162 करोड़ का घोटाला! बुढ़ापा पेंशन में फर्जीवाड़ा, अपात्रों को मिली पेंशन, होगी बड़ी कार्रवाई!
बुजुर्गों को पेंशन की सिफारिश के लिए गठित जांच समिति में शामिल अधिकारियों ने गलत तरीके से अपात्र लोगों को पेंशन देने के आरोपो के चलते शीघ्र बड़ी कार्यवाही हो सकती है। हरियाणा में बुजुर्गों को दी जाने वाली पेंशन में 162 करोड़ रुपये के घोटाले की गाज अब आधा दर्जन विभागों के अधिकारियों पर गिर सकती है।
राज्य मंत्री, सामाजिक न्याय, अधिकारिता, अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग कल्याण और अंत्योदय (सेवा) विभाग के राज्य मंत्री -बिशंभर वाल्मीकि ने कहा है कि बुढ़ापा पेंशन घोटाले के दोषी किसी भी अधिकारी या कर्मचारी को नहीं बख्शा जाएगा।
उन्होंने पूरी जांच रिपोर्ट मंगवाई है। इसके अलावा अन्य योजनाओं में भी अगर कोई वित्तीय अनियमितता पाई जाती है तो उसकी भी जांच कराएंगे। यह जनता का पैसा है और जनकल्याण पर ही खर्च होगा।
सरकार ने समाज कल्याण विभाग के साथ ही विकास एवं पंचायत, स्थानीय निकाय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, महिला एवं बाल विकास और राजस्व विभाग के अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।
संकेत हैं कि सामाजिक न्याय, अधिकारिता, अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग कल्याण और अंत्योदय (सेवा) विभाग की महानिदेशक आशिमा बराड़ ने सभी संबंधित विभागों के महानिदेशकों को आरोपित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की है।
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार में वर्ष 2011 में 162 करोड़ रुपये का बुढ़ापा पेंशन घोटाला सामने आया था। उपायुक्तों की अगुवाई में गठित कमेटियों की जांच में पता लगा कि वर्ष 1994 से 2012 के बीच 50 हजार 312 ऐसे लोगों को बुढ़ापा पेंशन दी गई जो मर चुके थे।
13 हजार 477 पेंशनधारी अपात्र मिले, जबकि 17 हजार 94 ऐसे लोगों को पेंशन जारी की गई, जिनका कोई अस्तित्व ही नहीं था। हालांकि बाद में 13 हजार 477 अपात्र व्यक्तियों में से 2189 लाभार्थी बाद में पात्र पाए गए।
केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआइ भी पेंशन घोटाले में शामिल जिला समाज कल्याण अधिकारियों सहित अन्य संबंधित विभागों के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश कर चुकी है। मामले में 15 करोड़ रुपये की वसूली की जानी है।
फर्जी तरीके से पेंशन लेने वालों में 1254 लोगों की मृत्यु हो गई है और 554 लाभार्थियों का पता नहीं चल पाया है। मामले में अभी तक आठ करोड़ रुपये की रिकवरी की जा चुकी है, जबकि करीब सात करोड़ रुपये की रिकवरी होनी बाकी है। अपात्र लोगों से रिकवरी नहीं हो पाने की स्थिति में संबंधित अधिकारियों से रिकवरी के निर्देश दिए गए हैं।