवाओं से निकलने वाले अवशेष पानी और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं। इस पर कड़ा ध्यान देने की ज़रूरत बताई गई।