Swastik Vastu Shastra : स्वास्तिक लगाने से खुलते हैं किस्मत के दरवाजे, जानें शुभ दिशा और फायदे

Swastik Vastu Shastra : भारतीय सभ्यता में कुछ प्रतीक इतने गहरे रचे-बसे होते हैं कि वे सिर्फ एक चिन्ह नहीं, जीवन जीने का मार्गदर्शन बन जाते हैं। स्वास्तिक ऐसा ही एक प्रतीक है, जिसे सदियों से शुभता, स्थिरता और ऊर्जा का प्रतीक माना गया है। मंदिर हो या घर का मुख्य द्वार, विवाह हो या व्यापार की शुरुआत — स्वास्तिक की उपस्थिति हमेशा देखी जाती है।
स्वास्तिक की बनावट और गूढ़ अर्थ
स्वास्तिक दिखने में भले ही एक सरल ज्यामितीय आकृति लगे, लेकिन इसका अर्थ अत्यंत गहरा है। इसकी चारों दिशाओं में फैली रेखाएं ब्रह्मांड की चार दिशाओं और संतुलन का प्रतीक मानी जाती हैं।
जैसे ‘ॐ’ ध्वनि हमारे मन को शांति देती है, वैसे ही स्वास्तिक हमारे स्थान की ऊर्जा को संतुलित करता है। यह चिन्ह हमें याद दिलाता है कि जीवन में स्थिरता और सकारात्मकता दोनों आवश्यक हैं।
घर और ऑफिस में स्वास्तिक क्यों लगाना चाहिए?
जब किसी स्थान पर स्वास्तिक अंकित होता है — खासकर मुख्य द्वार, पूजा स्थल या रसोई के बाहर — वहां एक विशेष प्रकार की सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
ऐसा कहा जाता है कि स्वास्तिक की उपस्थिति से घर में शांति और सौहार्द बना रहता है। ऑफिस की बात करें तो यह विचारों को स्पष्ट और रचनात्मक बनाने में सहायक होता है, जिससे निर्णय लेने की क्षमता बेहतर होती है।
भले ही यह वैज्ञानिक रूप से पूरी तरह सिद्ध न हो, लेकिन जो लोग इसे नियमित रूप से अपनाते हैं, वे मानसिक रूप से अधिक स्थिर और सकारात्मक अनुभव करते हैं।
क्या स्वास्तिक वास्तु दोष दूर करता है?
यह एक आम धारणा है कि स्वास्तिक सभी वास्तु दोषों को दूर कर सकता है। लेकिन वास्तु शास्त्र के अनुसार, यह पूरी तरह सच नहीं है। स्वास्तिक एक सहायक ऊर्जा स्रोत की तरह काम करता है, जो स्थान की सकारात्मकता को बढ़ाता है।
लेकिन यदि घर का निर्माण वास्तु के विरुद्ध हुआ है, तो केवल स्वास्तिक लगाने से समाधान नहीं होगा।
ऐसी स्थिति में विशेषज्ञ की सलाह लेकर वास्तु अनुसार बदलाव और उपाय ज़रूरी होते हैं। हाँ, स्वास्तिक को साथ में रखने से मनोबल बढ़ता है और कार्यों में विश्वास आता है।
शुभ कार्यों में स्वास्तिक की उपस्थिति क्यों जरूरी होती है?
भारत में जब भी कोई शुभ काम शुरू होता है — जैसे शादी, नया व्यवसाय, गृह प्रवेश — सबसे पहले स्वास्तिक अंकित किया जाता है। यह मान्यता है कि स्वास्तिक से शुभ ऊर्जा का आह्वान होता है और नकारात्मकता दूर रहती है।
स्वास्तिक मानो एक ऊर्जा का द्वार है, जो कार्य की शुरुआत को पवित्रता और सकारात्मकता से भर देता है। जब मन और वातावरण दोनों शुभ हों, तो सफलता स्वाभाविक रूप से आती है।