Sunset Vastu : सूर्यास्त के बाद ये आदतें बना सकती हैं आपकी किस्मत खराब, जानिए कैसे

Sunset Vastu : सूर्य जब धीरे-धीरे क्षितिज में डूबता है, तो वह सिर्फ दिन के अंत का संकेत नहीं देता — बल्कि यह एक आध्यात्मिक चेतावनी भी होता है। जिस तरह सूर्योदय ऊर्जा, आशा और नई शुरुआत का प्रतीक है, ठीक उसी तरह सूर्यास्त भी जीवन में संतुलन और आत्मनिरीक्षण का एक महत्वपूर्ण समय होता है।
वास्तु शास्त्र और हमारे धार्मिक ग्रंथों में संध्या समय को लेकर कुछ विशेष नियम बताए गए हैं, जिन्हें अपनाकर हम अपने जीवन को सुख-शांति और समृद्धि से भर सकते हैं।
स्त्रियों का सम्मान: संध्या में होता है दोगुना महत्व
शाम के समय यदि किसी स्त्री का अपमान किया जाता है, तो यह केवल नैतिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक दृष्टि से भी हानिकारक माना जाता है।
ऐसा कहा जाता है कि संध्या समय देवी-शक्ति सक्रिय होती है, और इस समय स्त्रियों का अनादर करने से घर की सुख-शांति नष्ट हो सकती है। इसलिए चाहे घर हो या बाहर, स्त्रियों के साथ सम्मानपूर्ण व्यवहार करना बहुत ज़रूरी है।
चुगली और बुराई से बनाएं दूरी
शाम के समय किसी की निंदा, चुगली या दोषारोपण करने से बचना चाहिए। यह न केवल आपके मन की शुद्धता को नष्ट करता है, बल्कि आपके सामाजिक मान-सम्मान पर भी असर डालता है।
कहा जाता है कि संध्या समय देवी-देवता हमारे कर्मों का निरीक्षण करते हैं, ऐसे में नकारात्मक विचार और वाणी दुर्भाग्य को आमंत्रित कर सकती है।
तुलसी पूजन के नियम: कब करें और कब नहीं?
तुलसी माता को हमारे धर्म में विशेष स्थान प्राप्त है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि शाम के समय तुलसी में जल अर्पित करना वर्जित माना जाता है? तुलसी पूजन के लिए प्रातःकाल का समय सबसे उपयुक्त होता है।
इसी प्रकार, सूर्यास्त के बाद तुलसी के पत्ते तोड़ना भी वर्जित है — ऐसा करने से पुण्य के बजाय पाप का भागी बनना पड़ सकता है।
झाड़ू और शयन: क्यों बचें संध्या समय इन कार्यों से?
वास्तु शास्त्र के अनुसार, शाम के समय घर में झाड़ू लगाने से सकारात्मक ऊर्जा बाहर चली जाती है और दरिद्रता का प्रवेश होता है।
इसके साथ ही, सूर्यास्त के आसपास सोना न केवल शरीर की ऊर्जा को कमजोर करता है, बल्कि आलस्य को भी आमंत्रित करता है। यह आदत धीरे-धीरे शरीर को रोगों की ओर ले जाती है और मानसिक थकावट का कारण बनती है।
शारीरिक संबंध और नशीले पदार्थ: क्यों कहें ‘ना’?
पति-पत्नी के लिए यह जानना जरूरी है कि संध्या समय को धार्मिक और सात्विक माना गया है। इस समय शारीरिक संबंध बनाना अथवा शयनकक्ष में मदिरा का सेवन करना अशुभ माना जाता है।
इससे न केवल शरीर पर बुरा प्रभाव पड़ता है, बल्कि मानसिक तनाव और डरावने स्वप्न भी घेरे रहते हैं। बेहतर होगा कि इस समय घर को शांत, सुगंधित और दिव्य ऊर्जा से भर दिया जाए।
संध्या का सार: शांति, संयम और श्रद्धा
संध्या का समय केवल दिन ढलने का नहीं, बल्कि आत्मा के भीतर झांकने का एक अवसर होता है। अगर हम इन नियमों का पालन करें, तो न केवल हमारे घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है, बल्कि देवी-देवताओं की कृपा भी सदैव हमारे साथ बनी रहती है।