Ishant Sharma : 36 की उम्र में ऐसा कमबैक? इशांत शर्मा ने खुद किया खुलासा - 'ये है मेरा असली सीक्रेट'

Ishant Sharma : गुड़गांव के सेक्टर 66 में बसा निवान स्पोर्ट्स क्लब बाहर से भले ही सादगी भरा दिखे, लेकिन इसके अंदर एक क्रांति जन्म ले रही है। यह क्लब तेज गेंदबाजों का ऐसा स्कूल है, जहां सपने रफ्तार पकड़ते हैं। आधुनिक तकनीकों और अनूठे प्रशिक्षण के दम पर यह क्लब भारत के तेज गेंदबाजों को नई ऊंचाइयों तक ले जा रहा है।
इस क्रांति के केंद्र में हैं भारत के अनुभवी तेज गेंदबाज ईशांत शर्मा, जो 36 साल की उम्र में भी 140 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गेंदबाजी करने को तैयार हैं। आइए, इस अनोखी कहानी को करीब से जानें।
पेसलैब - तेज गेंदबाजी का अनोखा प्रयोगशाला
निवान स्पोर्ट्स क्लब की सबसे खास बात है इसका पेसलैब, जिसे पूर्व इंग्लिश क्रिकेटर स्टीफन जोन्स ने अपनी विशेषज्ञता से तैयार किया है। यह कोई साधारण कोचिंग सेंटर नहीं है। यहां न तो पारंपरिक नेट्स हैं और न ही पुराने तरीके। पेसलैब में दो अनोखे जाल हैं—एक में गोलपोस्ट जैसा नेट और दूसरे में घास की पट्टी। इनके जरिए गेंदबाजों की तकनीक और गति को निखारा जाता है।
स्टीफन जोन्स, जिन्होंने लॉफबोरो और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से खेल विज्ञान और शारीरिक शिक्षा में पढ़ाई की है, का मानना है कि तेज गेंदबाजी कोचिंग को आधुनिकता की जरूरत है। उनके इस दृष्टिकोण ने पेसलैब को एक अनूठा मंच बना दिया है।
उम्र को चुनौती देती रफ्तार
ईशांत शर्मा की कहानी प्रेरणा से भरी है। 2018 में स्टीफन जोन्स से मुलाकात के बाद उनकी गेंदबाजी में नया जीवन आया। उस समय ईशांत की गति महज 124 किमी प्रति घंटे थी। जोन्स और उनके सहयोगी, पंजाब के पूर्व क्रिकेटर आयुष मेहंदीरत्ता ने ईशांत की तकनीक पर काम किया। भारयुक्त गेंदों और आधुनिक जिम उपकरणों के इस्तेमाल से ईशांत की गति में जबरदस्त सुधार हुआ।
आज वह 140 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गेंद फेंक रहे हैं, जो आईपीएल 2025 में विरोधी बल्लेबाजों के लिए खतरे की घंटी है। मेहंदीरत्ता कहते हैं, “ईशांत का जुनून और मेहनत उन्हें खास बनाती है। हमने सिर्फ उनकी कमजोरियों को ताकत में बदला।”
तेज गेंदबाजों का नया ठिकाना
पेसलैब की सफलता का असर अब दूर-दूर तक फैल रहा है। अरुणाचल प्रदेश के मिबोम मोसु और हरियाणा के कुशाग्र यादव जैसे युवा गेंदबाजों ने भी यहां अपनी गति और तकनीक में सुधार किया है। आयुष मेहंदीरत्ता, जिन्हें चोट ने क्रिकेट से दूर कर दिया था, अब अपना सपना पेसलैब के जरिए पूरा कर रहे हैं। उनका कहना है, “मैं चाहता हूं कि भारत के हर कोने से तेज गेंदबाज यहां आएं और दुनिया को अपनी रफ्तार दिखाएं।” पेसलैब की आधुनिक तकनीक और व्यक्तिगत कोचिंग ने इसे तेज गेंदबाजों के लिए एक तीर्थस्थल बना दिया है।
क्यों खास है निवान स्पोर्ट्स क्लब?
निवान स्पोर्ट्स क्लब की खासियत उसका विज्ञान और जुनून का मेल है। स्टीफन जोन्स का अनुभव और आयुष मेहंदीरत्ता का जुनून इस क्लब को अलग बनाता है। यहां हर गेंदबाज की जरूरतों को समझकर व्यक्तिगत प्रशिक्षण दिया जाता है। जोन्स का मानना है कि पुराने कोचिंग तरीके अब कारगर नहीं हैं। उनकी तकनीक में गति के साथ-साथ आक्रामकता पर भी जोर दिया जाता है। यही वजह है कि पेसलैब में प्रशिक्षण लेने वाले गेंदबाज न केवल तेज गेंदबाजी सीखते हैं, बल्कि आत्मविश्वास भी हासिल करते हैं।