Tilak Niyam : हर रोज़ तिलक लगाने से खुलेंगे भाग्य के दरवाज़े, जानिए इसके नियम और मंत्र

Tilak Niyam : तिलक लगाना केवल धार्मिक क्रिया नहीं, बल्कि ऊर्जा और सौभाग्य का प्रतीक भी है। जानिए तिलक लगाने के सही नियम, मंत्र और दिशा—जो आपके जीवन में ला सकती है शुभता और सकारात्मकता।
Tilak Niyam : हर रोज़ तिलक लगाने से खुलेंगे भाग्य के दरवाज़े, जानिए इसके नियम और मंत्र

Tilak Niyam : भारत की संस्कृति में तिलक लगाना केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि आस्था, उर्जा और पहचान का प्रतीक है। हिंदू धर्म में यह माना जाता है कि तिलक लगाने से मन, मस्तिष्क और आत्मा को शुद्धता मिलती है। यह शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है और नकारात्मक शक्तियों से रक्षा भी करता है।

प्रत्येक शुभ कार्य, पूजा-पाठ या किसी धार्मिक समारोह से पहले तिलक लगाने की परंपरा हमें आत्मिक बल और मानसिक स्थिरता देती है।

तिलक लगाने से पहले इन नियमों का रखें ध्यान

तिलक का प्रभाव तभी पूर्ण माना जाता है जब इसे सही नियमों और विधि से लगाया जाए। सबसे पहले स्नान करके शुद्ध वस्त्र पहनना आवश्यक है।

तिलक लगाने के लिए अनामिका उंगली यानी रिंग फिंगर का उपयोग करना श्रेष्ठ होता है क्योंकि यह उंगली मन की स्थिरता से जुड़ी मानी जाती है।

तिलक कभी भी लेटे हुए या चलते हुए नहीं लगाना चाहिए। यह कार्य शांत चित्त होकर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके करना चाहिए।

किस देवता के अनुसार कौन-सा तिलक लगाएं?

तिलक की सामग्री भी बहुत मायने रखती है। जैसे विष्णु भक्त चंदन लगाते हैं, तो देवी की आराधना में कुमकुम, शिव पूजन में भस्म का प्रयोग होता है। यह चयन आपके इष्ट देव के अनुसार होना चाहिए।

तिलक लगाते समय कौन-कौन से मंत्र बोले जाते हैं?

तिलक केवल एक प्रतीक नहीं, बल्कि उसमें मंत्र शक्ति भी समाहित होती है। तिलक लगाते समय विशेष मंत्रों का जाप करने से उसका प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है।

माथे पर चंदन लगाते समय
“केशवानन्त गोविन्द बाराह पुरुषोत्तम”

गले पर तिलक
“ॐ श्री गोविंदाय नमः”

छाती पर तिलक
“ॐ श्री माधवाय नमः”

दाहिनी भुजा पर तिलक
“ॐ गोविन्दाय नमः”

बाईं भुजा पर तिलक
“ॐ विष्णवे नमः”

शिखा (सिर की चोटी) पर तिलक
“ॐ श्री वासुदेवाय नमः”

पूजन और यज्ञ में बोले जाने वाले विशेष मंत्र

जब ब्राह्मण तिलक करते हैं या यज्ञ-हवन के समय विशेष तिलक लगाया जाता है, तब यह मंत्र बोला जाता है:

“ॐ आदित्या वसवो रुद्रा विश्वेदेवा मरुद्गणाः तिलकान्ते प्रयच्छन्तु धर्मकामार्थसिद्धये।”

गायत्री मंत्र के साथ तिलक:

“ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।”

रोज़ाना तिलक लगाते समय यह मंत्र बोलें

यदि आप प्रतिदिन तिलक लगाते हैं, तो नीचे दिया गया मंत्र जीवन में पुण्य, यश, स्वास्थ्य और सौभाग्य देता है:

“केशवानन्त गोविन्द बाराह पुरुषोत्तम। पुण्यं यशस्यमायुष्यं तिलकं मे प्रसीदतु।
कान्ति लक्ष्मीं धृतिं सौख्यं सौभाग्यमतुलं बलम्। ददातु चन्दनं नित्यं सततं धारयाम्यहम्।”

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