क्या खिलाड़ियों की खींचतान ने छीनी अभिषेक नायर की नौकरी? सच्चाई अब आई सामने!

बीसीसीआई ने अभिषेक नायर, टी. दिलीप और सोहम देसाई को कोचिंग स्टाफ से हटाया। टेस्ट क्रिकेट में भारत की हार और ड्रेसिंग रूम विवाद इसके पीछे कारण बताए जा रहे हैं। क्या नायर को बलि का बकरा बनाया गया? गौतम गंभीर और रोहित शर्मा के रुख पर सवाल उठ रहे हैं।
क्या खिलाड़ियों की खींचतान ने छीनी अभिषेक नायर की नौकरी? सच्चाई अब आई सामने!

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने हाल ही में एक चौंकाने वाला फैसला लिया है, जिसने क्रिकेट जगत में हलचल मचा दी है। 17 अप्रैल 2025 को बीसीसीआई ने टीम इंडिया के सहायक कोच अभिषेक नायर, फील्डिंग कोच टी. दिलीप और ट्रेनर सोहम देसाई को उनके पदों से हटा दिया। यह निर्णय तब आया जब भारतीय क्रिकेट टीम टेस्ट क्रिकेट में लगातार खराब प्रदर्शन के कारण आलोचनाओं के घेरे में थी।

लेकिन क्या यह फैसला केवल प्रदर्शन की वजह से लिया गया, या इसके पीछे कुछ और गहरी वजहें हैं? आइए, इस खबर के पीछे की सच्चाई को समझने की कोशिश करते हैं।

टेस्ट क्रिकेट में भारत का निराशाजनक प्रदर्शन

पिछले कुछ महीनों में भारतीय क्रिकेट टीम का टेस्ट क्रिकेट में प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा है। न्यूजीलैंड के खिलाफ घरेलू मैदान पर 0-3 की शर्मनाक हार और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में 1-3 से मिली हार ने प्रशंसकों और क्रिकेट पंडितों को स्तब्ध कर दिया। इन हार के बाद बीसीसीआई पर दबाव बढ़ गया था कि वह कुछ बड़े बदलाव करे। नतीजतन, सहायक कोच अभिषेक नायर, फील्डिंग कोच टी. दिलीप और ट्रेनर सोहम देसाई को बाहर का रास्ता दिखाया गया। लेकिन सवाल यह है कि क्या ये तीनों ही इस खराब प्रदर्शन के लिए जिम्मेदार थे?

अभिषेक नायर: बलि का बकरा या गलत फैसला?

सूत्रों की मानें तो अभिषेक नायर को हटाने का फैसला केवल टेस्ट क्रिकेट में खराब प्रदर्शन का नतीजा नहीं है। बल्कि, यह बीसीसीआई और टीम मैनेजमेंट के बीच अंदरूनी खींचतान और ड्रेसिंग रूम की राजनीति का परिणाम हो सकता है। नायर, जो मात्र आठ महीने पहले सहायक कोच बने थे, को शुरू से ही कुछ वरिष्ठ खिलाड़ियों और सपोर्ट स्टाफ के साथ तनाव का सामना करना पड़ा था। सूत्रों का कहना है कि एक समीक्षा बैठक में सपोर्ट स्टाफ के एक वरिष्ठ सदस्य ने नायर की भूमिका पर सवाल उठाए थे। उनका दावा था कि नायर की मौजूदगी ड्रेसिंग रूम के माहौल को नकारात्मक बना रही थी। 

इसके बाद बीसीसीआई ने सीतांशु कोटक को अतिरिक्त बल्लेबाजी कोच के रूप में नियुक्त किया, जिसे कई लोग नायर को दरकिनार करने की रणनीति के रूप में देखते हैं। यह कदम चैंपियंस ट्रॉफी से पहले लिया गया, जिससे यह साफ हो गया कि नायर को धीरे-धीरे किनारे करने की योजना थी। लेकिन क्या नायर को सचमुच बलि का बकरा बनाया गया? यह सवाल क्रिकेट प्रशंसकों के मन में बार-बार उठ रहा है।

गौतम गंभीर और रोहित शर्मा का क्या है रुख?

अभिषेक नायर और मुख्य कोच गौतम गंभीर के बीच गहरी दोस्ती किसी से छिपी नहीं है। दोनों ने कोलकाता नाइट राइडर्स (केकेआर) के लिए एक साथ काम किया और 2024 में आईपीएल खिताब जीता। लेकिन सूत्रों का कहना है कि नायर कभी भी गंभीर की पहली पसंद नहीं थे। गंभीर को मुख्य कोच के रूप में इसलिए चुना गया था क्योंकि उनके और भारतीय कप्तान रोहित शर्मा के बीच अच्छे संबंध हैं। रोहित को नायर और फील्डिंग कोच टी. दिलीप पर पूरा भरोसा था। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या रोहित को इस फैसले की जानकारी पहले से थी, या यह बीसीसीआई का एकतरफा निर्णय था?

बीसीसीआई की समीक्षा बैठक और भविष्य की रणनीति

ऑस्ट्रेलिया दौरे के बाद बीसीसीआई ने एक समीक्षा बैठक बुलाई थी, जिसमें बोर्ड के शीर्ष अधिकारी, राष्ट्रीय चयनकर्ता और टीम इंडिया के अहम सदस्य शामिल थे। इस बैठक में सचिव देवजीत सैकिया और उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला ने भी हिस्सा लिया। सूत्रों के अनुसार, इस बैठक में सपोर्ट स्टाफ की भूमिका पर गहन चर्चा हुई। नायर की कार्यशैली और उनके प्रभाव को लेकर कई सवाल उठे। हालांकि, बीसीसीआई ने तुरंत कोई कदम नहीं उठाया, लेकिन सीतांशु कोटक की नियुक्ति ने यह संकेत दे दिया था कि बदलाव की तैयारी चल रही है।

प्रशंसकों के बीच बढ़ता असंतोष

भारतीय क्रिकेट प्रशंसक इस फैसले से हैरान और नाराज हैं। सोशल मीडिया पर कई लोग बीसीसीआई के इस कदम की आलोचना कर रहे हैं। प्रशंसकों का मानना है कि खराब प्रदर्शन के लिए केवल सहायक कोच को जिम्मेदार ठहराना गलत है। कुछ का कहना है कि टीम में बड़े बदलाव की जरूरत है, जिसमें सीनियर खिलाड़ियों की जिम्मेदारी भी तय होनी चाहिए। वहीं, कुछ प्रशंसक नायर के समर्थन में उतर आए हैं, जिन्होंने केकेआर के साथ अपनी कोचिंग क्षमता साबित की थी।

Share this story