महेश नवमी 2025 Date : 3 शुभ योगों में होगी शिव-पार्वती पूजा, जानिए इस दुर्लभ संयोग का महत्व

हिंदू धर्म में महेश नवमी (Mahesh Navami 2025) का विशेष महत्व है। यह पवित्र दिन ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है, जब भक्त भगवान शिव (Lord Shiva) और माता पार्वती (Mata Parvati) की भक्ति में डूबकर अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करते हैं।
इस साल 2025 में महेश नवमी और भी खास होने वाली है, क्योंकि इस दिन तीन शुभ योग—रवि योग, सिद्धि योग, और वज्र योग—बन रहे हैं। इन शुभ योगों में पूजा, जप, और दान का विशेष फल प्राप्त होता है। आइए, उज्जैन के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य से जानते हैं कि महेश नवमी 2025 की तारीख, शुभ मुहूर्त, और इसका महत्व क्या है।
महेश नवमी 2025: तारीख और तिथि
दृक पंचांग (Drig Panchang) के अनुसार, ज्येष्ठ शुक्ल नवमी तिथि 3 जून 2025 को रात 9:56 बजे शुरू होगी और 4 जून 2025 को रात 11:54 बजे समाप्त होगी। उदयातिथि के आधार पर, महेश नवमी 4 जून 2025, बुधवार को पूरे उत्साह के साथ मनाई जाएगी। यह दिन माहेश्वरी समाज (Maheshwari Samaj) के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस दिन भगवान शिव की कृपा से उनके पूर्वजों को नया जीवन प्राप्त हुआ था।
तीन शुभ योग बनाएंगे महेश नवमी को और खास
ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि इस बार महेश नवमी 2025 पर तीन शुभ योग बन रहे हैं, जो इस दिन को और भी पवित्र और फलदायी बनाते हैं। पहला है रवि योग (Ravi Yog), जो पूरे दिन रहेगा और सूर्य की ऊर्जा से पूजा को शक्तिशाली बनाएगा। दूसरा है सिद्धि योग (Siddhi Yog), जो 4 जून को सुबह 8:29 बजे से शुरू होकर पूरे दिन रहेगा।
इसके अलावा, वज्र योग (Vajra Yog) सुबह के समय प्रभावी रहेगा। इसके साथ ही, 5 जून को तड़के 3:35 बजे से सुबह 5:23 बजे तक सर्वार्थ सिद्धि योग (Sarvartha Siddhi Yog) रहेगा, जो सभी कार्यों में सफलता दिलाने वाला माना जाता है। इस दौरान उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र (Uttaraphalguni Nakshatra) और हस्त नक्षत्र (Hasta Nakshatra) का भी प्रभाव रहेगा।
महेश नवमी 2025: शुभ मुहूर्त
महेश नवमी के दिन पूजा और दान के लिए कई शुभ मुहूर्त उपलब्ध हैं। ब्रह्म मुहूर्त (Brahma Muhurta) सुबह 4:02 बजे से 4:43 बजे तक रहेगा, जो स्नान, ध्यान, और दान के लिए सबसे उत्तम समय है। विजय मुहूर्त (Vijay Muhurta) दोपहर 2:38 बजे से 3:34 बजे तक रहेगा, जो विशेष कार्यों के लिए शुभ माना जाता है।
निशिता मुहूर्त (Nishita Muhurta) रात 11:59 बजे से 12:40 बजे तक रहेगा, जो रात्रिकालीन पूजा के लिए उपयुक्त है। रवि योग पूरे दिन प्रभावी रहेगा, इसलिए सूर्योदय (Sunrise) सुबह 5:23 बजे से ही भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा शुरू की जा सकती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, भगवान भोलेनाथ (Lord Bholenath) की पूजा में मुहूर्त की बाध्यता नहीं होती, क्योंकि वे स्वयं काल से परे हैं।
महेश नवमी का धार्मिक और सामाजिक महत्व
महेश नवमी का दिन माहेश्वरी समाज (Maheshwari Samaj) के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। मान्यता है कि ज्येष्ठ शुक्ल नवमी को भगवान महेश्वर (Lord Maheshwar) की कृपा से माहेश्वरी समाज के पूर्वज ऋषियों के श्राप से मुक्त हुए थे और उन्हें नया जीवन मिला।
यही कारण है कि इस दिन को महेश नवमी के रूप में उत्सव की तरह मनाया जाता है। माहेश्वरी समाज भगवान शिव को अपना कुलदेवता मानता है और इस दिन विशेष रूप से शिव-पार्वती की पूजा करता है। भक्त अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करते हैं और एक-दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं। यह दिन भक्ति, आस्था, और सामाजिक एकता का प्रतीक है।
क्यों खास है महेश नवमी 2025?
इस साल महेश नवमी का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है, क्योंकि तीन शुभ योगों का संयोग इसे और फलदायी बनाता है। चाहे आप नौकरी, व्यवसाय, या व्यक्तिगत जीवन में सफलता की कामना कर रहे हों, इस दिन की गई पूजा और दान आपके लिए शुभ फल ला सकते हैं।
माहेश्वरी समाज के लोग इस दिन मंदिरों में जाकर भगवान शिव (Lord Shiva) और माता पार्वती (Mata Parvati) की विशेष पूजा करते हैं और सामाजिक आयोजनों में हिस्सा लेते हैं। यह दिन न केवल धार्मिक, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है।