Haryana Budget 2025 : गन्ने की कटाई से लेकर फूलों की मंडी तक, हरियाणा सरकार की नई योजनाएं बनेंगी किसानों के लिए वरदान

चंडीगढ़ : हरियाणा सरकार ने किसानों के हित में कई बड़े फैसले लिए हैं। धान की खेती छोड़ने वाले किसानों को दी जाने वाली अनुदान राशि को 7,000 रुपये प्रति एकड़ से बढ़ाकर 8,000 रुपये प्रति एकड़ कर दिया गया है। इसके साथ ही, जो पंचायतें अपनी खेती योग्य जमीन को धान के लिए पट्टे पर देने की बजाय खाली छोड़ेंगी, उन्हें भी यह प्रोत्साहन राशि मिलेगी। यह कदम किसानों को वैकल्पिक खेती की ओर प्रेरित करने और जल संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया है।
राज्य सरकार ने अपने बजट में किसानों को नकली बीज और कीटनाशकों से बचाने के लिए ठोस कदम उठाने का ऐलान किया है। इसके तहत एक नया विधेयक विधानसभा में पेश किया जाएगा, जो कृषि भूमि बिल की तर्ज पर होगा। इस कानून का मकसद किसानों को नकली उत्पादों के जाल से बचाना और उनकी फसलों की गुणवत्ता सुनिश्चित करना है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम हरियाणा के कृषि क्षेत्र में विश्वसनीयता बढ़ाएगा।
प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए भी सरकार ने खास योजना बनाई है। वित्तीय वर्ष 2025-26 में प्राकृतिक खेती का लक्ष्य 2,500 एकड़ से बढ़ाकर 1 लाख एकड़ कर दिया गया है। अब यह लाभ 2 एकड़ की बजाय 1 एकड़ खेती करने वाले छोटे किसानों को भी मिलेगा।
साथ ही, देसी गाय खरीदने के लिए दी जाने वाली सहायता राशि को 2,500 रुपये से बढ़ाकर 30,000 रुपये कर दिया गया है। सरकार ने कृषि और कल्याण विभाग का बजट भी 19.2% बढ़ाकर 4,229.29 करोड़ रुपये कर दिया है, जो किसानों के लिए बेहतर सुविधाओं का संकेत है।
बागवानी, पशुपालन और मत्स्य पालन जैसे क्षेत्रों में भी बजट में भारी बढ़ोतरी की गई है। बागवानी के लिए आवंटन 95.50% बढ़कर 1,068.89 करोड़ रुपये, पशुपालन के लिए 50.9% बढ़कर 2,083.43 करोड़ रुपये, मत्स्य पालन के लिए 144.40% बढ़कर 2,018.76 करोड़ रुपये और सहकारिता क्षेत्र के लिए 58.80% बढ़कर 1,254.97 करोड़ रुपये हो गया है। ये कदम हरियाणा के ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में अहम साबित होंगे।
कृषक उत्पादक संगठनों (FPOs) को सहकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए सरकार नई बागवानी नीति लाने जा रही है। अभी तक केवल कंपनी के रूप में पंजीकृत FPOs को ही ये लाभ मिलते थे, लेकिन अब सहकारी समितियों को भी शामिल किया जाएगा। इसके अलावा, महिलाओं को प्रोत्साहित करने के लिए कृषि, बागवानी, पशुपालन और मत्स्य पालन की योजनाओं में पहले 1 लाख रुपये के ऋण पर कोई ब्याज नहीं लिया जाएगा। इस ब्याज का खर्च सरकार वहन करेगी, जो महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक बड़ा कदम है।
गोबर खाद को बढ़ावा देने के लिए जल्द ही एक नई नीति आएगी। मोरनी क्षेत्र के किसानों की आय बढ़ाने के लिए विशेष कार्ययोजना और पशुपालकों के लिए बकरी-भेड़ की उन्नत नस्लें जैसे बीटल, सिरोही और मुंजल उपलब्ध कराने की योजना भी शुरू होगी। धान की सीधी बुआई के लिए अनुदान 4,000 रुपये से बढ़कर 4,500 रुपये प्रति एकड़ और पराली प्रबंधन के लिए 1,000 रुपये की जगह 1,200 रुपये प्रति एकड़ कर दिया गया है। यूरिया और डीएपी की कमी दूर करने के लिए इन्हें 'मेरी फसल मेरा ब्यौरा' पोर्टल से जोड़ा जाएगा, जिससे नैनो यूरिया और नैनो डीएपी को बढ़ावा मिलेगा।