Puja Room Vastu: पूजा घर की गलत दिशा से बढ़ सकती हैं नकारात्मकता, अभी करें ये सरल सुधार

Puja Room Vastu: पूजा कक्ष का वास्तु घर में सकारात्मक ऊर्जा और शांति लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, उत्तर-पूर्व दिशा (ईशान कोण) पूजा कक्ष के लिए सबसे शुभ मानी जाती है, क्योंकि यह सूर्य की पहली किरणों को आकर्षित करती है। यदि यह दिशा उपलब्ध न हो, तो उत्तर या पूर्व दिशा भी उपयुक्त है।
पूजा घर की गलत दिशा से बढ़ सकती हैं नकारात्मकता, अभी करें ये सरल सुधार

हर घर में एक ऐसी जगह होती है, जहां मन को सुकून मिलता है और आत्मा को शांति का अहसास होता है। यह जगह है हमारा पूजा कक्ष, जहां हम अपने इष्टदेव के साथ समय बिताते हैं और जीवन की उलझनों से थोड़ा दूर होकर खुद को पाते हैं।

लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस पवित्र स्थान की दिशा और व्यवस्था आपके जीवन पर गहरा प्रभाव डाल सकती है? इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी और वास्तु विशेषज्ञ हिमाचल सिंह के अनुसार, पूजा कक्ष का सही वास्तु न केवल घर में सकारात्मक ऊर्जा लाता है, बल्कि मानसिक शांति और स्थिरता को भी बढ़ावा देता है।

आइए, जानते हैं कि पूजा कक्ष को कैसे बनाएं अपने घर का सच्चा ऊर्जा केंद्र।

वास्तु शास्त्र में पूजा कक्ष के लिए सबसे उपयुक्त दिशा उत्तर-पूर्व या ईशान कोण मानी जाती है। यह वह दिशा है, जहां सूर्य की पहली किरणें प्रवेश करती हैं, जो न केवल प्राकृतिक रोशनी प्रदान करती हैं, बल्कि मन और आत्मा को भी शुद्ध करती हैं।

इस दिशा में पूजा कक्ष बनाने से घर में सकारात्मकता का प्रवाह बढ़ता है और परिवार के सदस्यों में एकाग्रता और शांति का अनुभव होता है। यदि आपके घर में उत्तर-पूर्व दिशा में स्थान उपलब्ध नहीं है, तो चिंता न करें। आप उत्तर दिशा, पूर्व दिशा, या इन दोनों के बीच के कोण को भी चुन सकते हैं।

ये दिशाएं भी पूजा के लिए शुभ मानी जाती हैं और इनमें ध्यान लगाने से विचारों में स्पष्टता आती है।

क्या होगा अगर आपका पूजा कक्ष दक्षिण या दक्षिण-पश्चिम दिशा में है? वास्तु विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि ऐसी स्थिति में पूजा कक्ष को स्थानांतरित करने पर विचार करें। यह बदलाव न केवल आपके घर के वातावरण को शांत बनाएगा, बल्कि आपके जीवन में स्थिरता और संतुलन भी लाएगा।

पूजा कक्ष को किसी भव्य संरचना की आवश्यकता नहीं है। यह एक साधारण कोना भी हो सकता है, जहां आप श्रद्धा और नियमितता के साथ पूजा करते हैं। यह स्थान आपकी आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र बन सकता है।

पूजा कक्ष को व्यवस्थित करते समय कुछ छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखना जरूरी है। पूजा के दौरान आपका चेहरा पूर्व या उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए, क्योंकि यह दिशाएं सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करती हैं। मंदिर को दीवार से सटाकर रखें, ताकि उसके पीछे खाली जगह न रहे।

साथ ही, पूजा कक्ष के आसपास शौचालय या रसोईघर से बचें, क्योंकि इससे स्थान की पवित्रता प्रभावित हो सकती है। सजावट के मामले में सादगी को अपनाएं। ज्यादा चमक-दमक या भारी सजावट से बचें, ताकि स्थान की शांति और पवित्रता बनी रहे।

पूजा कक्ष केवल एक कमरा नहीं, बल्कि आपके घर का वह पवित्र कोना है, जो सकारात्मकता और शांति का स्रोत बन सकता है। जब हम सही दिशा और वास्तु के नियमों के साथ पूजा करते हैं, तो हमारे विचार साफ होते हैं और जीवन में एक नई ऊर्जा का संचार होता है। इस स्थान को श्रद्धा और प्रेम से सजाएं, और इसे अपने घर का सच्चा ऊर्जा केंद्र बनाएं।

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